हम नवें ग्रह को क्यों नहीं खोज पा रहे हैं?

अगस्त 2006 में International Astronomical Union (IAU) ने प्लूटो के ओहदे को डाउनग्रेड करके उसे बौने ग्रह की श्रेणी में डाल दिया. अब भीतरी सौरमंडल के चट्टानी ग्रह और बाहरी सौरमंडल के गैसीय ग्रहों को ही वास्तविक ग्रह माना जाता है.

वर्ष 2016 के प्रारंभ में खोजकर्ताओं ने यह घोषणा की कि उन्हें एक विशाल बर्फीले ग्रह के प्रमाण मिले हैं जो प्लूटो के परिक्रमा पथ के बहुत पीछे सूर्य की परिक्रमा कर रहा है… लेकिन इसका कोई पुष्ट प्रमाण नहीं मिला है.

आखिर क्या कारण है कि इतनी विकसित दूरबीनें और अन्य मशीनों को होते हुए भी हम नवें ग्रह को नहीं खोज पा रहे हैं. सबसे महत्वपूर्ण कारण ये हैं –

  1. शायद यह बहुत छोटा है.
  2. यह बहुत अंधेरे क्षेत्र में है. इस तक सूर्य का प्रकाश न के बराबर ही पहुंच रहा है.
  3. हमें पता नहीं कि इसे कहां ढूंढें.

यदि यह है तो इसका औसत परिक्रमा पथ लगभग 200AU की त्रिज्या में होगा. 1AU = सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी. प्लूटो पृथ्वी से औसतन लगभग 39.5AU की दूरी पर है. इस प्रकार यह ग्रह प्लूटो की तुलना में सूर्य से पांच गुना दूरी पर है.

सामान्य ट्रिगनॉमेट्री की सहायता से हम (इसकी त्रिज्या के अनुमान के आधार पर) यह जान सकते हैं कि यह लगभग 7×10¯¹º रेडियन के कोण पर स्थित होगा. हमारे दृश्य स्पेक्ट्रम में इतनी छोटे ऑब्जेक्ट को देखने के लिए हमें ऐसी दूरबीन की ज़रूरत होगी जियका व्यास 854 मीटर हो. इतना बड़ा टेलीस्कोप शायद ही कभी बने.

यह ग्रह घने अंधकार में डूबा है. तारे बहुत गर्म होते हैं और बहुत प्रकाश उत्सर्जित करते हैं. तारों के निकट स्थित ग्रह भी गर्म रहने के कारण बहुत विकिरण छोड़ते हैं. लेकिन 200AU की दूरी पर नवां ग्रह बहुत ठंडा होगा. इससे निकलनेवाले विकिरण की मात्रा न के बराबर होगी और सूर्य से इतनी दूरी पर होने के कारण यह सूर्य के प्रकाश को भी परावर्तित नहीं कर पाएगा. यही कारण है कि इसे देखने के लिए हमें अपनी दूरबीन की क्षमता का बहुत अधिक विस्तार करना पड़ेगा.

और मजे की बात यह है कि इतनी बड़ी दूरबीन के होने पर भी हमें यह नहीं पता होगा कि उसे किस दिशा में कितनी दूर फोकस करें. अंतरिक्ष इतना विशाल है कि खोजकर्ताओं को अपनी दूरबीनें आकाश के सिक्के के आकार के पैच पर सेट करके कई महीने तक अवलोकन करना पड़ता है फिर भी उन्हें कुछ नहीं मिलता.

नवें ग्रह को खोजने की कुछ दूसरी ऑप्टिकल ट्रिक भी हो सकती हैं. तारों के सामने से इसे संक्रमण (transition) करते हुए भी देखा जा सकता है लेकिन… यह बहुत कठिन काम है.

नवां ग्रह वहीं-कहीं है. लेकिन इसे खोजना भूसे से भरे गोदाम में सुई खोजने जितना कठिन है. यह तभी मिल पाएगा जब इसे खोजने की कोई ट्रिक होगी… या फिर हम इतने भाग्यशाली हों…

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