सबसे पहले तो आप यह जान लें कि मुर्गियां चाबी देने से चलनेवाली मशीन नहीं हैं. अंडे देने के लिए उन्हें भरपूर खुराक देनी होगी.
एक औसत अंडे का वज़न लगभग 70 ग्राम होता है. एक पल के लिए मान लेते हैं कि हमारे पास इतनी धाकड़ मुर्गी है जो रोज़ एक अंडा दे सकती है. इस दर से एक सप्ताह में वह मुर्गी लगभग 500 ग्राम वजन के अंडे देगी.
और इस मुर्गी को हर सप्ताह लगभग 680 ग्राम दाना और 3.25 लीटर पानी की ज़रूरत होगी.
इस प्रकार ये कार्गो मास अर्थात अंतरिक्ष में ले जाए जानेवाले सामान के भार से संबंधित समस्या बन जाती है. रोज़ ताजे अंडे खाने के लिए इतना वजन अंतरिक्ष में लेकर जाना व्यावहारिक नहीं है. मुर्गियों के साथ अंतरिक्ष में कुछ जटिलताएं और जुड़ जाएंगी. मुर्गियां सूक्ष्म गुरुत्व में पानी नहीं पी पाएंगी. मुर्गियां अपनी चोंच को पानी में डुबोकर भरती हैं और अपने सर को उठाकर पीछे ले जाती हैं ताकि गुरुत्व के कारण पानी अनके गले से नीचे उतर जाए. अंतरिक्ष में यह संभव नहीं है. रूसी अंतरिक्षयात्रियों ने अंतरिक्ष में बटेर के साथ तरह-तरह के प्रयोग किए. उन्होंने पाया कि बटेर को पेस्ट के रूप में भोजन चटाने में बहुत सारा समय नष्ट हो जाता था.
स्थिति तब और गंभीर हो गई जब रूसियों ने देखा कि अंतरिक्ष के सूक्ष्म गुरुत्व के कारण बटेरों ने अंडोत्सर्ग (ovulation) बंद कर दिया था. जब अंडोत्सर्ग ही नहीं होगा तो अंडे नहीं मिलेंगे.
इसलिए जब तक कोई इस समस्या का पक्का समाधान नहीं खोज लेता, अंतरिक्ष यात्री अपने ब्रेकफास्ट में अंडे इस रूप में (नीचे फोटो देखें) लेते रहेंगे.
(NASA के इंस्ट्रक्टर और मिशन कंट्रोलर रॉबर्ट फ्रॉस्ट के Quora उत्तर पर आधारित) Top image credit