मनुष्यों के गायब हो जाने पर पृथ्वी कैसी दिखेगी?

मनुष्यों के सहसा पृथ्वी से गायब हो जाने पर पृथ्वी कुछ ऐसी दिखेगी:

1 सप्ताह: इतने समय में हमारे बनाए सबसे कमज़ोर स्ट्रक्टचर जैसे तंबू और कनातें गिरने या ढीले पड़ने लगेंगे. सड़कों पर बड़े जानवर घूमते दिखेंगे. घरों के भीतर बंद या बंधे पालतू पशु या तो मर चुके हैं या मृतप्राय हो गए हैं. कुछ पॉवर स्टेशन अभी भी ऑटोमेटिक सिस्टम पर चल रहे हैं लेकिन ज्यादातर इलेक्ट्रानिक डिवाइसेस स्लीप मोड में जा चुकी हैं या ऑटो टर्न ऑफ़ हो गई हैं. रेडियो स्टेशनों से कोई प्रसारण नहीं हो रहा है और ज्यादातर वेब सर्वर्स भी बंद हो गए हैं. पानी में तैर रहे जहाज और हवा में उड़ रहे वायुयान क्रेश हो गए हैं. घरों में जलते रह गए स्टोव और ओवन वगैरह से कई जगह आग लग चुकी है.

1 महीना: सोलर और हाइड्रो पॉवर को छोड़कर हर तरह की ऊर्जा की सप्लाई बंद हो गई है. सारी ग्रिडें ठप हो गई हैं. सारे पालतू पशु या तो जंगली पशु बन गए हैं या मारे जा चुके हैं. चिड़ियाघरों में बंद सारे जीव मर चुके हैं. जगह-जगह लगी आग अधिकांशतः अपने आप बुझ गई है. इंटरनेट अस्तित्वहीन हो गया है.

1 वर्ष: दुनिया अब उजड़ी हुई सी लगने लगी है. जंगली पौधे हर जगह उगने लगे हैं और बाग-बगीचे तथा पार्कों में भी वही उगे दिख रहे हैं. जंगली जानवरों जैसे बंदर और भालू वगैरह घरों में घुसकर भोजन खोज रहे हैं. सारे घर और भवन अभी भी पहले जैसे ही दिख रहे हैं. हाइड्रोइलेक्ट्रिक बांध, पवन चक्कियां, और टाइडल बैराज उन क्षेत्रों में अभी भी बिजली पहुंचा रहे हैं जहां पॉवर लाइनें सुरक्षित खड़ी हैं. लोगों के घरों में क्वार्ट्ज दीवार और कलाइ घड़ियां बिल्कुल सही वक्त बता रही हैं.

100 वर्ष: शहर पहचान में नहीं आ रहे. रिपेयर और मैंटेनेंस नहीं होने के कारण ईंट-पत्थरों से बने ज्यादातर आधुनिक निर्माण गिर चुके हैं लेकिन कुछ प्राचीन और मध्ययुगीन स्थापत्य अभी भी पहले जैसी हालत में हैं. सारी गगनचुंबी इमारतें और पुल ढह चुके हैं. गाड़ियां धूप, पानी और जंग खाकर सड़ चुकी हैं. लकड़ी के बने लगभग सारे स्ट्रक्टचर धूल में बदल चुके हैं. घरों के भीतर बड़े-बड़े पेड़ उग गए हैं. सारे मार्ग उखड़ चुके हैं. कुछ बड़े कुत्तों, बिल्लियों, घोड़ों और दुधारू पशुओं को छोड़कर बाकी पालतू पशु विलुप्त हो गए हैं.

1,000 वर्ष: शहरों को देखकर पहचान पाना और कठिन हो गया है. धरती का रंग जंग के कारण भूरा-नारंगी हो गया है. कहीं-कहीं कोई बिल्डिंग खंडहर सी खड़ी दिखती है. गाड़ियों की सारी धातु गायब हो गई है और केवल प्लास्टिक व रबर के पार्ट बिखरे दिखते हैं. प्लास्टिक के उपकरणों जैसे कंप्यूटर और प्लेस्टेशन वगैरह को अभी भी पहचाना जा सकता है.

10,00,000 वर्ष: पृथ्वी पर से बुद्धिमान जीवन के सारे प्रमाण लुप्त हो गए हैं. जंगलों के बोझ तले शहरों के जीवाश्म देखे जा सकते हैं. समुद्रों की तलहटी में अवसादों में प्लास्टिक दबता जा रहा है. सारे पालतू पशु विलुप्त हो गए हैं या जंगली पशु बन गए हैं. महाद्वीपों की रूपरेखा में व्यापक बदलाव आ गया है. मनुष्य की सभ्यता के कुछ प्रमाण बाह्य अंतरिक्ष में उपग्रहीय कचरे के रूप में अभी भी पृथ्वी की परिक्रमा कर रहै हैं. वॉयेजर और उसकी बाद की पीढ़ी के अंतरिक्ष यान या तो अंतरिक्ष में कहीं टकरा चुके हैं या अभी भी निर्बाध आगे बढ़ते जा रहे हैं और हमारे पड़ोसी तारों को भी पीछे छोड़ चुके हैं. 19 वीं से लेकर 21 वीं शताब्दी के दौरान मनुष्य द्वारा प्रयुक्त रेडियो और माइक्रोवेव संचार की तरंगें प्रकाश की गति से पूरे ब्रह्मांड में फैल रही हैं और अनेकों निकटतम मंदाकिनियों तक पहुंच चुकी हैं. (image credit)

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