आंख के बदले आंख लेने की नीति पूरी दुनिया को अंधा कर देगी – महात्मा गांधी
इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए हम सोवियत रूस की लाल सेना को श्रेय दे सकते हैं जिसने अपने ही बूते पर नाज़ियों की कमर तोड़ दी. हम जर्मनी, अमेरिका के सैनिकों को या युद्ध के अंतिम दौर में लड़नेवाले जापान के सैनिकों को भी बहुत कठिन युद्ध का सामना करने के कारण इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए चुन सकते हैं.
और अगर हम चाहें तो इस प्रश्न पर किसी दूसरे नज़रिए से भी विचार कर सकते हैं.
द्वितीय विश्व-युद्ध में मारे गए सैनिकों व नागरिकों की देशवार अनुमानित संख्या इस प्रकार हैः
- इटली: 3,19,200
- यूनाइटेड किंगडम: 4,50,900
- संयुक्त राज्य अमेरिका: 4,19,400
- फ्रांस: 6,00,000
- जापान: 25 लाख
- जर्मनी: 69 लाख
इन संख्याओं को देखते समय यदि मैं आपके कहूं कि द्वितीय विश्व-युद्ध के लिए बलिदान देने वाले और नुकसान झेलनेवाले देशों में एक देश ऐसा भी था जिसने मित्र सेनाओं के लिए इस युद्ध में भाग लिया, जिसके सैनिकों की वीरता का सबने लोहा माना, और जिसके लगभग 1 करोड़ नागरिक युद्ध में या युद्ध के कारण उत्पन्न परिस्तिथियों से मारे गए तो आपको कैसा लगेगा?
- इस देश ने आधुनिक काल के इस सबसे बड़े युद्ध में लड़ने के लिए सबसे अधिक स्वयंसेवकों को भेजा.
- इस देश ने इस युद्ध में ब्रिटिश, अमेरिकी और सोवियत सेनाओं के साथ मिलकर इटालियन, जर्मन और जापानी सेनाओं का एशिया, अफ़्रीका और यूरोप की भूमि पर मुकाबला किया.
- इस देश ने इटली को मुक्त कराने में बड़ी अहम भूमिका निभाई.
- इस देश ने युद्ध में उपयोग लिए जाने वाला लगभग सारा एल्युमिनियम जुटाया. एल्युमिनियम के बिना खाने के डिब्बे और बमवर्षक हवाई नहीं बनाए जा सकते थे.
- इस देश ने युद्ध के लिए लगभग 196.7 मिलियन टन कोयला, 6 मिलियन टन लौह अयस्क, 1.12 मिलियन टन स्टील, और अपनी वार्षिक निर्माण क्षमता का 35% से भी अधिक कपड़ा उपलब्ध कराया. युद्ध के लिए आवश्यक संसाधन जुटाने के मामले में यह देश मित्र सेनाओं में दूसरे नंबर पर था.
- इस देश ने युद्ध भूमि पर पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़नेवाली महिला स्वयंसेवक सैनिकों की बड़ी टुकड़ी भेजी.
- इस देश ने टोब्रुक (Tobruk) और मोंटे कैसिनो (Monte Cassino) की निर्णायक मुठभेड़ों में शत्रु सेना की हालत पस्त कर दी. दुनिया भर के मिलिटरी पाठ्यक्रमों में इन मुठभेड़ों को बहुत महत्वपूर्ण मानकर पढ़ाया जाता है.
- इस देश के 87,000 से भी अधिक सैनिकों ने इस युद्ध में अपने प्राणों की आहुति दी (मित्र देशों में चौथा नंबर). इसके लगभग 34,354 सैनिक घायल हुए और 67,000 से भी अधिक बंदी बना लिए गए.
- इस देश के सैनिकों को 4000 से भी अधिक वीरता पुरस्कार मिले जिनमें युद्ध में प्राप्त होने वाले सबसे बड़े सम्मान के रूप में 31 विक्टोरिया क्रॉस (Victoria Cross) भी थे.
- इस देश के लगभग 1 करोड़ नागरिक युद्धजनित परिस्तिथियों और अकाल की भेंट चढ़ गए (मित्र देशों में सबसे अधिक नागरिकों की मृत्यु).
युद्ध की समाप्ति के बाद तत्कालीन ब्रिटिश प्रधान मंत्री विंस्टन चर्चिल (Winston Churchill) ने युद्ध में अदम्य वीरता और बलिदान के लिए ब्रिटिश संसद में इस देश के सैनिकों को विशेष श्रृद्धांजलि दी.
इस देश का नाम भारत है.
अपनी सैन्य क्षमता के अतिरिक्त भारत ने अपने समस्त राष्ट्रीय संसाधन इस युद्ध पर लुटा दिए जिसके परिणामस्वरूप कुख्यात मानव निर्मित त्रासदी ‘बंगाल दुर्भिक्ष’ या बंगाल का अकाल घटित हुआ. इस अकाल ने एक करोड़ नागरिकों को लील लिया. इस अकाल ने भारतीय अर्थव्यवस्था को इतनी बड़ी क्षति पहुंचाई जिसकी भरपाई कई दशकों तक न हो सकी.
इस युद्ध में भारतीय सैनिक और नागरिक युद्ध के मोर्चे पर और अपने घरों में पूरी ताकत से लड़ते रहे. उन्होंने युद्ध जीता, मेडल जीते, और दिल भी जीते, लेकिन बहुत कुछ गंवाया भी.
द्वितीय विश्व-युद्ध में भारतीयों के योगदान और बलिदान को भुला दिया गया. इस विश्व-युद्ध पर बड़ी-बड़ी किताबें लिखनेवाले इतिहासकारों ने भारतीय पक्ष की अनदेखी की.
इस युद्ध के कारण निर्मित परिस्तिथियों के फलस्वरूप भारत को ब्रिटिश शासन से 1947 में आजादी मिली.
और सबसे ज़रूरी बात तो मैं आपको बताना भूल ही गया.
इस देश का इस युद्ध से कोई लेना-देना नहीं था. इस युद्ध का भाग बनने की इसकी कोई विवशता न थी. लेकिन यह देश लड़ा और जमकर लड़ा.
Image Sources: AFP, Creative Commons, Life Magazine Open Source Directory, Pinterest. Source of Information and Data:
- Bandyopadhyay, Sekhar. From Plassey to Partition: A History of Modern India (2004)
- Khan, Yasmin. India At War: The Subcontinent and the Second World War (2015),
- Voigt, Johannes. India in The Second World War (1988)
Based on a Quora answer by Naman Chakraborty