सबसे पहले तो यह जान लें कि केवल उन्हीं उल्का पिंडों को वास्तव में खतरनाक (potentially hazardous) उल्का पिंड की श्रेणी में रखा जाता है जो पृथ्वी से 75 लाख किलोमीटर से अधिक निकट आ जाएं. उल्का पिंडों के परिक्रमा कुछ-कुछ समय में परिवर्तित होते रहते हैं. पृथ्वी से टकरा सकनेवाले किसी भी खतरनाक उल्का पिंड का पता हम समय रहते लगा सकते हैं. यदि हमें उल्का पिंड के बारे में पर्याप्त जानकारी हो तो हम इसका पचा लगा सकते हैं कि उसके पथ में कब और कितना परिवर्तन हो सकता है. इस प्रकार हम उससे हो सकने वाले नुकसान का आकलन भी कर सकते हैं. वर्तमान में हमारे पास खतरनाक श्रेणी के सभी उल्का पिंडों के बारे में पर्याप्त जानकारी है और उनमें से किसी के भी अगली कई शताब्दियों में पृथ्वी से टकराने का कोई चांस नहीं है.
खतरनाक श्रेणी का सबसे बड़ा उल्का पिंड है (53319) 1999 JM8, जिसका व्यास लगभग 7 किलोमीटर है. लेकिन इसके पृथ्वी से टकराने की कोई संभावना नहीं है और 21वीं शताब्दी में यह पृथ्वी से दूर ही रहेगा. ऊपर चित्र में आप इस उल्का पिंड की रेडार इमेज देख सकते हैं. इसका आकार बहुत अनियमित है.
(3122) फ़्लोरेंस एक दूसरा उल्का पिंड है जिसका व्यास लगभग 4.9 किलोमीटर है. यह खतरनाक श्रेणी का सबसे चमकदार उल्का पिंड है. यह वर्ष 2017 के अंत तक पृथ्वी के 70 लाख किलोमीटर तक निकट आ जाएगा और इसे बाइनोकुलर्स से देख पाना संभव होगा.
वह सबसे बड़ा उल्का पिंड जिसके निकट भविष्य (अगले 1000 वर्ष) में पृथ्वी से टकराने की अल्प संभावना है उसका नाम (29075) 1950 DA है. इसका व्यास लगभग 2 किलोमीटर है और इसके वर्ष 2880 में पृथ्वी से टकराने की संभावना 8,330 में से 1 है.