कुछ नहीं होगा. यूरेनियम को छूने मात्र से आपको रेडिएशन की इतनी कम मात्रा मिलेगी जिसे आपकी त्वचा आसानी से ब्लॉक कर देगी और आपको कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा. आप X-men नहीं बनोगे. आप अंधेरे में चमकोगे नहीं. आपमें कोई सुपरपॉवर नहीं आएगी. आपने सिर्फ धूसर रंग की एक धातु को ही छुआ है.
पीने के पानी में यूरेनियम के लिए मैक्सिमम कंटामिनेट लेवल (maximum contaminant level या MCL) 30ug/L (30 माइक्रोग्राम प्रति लीटर) है. इसका अर्थ यह है कि इतनी मात्रा में शरीर में यूरेनियम पहुंचने से हानि होने की संभावना नहीं है. यदि आप अपने पूरे जीवन में इससे कम मात्रा के यूरेनियम वाला पानी पीते रहे हों तो भी आपको कैंसर या कोई अन्य रोग होने की संभावना न के बराबर है.
कैमिकल और फ़िजिक्स की प्रयोगशालाओं में लोग सुरक्षित वातावरण में यूरेनियम के बीच रहते हैं पर उन्हें कुछ नहीं होता.
यूरेनियम-238, DU (Depleted uranium) और प्राकृतिक यूरेनियम बहुत खतरनाक नहीं होते. शुद्ध यूरेनियम को नंगे हाथों से छूने से बचना चाहिए लेकिन यदि आपने इसे छू लिया हो तो बाद में हाथों को अच्छे से धो लेने से किसी प्रकार की हानि की संभावना नहीं होगी.
लेकिन यदि यूरेनियम आपके शरीर के भीतर किसी तरह से पहुंच गया तो खतरा कई बातों पर निर्भर करता है. यूरेनियम के कण यदि हमारी सांस से भीतर चले जाएं तो इसकी बहुत कम मात्रा हमारे फेफड़ों के टिशू द्वारा सोख ली जाएगी. वहां से यह हमारे खून में पहुंच जाएगा. खून में इसके एनॉयनिक कार्बोनेट कंपाउंड बनेंगे जो पेशाब से होकर बाहर निकल जाएंगे. यूरेनियम की अधिक मात्रा शरीर के भीतर पहुंचने पर कोशिकाओं को खतरा पैदा हो जाता है. इससे क्रोमोसोम को भी खतरा होता है.
U-238 की हाफ़ लाइफ़ 4.46 अरब वर्ष है, अर्थात इसके बहुत कम परमाणुओं का बहुत कम समय में क्षय होता है. जब इसके परमाणुओं का क्षय होता है तब एल्फ़ा कण निकलते हैं. यूरेनियम के पिंड के भीतर से ये कण सघनता अधिक होने के कारण बाहर नहीं निकल पाते. पिंड की बाहरी सतह से कुछ कण निकलते रहते हैं लेकिन उनकी ऊर्जा इतनी कम होती है कि वे हमारी त्वचा को भी नहीं भेद पाते.