सबसे पहले तो मैं आपको आश्वस्त कर दूं कि जिन चीजों के बारे में मैं आपको बताने जा रहा हूं उनके होने की दूर-दूर तक कोई संऊावना नहीं है. यदि इन घंटनाओं के होने की ज़रा सी भी संभाव्यता होती तो वे पिछले कई अरब वर्षों में हो चुकी होतीं और हम इन बातों पर विचार करने के लिए यहां नहीं होते. यकीन मानिए, मनुष्य के रूप में हम औसतन अपने जीवन के जो 75 वर्ष पृथ्वी पर बिताते हैं वे उन अरबों वर्षों के सामने कुछ भी नहीं है जबते हमारा सौरमंडल अस्तित्व में है. इसलिए… इन बातों के होने की संभावना लगभग शून्य है.
यह बात साफ कर देने के बात इन बातों का अनुमान लगाना बहुत रोचक हो जाता है. अब मैं आपको उन बातों के बारे में बताने जा रहा हूं जो हमारे सौरमंडल को नष्ट कर सकती हैं. सबसे कम गंभीर खतरा सबसे पहले, सबसे अधिक गंभीर खतरा सबसे अंत मेंः
किसी आवारा तारे का सौरमंडल से गुज़रना. तारे के आकार और द्रव्यमान के आधार पर इसकी गंभीरता भिन्न-भिन्न हो सकती है. लेकिन कोई छोटा तारा भी सौरमंडल को अकल्पनीय खतरा पहुंचा सकता है और ग्रहों के परिक्रमा पथ के नाज़ुक संतुलन को हानि पहुंचा सकता है. यदि यह तारा सूर्य जैसा हुआ तो निश्चित ही सभी ग्रहों के परिक्रमा पथों को विचलित कर देगा. कुछ ग्रह सौरमंडल के बाहर भी धकेले जा सकते हैं. कुछ उस तारे या सूर्य के बहुत निकट तक चले आएंगे और नष्ट हो जाएंगे. ग्रह एक-दूसरे से भी टकरा सकते हैं. यदि हम भाग्यशाली हुए और पृथ्वी के साथ ऐसा कुछ भी नहीं हुआ तो भी हम तापमान में होनेवाले विशाल परिवर्तन से मारे जाएंगे. बहुत अधिक गर्मी या बहुत अधिक ठंड में पृथ्वी पर जीवन धीरे-धीरे विलुप्त हो जाएगा.
किसी ब्लैक होल का सौरमंडल से गुज़रना. यह भी किसी तारे के सौरमंडल से गुज़रने जैसी स्थिति है लेकिन ब्लैक होल तारे से कहीं अधिक भारी होगा इसलिए सौरमंडल पर उसका प्रभाव भी अधिक बड़ा होगा. यह ब्लैक होल की गति पर निर्भर करेगा कि वह किसी ग्रह से टकराता है या नहीं. यदि यह बहुत तेजी से गुज़रेगा तो सौरमंडल में बहुत कम समय के लिए रहेगा. लेकिन किसी भी दशा में ग्रहों के परिक्रमा पथ खंडित हो जाएंगे, या वे परे धकेल दिए जाएंगे या टकरा जाएंगे. इनमें से किसी भी स्थिति में पृथ्वी पर कुछ नहीं बचेगा.
ऊपर मैंने आपको जिन हालातों के बारे में बताया है वे गंभीर हैं लेकिन इनसे भी गंभीर कुछ परिदृश्य हो सकते हैं जो सौरमंडल को तहसनहस कर दें. मैं आपको जिन बातों के बारे में बताने जा रहा हूं वह बहुत अधिक बड़े पैमाने पर घटित होंगी और इनमें सौरमंडल तो क्या पूरे ब्रह्मांड में कुछ भी नहीं बचेगाः
द बिग रिप. जिस तरह बिग बैंग होता है उसी तरह बिग रिप. रिप का अर्थ है फटन… चीजों का दूर-दूर हो जाना. इसके होने की संभावना भी न के बराबर है, लेकिन इसके बारे में सोचना बहुत मजेदार है. मैं आशा करता हूं आपको इस बात की जानकारी होगी कि हमारे ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है. यह एक सुत्थापित तथ्य है और इसके कई प्रमाण हैं. यह अनुमान लगाया गया है कि ब्रह्मांड के विस्तार की दर प्रेक्षक से दस लाख पारसेक की दूरी के लिए लगभग 67 किलोमीटर प्रति सेकंड बढ़ जाती है. यदि विस्तार की यह दर सही है तो ब्रह्मांड का विस्तार अंततः इतनी अधिक गति से होगा कि हर स्थान पर नए अंतरिक्ष का निर्माण होगा और हर चीज एक-दूसरे से बहुत दूर हो जाएगी. एक समय यह विस्तार इतनी तेज गति से होगा कि सारे तारे, ग्रह, अणु, परमाणु एक-दूसरे से बहुत-बहुत दूर हो जाएंगे क्योंकि उनके मध्य अंतरिक्ष का विस्तार होता जाएगा. अंतरिक्ष में होने वाला यह विस्तार प्रकाश की गति से भी अधिक तेजी से होगा इसलिए किसी भी वस्तु का किसी दूसरी वस्तु से संपर्क नहीं रह जाएगा. ब्रह्मांड बिल्कुल ठंडी, काली और खाली जगह होगी.
वैक्यूम मेटास्टेबिलिटी इवेंट. यह बहुत अजीब घटना है क्योंकि किसी बड़ी चीज (जैसे ब्रह्मांड) से उत्पन्न होने के बजाए यह लगभग शून्य से उत्पन्न होती है. यह निर्वात से उत्पन्न होती है. हम हमेशा से यही मानते आए हैं कि निर्वात में कुछ भी नहीं होता लेकिन हमें इसका कुछ-कुछ अनुमान है कि निर्वात भी पूर्णतः शून्य नहीं है. इसमें भी कुछ ऊर्जा है जिसे हम निर्वात ऊर्जा कहते हैं और इसका मान 10^(-9) जूल्स है. यह लगभग न के बराबर है फिर भी महत्वपूर्ण है. दरअसल ब्रह्मांड में हर वस्तु उस अवस्था में लौटना चाहती है जिसमें कम-से-कम ऊर्जा व्यय होती हो. चीजों के गिरने, विद्युत के कार्य करने, और परमाणुओं के जुड़े रहने के पीछे यही ऊर्जा है. लेकिन तब क्या होगा यदि निर्वात की ऊर्जा का यह मान अल्पतम संभावित मान न हो बल्कि सिर्फ एक मितस्थाई (metastable) दशा हो. यदि निर्वात इससे भी कम ऊर्जा के स्तर को प्राप्त कर लेगा तो ब्रह्मांड ध्वस्त हो जाएगा क्योंकि निर्वात ऊर्जा के अलग-अलग मान के होने का अर्थ होगा भौतिकी और रसायन के नियमों का अलग-अलग होना. निर्वात ऊर्जा के स्तर में परिवर्तन का बुलबुला प्रकाश की गति से फैलेगा और निर्वात नष्ट हो जाएगा. यदि यह बुलबुला सौरमंडल से टकराएगा तो सौरमंडल कुछ ही घंटों में नष्ट हो जाएगा. चूंकि यह प्रकाश की गति से आएगा इसलिए हम इसे आता हुआ नहीं देख सकेंगे. एक पल सब कुछ ठीक रहेगा और दूसरे पल हमें पता ही नहीं चलेगा और हम मर चुके होंगे. इसके बाद ब्रह्मांड का स्वरूप क्या होगा कोई नहीं कह सकता.
इनके अलावा सौरमंडल को नष्ट कर सकनेवाले और भी परिदृश्य हो सकते हैं जैसे पास स्थित किसी तारे में विस्फोट आदि. लेकिन वे विस्फोट सौरमंडल की भौतिक संरचना को नष्ट नहीं करेंगे. यहां केवल उन्हीं दशाओं की चर्चा की गई है जो इसके भौतिक स्वरूप को बदल सकते हों. (image credit)