स्पेस स्टेशन बनाने के लिए चंद्रमा बहुत अच्छा विकल्प है. सौरमंडल के सुदूर ग्रहों की यात्रा करने के लिए हम वहां एक महत्वपूर्ण पड़ाव बना सकते हैं. लेकिन फिलहाल यह सब संभव नहीं है.
मनुष्यों के बारे में यह तथ्य सुस्थापित हो चुका है कि हम बहुत दूर की योजना बनाने में गलतियां कर जाते हैं. हमें मंगल ग्रह तक जाना है लेकिन अगले 100 वर्षों में नहीं. हमें मंगल तक अभी ही जाना है! हम कोशिशें कर रहे हैं और संभव है कि अगले 10 से 20 वर्षों में मनुष्य के पग मंगल पर पड़ जाएं.
लेकिन चंद्रमा पर स्पेस स्टेशन बनाना मंगल की यात्रा से भी कठिन काम है. इसमें बहुत समय, श्रम और धन लगेगा.
क्या आप इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के बारे में जानते हैं? ISS मनुष्यों द्वारा आधुनिक काल में किया गया सबसे महंगा कंस्ट्रक्शन है. इसके निर्माण और रखरखाव पर अभी तक लगभग 115 अरब डॉलर खर्च हो चुके हैं, जबकि यह (सिर्फ) लगभग 100 मीटर लंबा है और धरती से 400 किलोमीटर ऊपर परिक्रमा कर रहा है.
अब कल्पना कीजिए कि ISS जितना ही बड़ा स्पेस स्टेशन चंद्रमा पर बनाने में कितनी कठिनाइयां आएंगीं और कितना धन लगेगा. इस काम के लिए कम-से-कम 30 अपोलो मिशनों को चंद्रमा पर जाना पड़ेगा. यह वाकई बहुत कठिन काम है.
इससे बेहतर यही होगा कि हम मंगल पर ह्यूमन कॉलोनी बनाने पर ध्यान केंद्रित करें. लेकिन मंगल पर भी एक कॉलोनी सफलतापूर्वक बनाना बहुत कठिन है और इसमें भी बहुत अधिक समय लगेगा. फिलहाल तो हमें इतने कुशल और साहसी व्यक्ति मंगल पर भेजना है जो वहां से कभी वापस नहीं आ पाने की दशा में भी वे भावी अंतरिक्ष यात्रियों के लिए तरह-तरह के परीक्षण करें, मंगल को हमारे लिए तैयार करने का प्रयास करें. मंगल पर जीवन को संरक्षित रखना चंद्रमा की तुलना में अधिक आसान भी होगा और व्यावहारिक भी होगा.
चंद्रमा पर स्पेस स्टोशन बनाने पर भी हमें ईंधन की समस्या से मुक्ति नहीं मिलेगी. यह सच है कि पृथ्वी की तुलना में चंद्रमा पर एस्केप वेलोसिटी कम है लेकिन यह इतनी भी कम नहीं है कि बड़े अंतरिक्ष यानों को चंद्रमा से बार-बार लांच किया जा सके. चंद्रमा की चट्टानों में हाइड्रोजन के एक आइसोटोप का पता चला है जो नाभिकीय संयोजन के लिए बहुत उपयुक्त है लेकिन उसका दोहन करना भी कोई सरल काम नहीं. हो सकता है कई दशक बाद तकनीक के विकास के फलस्वरूप हमें चंद्रमा पर एक फ्यूल स्टॉप मिल जाए.
चंद्रमा पर स्पेस स्टेशन नहीं बनाने से ही संबंधित और भी कई बातें हैं जिनकी चर्चा फिर कभी… (फोटो गूगल से)