कल्पना कीजिए कि आप एक सुपरफ़ास्ट यात्री विमान जैसे बोइंग 777 या एयरबस 320 पर यात्रा कर रहे हैं जो लगभग 800 से 1000 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से लगभग 40,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ रहा है. आप इतनी खतरनाक गति इतनी ऊंचाई पर उड़ रहे विमान में अपनी सीट पर आराम से बैठे हैं और ज़रूरत पड़ने पर बाथरूम भी आ-जा सकते हैं. अपने कप में आप चाय-कॉफ़ी या वाइन भी आप एक बूंद छलकाए बिना ढाल सकते हैं और आपको इतनी गति से उड़ते रहने का अहसास भी नहीं होता. इसका कारण यह है कि आपके विमान के साथ-साथ आप, आपकी कुर्सी, बाथरूम, और कप-प्लेट वगैरह भी विमान की ही गति से उड़ रहे हैं.
ओह… तो अब आप कहेंगे कि मैं तो प्लेन के भीतर हूं! लेकिन क्या प्लेन के बाहर यह सब कर पाना आपके लिए आसान होता? नहीं, लेकिन क्यों? इतनी गति से उड़ रहे प्लेन के बाहर पंख पर पैर रखते ही आप हवा में कहीं दूर फिंका जाते क्योंकि 800 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से उड़ रहे विमान के बाहर हवा की गति प्रचंड हो जाती है. दरअसल विमान के बाहर मौजूद हवा की गति तो कम है लेकिन विमान की तेज गति के कारण उसका प्रभाव प्रबल हो जाता है.
और यह तो आप जानते ही होंगे कि अंतरिक्ष में हवा न-के-बराबर है. कोई अंतरिक्षयात्री अपने स्पेस शटल या स्पेस स्टेशन के एयरलॉक के बाहर निकलने पर वायु के झोंके को ज़रा सा भी महसूस नहीं करते. वे अपने शटल या स्टेशन से किसी तरह से बंधे या अटके रहते हैं और अपने काम उसी तरह से कर सकते हैं जैसे वे शटल या स्टेशन के भीतर कर सकते हैं. यदि वे 17,500 किलोमीटर की गति से पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे स्पेस स्टेशन के भीतर बिना किसी समस्या के काम कर पाते हैं तो उसके बाहर भी उन्हें 17,500 किलोमीटर की गति पर काम करने में कोई दिक्कत नहीं होती.
इन बातों का संंबध बलों और दबाव आदि से है. यदि आपको यह लगता है कि कोई पिंड किसी रूप में किसी चीज से प्रभावित हो रहा है तो आपको उन बलों की पहचान करनी होती है जो वह प्रभाव डाल रहे हैं. न्यूटन के प्रथम नियम में इसका वर्णन इस प्रकार किया गया हैः प्रत्येक पिंड तब तक अपनी विरामावस्था अथवा सरल रेखा में एकसमान गति की अवस्था में रहता है जब तक कोई बाह्य बल उसे अन्यथा व्यवहार करने के लिए विवश नहीं करता. इसे जड़त्व का नियम भी कहा जाता है. (image credit)