क्या आप जानते हैं कि ज्वालामुखियों से निकलनेवाली ऊष्मा का स्रोत पृथ्वी की पपड़ी (crust) में मौजूद रेडियोएक्टीविटी में है? खौलते पानी के गीज़र्स (geysers) रेडियोएक्टीविटी के द्वारा गर्म हुई चट्टानों के पानी के संपर्क में आने पर बनते हैं.
जब हम किसी खदान में गहराई में जाते हैं तो तापमान गहराई बढ़ने के साथ-साथ बढ़ने लगता है. एक मील नीचे तापमान लगभग 100 °C या 212 °F हो जाता है. गहरी खदानों में काम करनेवाले व्यक्ति इससे परिचित हैं. बहुत सी गुफाएं ठंडी होती हैं लेकिन गहराई बढ़ने पर वहां गर्मी लगने लगती है. यह सारी गर्मी वहां मौजूद चट्टानों में उपस्थित रेडियोएक्टीविटी के कारण होती है.
पृथ्वी के कोर से हम तक पहुंचनेवाली ऊष्मा की मात्रा बहुत कम है. वहां मौजूद उच्च ऊष्मा रेडियोएक्टीविटी के कारण नहीं होती. वह संभवतः उच्च दाब पर द्रव पदार्थ के ठोसीकरण (solidification) हो जाने से उत्पन्न होती है. लेकिन सतह तक आनेवाली बहुत सी गर्मी जो लावा और गीज़र्स का निर्माण करती है, वह चट्टानों में मौजूद प्राकृतिक रेडियोएक्टिव पोटेशियम, यूरेनियम और थोरियम से उत्पन्न होती है. (image credit)