यदि हमारा सूर्य एक न्यूट्रॉन तारा होता तो पूरा सौरमंडल अंधेरे में डूबा होता. निस्संदेह पृथ्वी पर भी अंधेरा होता. चंद्रमा भी प्रकाश नहीं देता क्योंकि चंद्रमा सूर्य के प्रकाश से ही चमकता है. हमें दिन में भी तारे दिखते और रात्रि का आकाश तारों की चमक के कारण बहुत सुंदर दिखता. हमें ऐसा लगता कि हमारा सूर्य कहीं खो गया है.
अपने छोटे आकार के कारण न्यूट्रॉन तारा बहुत धुंधला होता है. हमें इससे कोई ऊर्जा नहीं मिलती तो पृथ्वी का सारा पानी जम जाता. प्रकाश संश्लेषण नहीं होने के कारण पेड़-पौधे पनप नहीं पाते. अत्यधिक ठंड और भोजन की कमी के कारण सभी जीव-जंतु और मनुष्य मर जाते. केवल वही सूक्ष्म प्रजातियां बच पातीं जो प्रकाश की अनुपस्तिथि में भी जी सकती हैं, उदा. महासागरों की तलहटियों पर जियोथर्मल वेंट्स के आसपास रहनेवाले सूक्ष्मजीव और प्रजातियां. पृथ्वी की दशा बहुत बुरी होती… यह एक ठंडा, निर्जीव और अनाकर्षक ग्रह होता. सौरमंडल के अन्य ग्रह, पृथ्वी और चंद्रमा अपनी नियत कक्षाओं में ही परिक्रमा करते रहते.
न्यूट्रॉन तारा होने पर भी सूर्य का द्रव्यमान वही होता इसलिए पृथ्वी के लिए गुरुत्वाकर्षण संबंधित समस्याएं खड़ी नहीं होतीं, हालांकि यह माना जाता है कि औसत न्यूट्रॉन तारे का द्रव्यमान सूर्य से अधिक होने पर ही उसका निर्माण होता है और वह स्थिर रह पाता है. लेकिन हम अपनी परिकल्पनात्मक प्रश्न के लिए इस तथ्य को नज़रअंदाज़ कर सकते हैं. (image credit)