बहस्पति ग्रह पर एक लाल रंग के धब्बे जैसा तूफ़ान कई शताब्दियों से घूम रहा है. यह तूफ़ान कितना बड़ा है इसका अंदाज़ा आप ऊपर दिए फोटो से लगा सकते हैं जिसमें इसकी तुलना पृथ्वी के आकार से की गई है. इसे The Great Red Spot of Jupiter भी कहते हैं. यह बहस्पति ग्रह की भूमध्य रेखा के दक्षिण में 22° अक्षांश पर स्थित है. इस लाल धब्बे में प्रचंड गति से घूमती वायु का उच्च दबाव का क्षेत्र है. इसका सबसे पहला अध्ययन वर्ष 1665 से 1713 के दौरान किया गया था और वर्ष 1830 से इसका अध्ययन लगातार जारी है. इस प्रकार यह कम-से-कम 350 वर्षों से घूम रहा है. नीचे दिए वीडियो में आप इसे सक्रिय अवस्था में देख सकते हैं.
विशालकाय गैसीय ग्रहों के वातावरण में इस प्रकार के तूफ़ानों का बनना कोई असामान्य बात नहीं है. यह कहना कठिन है कि बहस्पति ग्रह का यह तूफ़ान कब थमेगा. हाल के वर्षों में किए गए प्रेक्षणों से यह पता चला है कि इसका आकार कम हो रहा है. हो सकता है कि किसी दिन यह गायब भी हो जाए. इसे लेकर हमारी सबसे बड़ी समस्या यह है कि हमें इसके निर्माण के संबंध में कोई पुष्ट जानकारी नहीं है. यह एक प्रकार का एंटीसाइक्लोन (anticyclones) है और इसके निर्माण के संबंध में दो अलग-अलग तरह के मॉडल सुझाए गए हैं जिन्हें quasi-geostrophic (QG) और intermediate-geostrophic (IG) मॉडल कहा जाता है. इन दोनों मॉडल में से कौन सा मॉडल इसपर फिट बैठता है इसका पता तभी चल पाएगा जब कोई परीक्षण यंत्र इस तूफ़ान में गिराकर प्रत्यक्ष डेटा एकत्र किया जाए.
लेकिन हमें इस तूफ़ान के परिमाण और तीव्रता के बारे में अच्छी-खासी जानकारी है. इस तूफ़ान की लंबाई लगभग पृथ्वी के जितनी है और चौड़ाई पृथ्वी से लगभग तीन गुना अधिक है. अपने सबसे सकरे बिंदु पर भी यह तूफ़ान पृथ्वी पर अब तक देखे गए सबसे बड़े तूफ़ान के व्यास का छः गुना है. यह तूफ़ान क्यों नहीं थम रहा यह पूछने के पहले हमें यह जानना ज़रूरी है कि पृथ्वी पर आनेवाले तूफ़ान देर तक क्यों नहीं टिकते? लगभग सभी तूफ़ान गर्म पानी के ऊपर थमी नम वायु से ऊर्जा प्राप्त करते हैं. ठंडे पानी या भूमि के ऊपर से गुज़रने पर सामान्य तूफ़ान थमने लगता है. बहस्पति ग्रह पर इस तूफ़ान की तीव्रता को कम करने के लिए ठंडे पानी या भूमि की कोई व्यवस्था नहीं है.
लेकिन बहस्पति ग्रह में ऐसा क्या है जो इस तूफ़ान की तीव्रता को कम कर सकता है? बहस्पति ग्रह के वातावरण में वायु की परतों के मध्य पतली हवा की परतें नहीं हैं, इस प्रकार वहां तूफ़ान की ऊर्जा का विसरण नहीं होता. बहस्पति ग्रह अपनी धुरी पर बहुत तेजी से घूमता है (इसका एक दिन मात्र 10 घंटे का होता है) इसलिए वहां बहुत अधिक कोरियोलिस बल (Coriolis force) प्राप्त होता है. वहां पूर्व से लेकर पश्चिम तक वातावरण तेजी से मथता रहता है. इसका वातावरण इतना सघन है कि इसमें ऊर्जा का संग्रह अपिरिमित होता रहता है. किसी भी प्रकार की भंवर इसके दोनों छोर के ऊपरी और निचली पर्तों में विघटन होने से ही रूक सकती है लेकिन बहस्पति ग्रह पर यह नहीं हो पा रहा है. कंप्यूटर मॉडलों ने इसी आधार पर यह सिद्ध किया है कि ग्रेट रेड स्पॉट जैसे एंटीसाइक्लोन बहस्पति ग्रह पर इतने स्थाई क्यों हैं. (फ़ोटो विकिपीडिया से)