जॉर्ज बर्नार्ड डैंट्ज़िग (George Bernard Dantzig, 1914 – 2005) अमेरिकन गणितज्ञ और वैज्ञानिक थे जिन्होंने ऑपरेशंस रिसर्च, कंप्यूटर साइंस, अर्थशास्त्र और सांख्यिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया. डैंट्ज़िग को सिंप्लेक्स एल्गोरिद्म (simplex algorithm) का विकास करने के लिए जाना जाता है. इस एल्गोरिद्म का प्रयोग रेखीय प्रोग्रामिंग (linear programming) की समस्याओं का समाधान करने में किया जाता है. लेकिन डैंट्ज़िग की प्रसिद्धि सैद्धांतिक सांख्यिकी (statistical theory) की दो बहुत अनसुलझी समस्याओं को सुलझाने से संबंधित है जिन्हें वे अपना होमवर्क समझ कर हल कर बैठे थे.
डैंट्ज़िग से संबंधित यह रोचक किस्सा 1939 में घटा जब वे यू.सी. बर्कली में ग्रेजुएशन कर रहे थे. एक दिन वे अपनी क्लास में देर से पहुंचे. इस बीच उनके प्रोफ़ेसर जेर्जी नेमान (Jerzy Neyman) ने उपस्थित छात्रों को सांख्यिकी की दो प्रसिद्ध समस्याएं बोर्ड पर लिखकर दिखाई थीं. ये समस्याएं बहुत लंबे समय से अनसुलझी थीं. जब डैंट्ज़िग ने इन्हें ब्लेकबोर्ड पर लिखा देखा तो वे इन्हें सबके लिए होमवर्क असाइनमेंट समझ बैठे. उन्होंने ये समस्याएं अपनी नोटबुक में उतार लीं. उन्होंने कुछ दिनों के भीतर उन्हें अपना होमवर्क मानकर हल करके प्रोफ़ेसर को सौंप दिया.
लगभग डेढ़ महीने बाद अचंभित प्रोफ़ेसर नेमान ने डैंट्ज़िग को बताया कि उन्होंने अपने होमवर्क में जो समाधान सबमिट किए थे वे सांख्यिकी की दो सबसे प्रसिद्ध अनसुलझी समस्याओं के हल थे. प्रोफ़ेसर ने डैंट्ज़िग के समाधान एक मैथमेटिकल जर्नल में छपने के लिए भेज दिए थे. 1986 में अपने एक इंटरव्यू में डैंट्ज़िग ने बताया कि वे समस्याएं “सामान्य से थोड़ी अधिक कठिन” थीं.
इस घटना के एक साल बाद जब डैंट्ज़िग अपनी पीएचडी के लिए उपयुक्त विषय के बारे में सलाह लेने के लिए प्रोफ़ेसर नेमान के पास गए तो प्रोफ़ेसर ने उनसे कहा कि वे उन दो समस्याओं के समाधान को अच्छी सी बाइंडिंग करा के देंगे तो उसे ही उनकी थीसिस मान लिया जाएगा. ऐसा ही हुआ भी. इतिहास में डैंट्ज़िग सबसे कम समय में अपनी पीएचडी करनेवाले व्यक्ति बन गए.
कुछ वर्षों के बाद एक अन्य रिसर्चर अब्राहम वाल्ड (Abraham Wald) ने भी दूसरी समस्या का हल खोज लिया. जब अब्राहम को उस समस्या पर डैंट्ज़िग द्वारा पूर्व में किए गए काम के बारे में पता चला तो उसने अपनी थीसिस में डैंट्ज़िग को सहलेखक के रूप में शामिल किया.
डैंट्ज़िग स्टैनफ़ोर्ड में प्रोफ़ेसर एमीरेट्स ऑफ़ ट्रांसपोर्टेशन साइंसेस एंड प्रोफ़ेसर ऑफ़ ऑपरेशंस रिसर्च एंड कंप्यूटर साइंसेस के पद से सेवामुक्त हुए. उनकी पीएचडी के इस किस्से को प्रेरक प्रसंग के रूप में इतनी प्रसिद्धि मिली कि इसे अलग-अलग तरह से तोड़-मरोड़ कर प्रसारित किया गया, यहां तक कि इसमें से डैंट्ज़िग का नाम भी गायब हो गया. कहा जाता है कि एक बिगड़ैल जीनियस गणितज्ञ के जीवन रूप में आधारित फ़िल्म Good Will Hunting का एक शुरुआती दृश्य डैंट्ज़िग के जीवन प्रसंग पर आधारित है. इस प्रसंग पर आप और अधिक यहां पढ़ सकते हैं.