रोज़ एक मेंढक खाइए!
ऊपर वाली लाइन पढ़कर चौंकिए नहीं. सुबह उठने पर आपको सबसे पहला काम यही करना है… आपको एक मेंढक खाना है.
ओह! तो आप भी मेरी तरह शाकाहारी हैं… कोई बात नहीं… फिर भी आप सुबह-सुबह एक मेंढक खा सकते हैं.
शायद मार्क ट्वेन ने ही यह कहा था, “यदि आपका दिन का सबसे पहला काम एक मेंढक खाना है तो बेहतर होगा कि इसे आप सुबह उठते ही कर लें. और यदि आपको दो मेंढक खाने हों तो उनमें से बड़े वाले मेंढक को पहले खाना सही रहेगा.”
सुबह उठकर मेंढक खाने का तात्पर्य यहां दिन में सबसे पहले उस काम को पूरा कर देना है जिसे आपको मजबूरी में करना है. आप यह काम बिल्कुल भी नहीं करना चाहते. लेकिन आपको यह काम हर हाल में जल्द-से-जल्द करना है. यह वह काम है जिसे आज करने का संकल्प लेकर आप रात में सोए थे.
मेंढक खाने का अर्थ यह है कि आपको इसे हर हाल में करना है अन्यथा मेंढक आपको खा जाएगा… मतलब आप पूरा दिन इसे टालते रहेंगे और काम नहीं हो पाएगा. लेकिन अपना मन मारकर, अपने कलेजे पर पत्थर रखकर, कुछ समय के लिए टिके बैठे रहकर, कुछ देर के लिए दुनिया और दोस्तों से खुद को काटकर यदि आपने यह काम पूरा कर लिया तो आपके ऊपर से बड़ा बोझ उतर जाएगा. आप खुद को हल्का महसूस करेंगे. आपका पूरा दिन अच्छे से बीतेगा. आपमें यह भावना उत्पन्न होगी कि आपने कुछ अचीव कर लिया है और आप चाहें तो और भी कठिन काम कर सकने में सक्षम हैं.
आप इन मेंढकों की पहचान कैसे करेंगे?
यह बहुत आसान है. अपने काम को इन कैटेगरीज़ में बांट लीजीए –
- वे काम जिन्हें आप करना चाहते हैं और जिन्हें करना ज़रूरी है.
- वे काम जिन्हें आप करना चाहते हैं लेकिन जिन्हें करना ज़रूरी नहीं है.
- वे काम जिन्हें आप नहीं करना चाहते पर जिन्हें करना ज़रूरी भी नहीं है.
- वे काम जो आप करना नहीं चाहते, लेकिन जिन्हें करना बहुत ज़रूरी है.
मेंढक वे काम हैं जिन्हें आप बिल्कुल भी नहीं करना चाहते लेकिन जिन्हें करना बहुत ही ज़रूरी है. इनका कोई आल्टरनेटिव नहीं है. ये काम आपको ही करने हैं. कोई दूसरा इसमें आपकी मदद नहीं करेगा.
किसी भी ज़रूरी काम को करने में हम टालमटोल इसलिए करते हैं कि हममें उसे करने की इच्छा नहीं होती या पर्याप्त मोटीवेशन नहीं होता या हमें वह बहुत कठिन लगता है. हमें हमेशा यही लगता है कि हम किसी दिन वक्त निकालकर उसे जैसे-तैसे पूरा कर लेंगे लेकिन वह दिन कभी नहीं आता. हमें उसे हर हाल में जल्द-से-जल्द पूरा करना है लेकिन उसे करना टलता रहता है. डेडलाइनें हमारे सर पर सवार हो जाती हैं. ऐसे में यदि हम झक मारकर वह काम कर भी लेते हैं तो वह इम्प्रैसिव नहीं होता. उसे देखकर कोई हमारी तारीफ़ नहीं करता.
इसलिए हर दिन सुबह-सुबह एक मेंढक खाने की आदत डाल लीजिए. शुरुआत में यह काम बहुत कठिन लगेगा. लेकिन जैसे-जैसे आप यह काम करते जाएंगे, आपको अच्छा लगने लगेगा और आपके काम में और जीवन में अभूतपूर्व सुधार आएगा. आप हर दिन बेहतर बनते जाएंगे.
तो… कल से शुरुआत करें? 🙂
यह पोस्ट Quora पर गौरव नाम्टा के एक उत्तर पर आधारित है. गौरव मैकेनिकल इंजीनियर हैं और कोलकाता में रहते हैं.
Photo by Kevin Bhagat on Unsplash
very good sir ji.
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बहुत सही बात कही है जो काम हमको नहीं करना उसके पीछे हम और भी कई काम को पूरा नहीं कर पाते है
में इस बात से बहुत प्रभावित हूँ और इसको अपने जीवन में करने की बात करता हूँ
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bhut hi acha article sir.. ha ha ha ha
apne to ek mendak ke dwara vykti mi sabse badi kaami ki or isara kiya hai.
Es choti se kami ko ham log ignore krte rhte hai or bad me yah hmari aadat bn jata hai..
Khud mere me kaam ko bar bar nakarne ki kam hai.
ab mai har roj sbse phle to is Mendak ko hi khaunga …… Sakahari hote huye bhi
Thanks for this..
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बहुत बढ़िया निशांत भाई – सचमुच हम हर दिन जरूरी कामों को टालते हैं। संभवत: डेडलाइन का प्रेशर लेने की लत ऐसा कराती है। टालना बुरी आदत है अौर इसके नतीजें कई तरह के नुकसानों के रूप में मिलते रहते हैं। निश्चित रूप से मुझे इस पोस्ट से प्रेरणा मिली । शुक्रिया .
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सोलह आना सटीक
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sir ji ise apni Face book pe post karna chahta hu. Kripya anumati de. Bahut hi shaandaar post.
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इसे तो वायरल होना चाहिए.
मैं कल से ही अपने मेंढकों को खाने की कोशिश करता हूँ. 🙂
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Bhut acha!!!
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Sachchi bat
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