24 अक्टूबर, 1946 को द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के लगभग एक वर्ष बाद वैज्ञानिकों और सैनिकों का एक दल न्यू मैक्सिको के रेगिस्तान में V-2 रॉकेट लांच करने के लिए जमा हुआ. इस रॉकेट को उन्होंने जर्मनी के समर्पण के बाद मिलनेवाली चीजों से एसेंबल किया था. यह पहला मौका था जब नाज़ियों द्वारा विकसित की गई आधुनिक तकनीक का उपयोग युद्ध के इतर किसी अच्छे उद्देश्य से किया जा रहा था.
इस रॉकेट के साथ उन्होंने 35 मिलीमीटर का मोशन पिक्चर कैमरा बांध दिया. इंजन चालू करते ही रॉकेट बहुत तेज गति से सीधा ऊपर गया. इस बीच कैमरा प्रति डेढ़ सेकंड में एक फोटो खींचता रहा और उन्हें पिराने जमाने की फिल्म रील पर स्टोर करता रहा. इस मिशन का पहला भाग अर्थात रॉकेट का प्रक्षेपण सफल रहा. अब उन्हें रेगिस्तान में जाकर रॉकेट के अवशेष को खोजकर उसमें से फिल्म रोल निकालना बाकी था.
जब वे रॉकेट की लैंडिंग साइट पर पहुंचे तो उन्हें बाह्य अंतरिक्ष से खींची गई पृथ्वी की सबसे पहली फोटो मिलीं. धरती से टकराने पर कैमरा पूरी तरह से नष्ट हो गया था लेकिन स्टील की कैसेट में रखी गई फिल्म सुरक्षित थी. इन फोटो को डेवलप किया गया, जो दानेदार (grainy) और लो-क्वालिटी की थीं लेकिन यह स्पष्ट था कि उन्हें अंतरिक्ष से लिया गया था. हमें बादलों के नीचे की पृथ्वी और उसकी वक्रता या गोलाई स्पष्ट दिख रही थी. सबसे ऊपर और ठीक नीचे दी गई दो फोटो उसी मिशन की हैं. यह उस समय के लिए बड़ी उपलब्धि थी.
इसके दो साल बाद 1948 में स्माल स्टेप्स प्रोग्राम (Small Steps program) के अंतर्गत इससे भी अच्छी फोटो ली गईं (नीचे देखिए).