शुद्ध ऑक्सीजन हमारे लिए प्राणघातक क्यों है?

लोगों को वास्तव में ऑक्सीजन नहीं बल्कि यह एक हाथ वाला टिंगू मार देता है.

कल्पना कीजिए कि ऑक्सीजन का अणु (O2) इसी जैसा कोई टिंगू है, लेकिन उसके हाथ सही-सलामत हैं.

अब कल्पना कीजिए कि एक हाथ वाला टिंगू ऑक्सीजन वह है जिसने एक इलेक्ट्रान ले लिया है. हम उसे फ्री रेडिकल ( O2-) कहते हैं.

इस फ्री रेडिकल को एक हाथ की तलाश थी. जहां भी इसे एक हाथ मिला, उसने उसे तोड़ लिया और अपने शरीर में लगा लिया.

जब एक हाथ वाला टिंगू किसी का हाथ खींचकर तोड़ देता है (मतलब एक इलेक्ट्रान ले लेता है), तो ये अपने जैसा ही एक नया फ्री रेडिकल बनाता है, और यह प्रक्रिया आगे बढ़ती जाती है.

हमारा शरीर यह सब एक सीमा तक ही सहन कर सकता है. वातावरण में 21% ऑक्सीजन है. मान लें कि जब हम सांस लेते हैं तो ऐसे 21 टिंगू हमारे भीतर जाते हैं.

यदि इन 21 टिंगुओं में से 1 बुरा टिंगू यदि 25 को भी नुकसान पहुंचाएगा तो हमारा शरीर उसे सहन कर लेगा. लेकिन तब क्या होगा जब हम 100% ऑक्सीजन लेंगे? इस स्थिति में हमारे पास तबाही मचाने के लिए ऐसे 5 व्यक्ति होंगे.

हमारे फेफड़ों में प्रोटीन होता है. प्रोटीन में ऑक्सीजन भी होता है. फ्री रेडिकल्स यदि संख्या में अधिक हो जाएं तो प्रोटीन की संरचना गड़बड़ा सकती है.  जब यह गड़बड़ शुरु होती है तो शरीर को अच्छी ऑक्सीजन मिलना कम होती जाती है. इससे कई तरह की जटिलताएं उत्पन्न होती हैं जैसे बेहोशी, आंतरिक अंगों में डिस्चार्ज, आदि.

100% ऑक्सीजन होने पर भी यदि हम पंप का प्रेशर कम कर दें तो शरीर में प्रवेश करनेवाले फ्री रेडिकल की संख्या कम हो जाती है. इसे शरीर झेल सकता है. जेमिनी और अपोलो मिशनों में अंतरिक्ष यात्री कम दबाव में 100% ऑक्जीजन में लगभग दो सप्ताह तक सांस लेते रहे लेकिन उन्हें कोई भी समस्या नहीं हुई.

लेकिन यदि हम दबाव बढ़ा दें तो क्या होगा?

सामान्य दबाव पर ही 100% ऑक्सीजन में बहुत अधिक संख्या में फ्री रेडिकल होते हैं. बहुत अधिक ऑक्सीजन बहुत तेजी और दबाव से पंप करने पर सिंगल इलेक्ट्रान उखड़ते जाते हैं और फ्री रेडिकल की संख्या बढ़ती जाती है.

किन परिस्तिथियों में अधिक ऑक्सीजन दी जा सकती है:

  • अस्पतालों में जहां इमर्जेंसी में 60% तक ऑक्सीजन दवाब में दी जाती है.
  • गोता लगानेवाले प्रेशर टैंक में ऑक्सीजन लेकर जाते हैं.
  • जिन व्यक्तियों ने बहुत अधिक कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) में सांस ली है. आदि.

हमें यह जानना बहुत ज़रूरी है कि प्राणदायक होने पर भी अधिक मात्रा में दबाव के साथ लेने पर ऑक्सीजन हमारे लिए कितनी खतरनाक हो सकती है.

(श्री सन भास्करन के Quora उत्तर पर आधारित) image credit

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