भविष्य में मनुष्य कैसा दिखेगा? यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम कितने आगे की बात कर रहे हैं. नेशनल जियोग्राफिक पत्रिका में छपे इस फोटो में 50 साल बाद की औसत अमेरिकी महिला की छवि तैयार की गई है.
अगले 100 वर्षों में मनुष्यों के चेहरे-मोहरे में आनेवाला सबसे बड़ा बदलाव यह होगा कि अधिकांश फीचर्स फ्लैट हो जाएंगे. लोगों की त्वचा और आंखों का रंग बहुत फ्लैट हो जाएगा. अधिकांश लोग हल्के भूरे रंग के होंगे और उनमें पूरी दुनिया के लोगों के फीचर्स देखे जा सकेंगे. शुरुआत में (अगले 100 वर्षों में) लोग अपने स्थानीय फीचर्स संजो रखने में सक्षम होंगे अर्थात यदि हम एशिया में होंगे तो हम एशियन जैसे ही लगेंगे पर हमारी त्वचा का रंग कुछ हद तक बदल चुका होगा). यदि हम और आगे की बात करें तो मुझे लगता है कि 200 साल के बाद भविष्य की पीढ़ियां पूरी तरह से फ्लैट हो जाएंगी. मनुष्यों के रूप-रंग पर हमारे प्राकृतिक पर्यावरण का प्रभाव अधिक नहीं पड़ेगा क्योंकि बहुत अधिक तकनीकी विकास होने के कारण दूर की यात्राएं बहुत तेज और सरल हो जाएंगी.
विकासवाद के आधार पर हममें अनेक परिवर्तन आएंगे लेकिन वे विलक्षण नहीं होेंगे. हाल ही में नवजात शिशुओं में एक परिवर्तन देखने में आने लगा है. उनमें अक्कल दाढ़ (wisdom teeth) नहीं आ रही. अधिकांश शिशु बिना अक्कल दाढ़ के पैदा हो रहे हैं और दांतो के डाक्टरों का मानना है कि ऐसा विकासवाद के कारण हो रहा है. हमें इस जैसे कई परिवर्तन दिखेंगे लेकिन उनका अनुमान लगाना कठिन है क्योंकि वे हमारी सहजीवी प्रवृत्ति और टैक्नोलॉजी पर निर्भरता के कारण उत्पन्न होंगे.
ये सारे परिवर्तन पृथ्वी पर रहनेवाले मनुष्यों के संदर्भ में हैं. चंद्रमा, मंगल ग्रह पृथ्वी की कक्षा या किसी अन्य तारामंडल में रहनेवाली पीढ़ियां अलग तरह से विकसित होंगीं.
मनुष्यों में दिखनेवाले अधिकांश परिवर्तन प्राकृतिक कारणों से होंगे. यह हो सकता है कि भविष्य में बहुत अधिक तकनीकी विकास होने के कारण DNA में परिवर्तन करना बहुत सरल हो जाए, जिससे हमें अपने फीचर्स जैसे आंखों या त्वचा के रंग को मनचाहे तरीके से बदलने में सफलता मिल जाए. कुछ सौ वर्षों के भीतर प्राकृतिक और आनुवांशिक विकास गौण हो जाएगा क्योंकि तकनीक हर काम करने में सक्षम होगी.
हालांकि हमारे पास अभी इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है लेकिन हम मान सकते हैं कि हमारे मष्तिष्क गणित जैसी अमूर्त प्रक्रियाओं को करने में और अधिक सक्षम हो जाएंगे और हमें पैतृक प्रवृत्तियों से मुक्ति मिलती जाएगी. हजारों वर्षों तक हम अंधकार से भयभीत होते रहे और हमें अपनी प्रजाति (और जीन्स) को संरक्षित बनाए रखने के लिए संघर्ष करना पड़ा लेकिन भविष्य के मनुष्य को यह सब नहीं करना पड़ेगा.
इसके साथ ही हम यह उम्मीद भी कर सकते हैं कि भविष्य में किसी प्रकार का प्राकृतिक महाप्रकोप, प्रलय या भीषण युद्ध हमारी पूरी प्रजाति को नष्ट न कर दें और मनुष्यों को नए सिरे से सभ्यता की शुरुआत करनी पड़े. (image credit)