हम सब यह जानते हैं कि माउंट एवरेस्ट पृथ्वी का सबसे ऊंचा पर्वत है. जी हां, यह पृथ्वी का सबसे ऊंचा पर्वत है लेकिन यह तथ्य आंशिक सत्य ही है.
एवरेस्ट की ऊंचाई समुद्र तल से 8,848 मीटर है. लेकिन हम समुद्र तल से ऊंचाई की बात क्यों करते हैं?
दरअसल समुद्र तल से हमारा अभिप्राय पर्वतों और मैदानी धरातल की ऊंचाई के औसत से है. लेकिन आपको यह पता होगा कि हमारी पृथ्वी पूरी तरह से गोल नहीं है. यह ध्रुवों पर थोड़ी चपटी है और भूमध्य रेखा पर दीर्घवृत्ताकार है. इसलिए भूमध्य रेखा पर स्थित बिंदु पृथ्वी के केंद्र से सर्वाधिक दूरी पर स्थित हैं और जैसे-जैसे हम भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जाते हैं केंद्र से धरातल की औसत दूरी कम होती जाती है. जब हम समुद्र तल की बात करते हैं तो इस तथ्य को नज़रअंदाज़ कर देते हैं.
इस बात को ध्यान में रखने पर इक्वाडोर में भूमध्य रेखा के बहुत समीप स्थित 6,310 मीटर ऊंचा माउंट चिंबोराज़ो (Mount Chimborazo) ज्वालामुखी पृथ्वी के केंद्र से सबसे अधिक दूर स्थित पर्वत बन जाता है.
पृथ्वी के केंद्र से भूमध्य रेखा की दूरी 6,378 किलोमीटर या 3,963 मील है, जबकि पृथ्वी के केंद्र से ध्रुवों की दूरी केवल 6,356 किलोमीटर या 3,949 मील है. इन दोनों में 22 किलोमीटर का अंतर है.
इसी से जुड़ा हुआ एक और रोचक तथ्य है: यदि हम किसी पर्वत के आधार से उसके शिखर तक की ऊंचाई को ध्यान में रखें तो हवाई द्वीप में स्थित प्रसुप्त ज्वालामुखी मौना किआ (Mauna Kea) ऐसा सबसे बड़ा पर्वत है. इस पर्वत की ऊंचाई केवल 4,205 मीटर है लेकिन इसे समुद्र के भीतर इसके आधार से नापें तो इसके शिखर तक की ऊंचाई 10,000 मीटर से भी अधिक है. (featured image credit)