अंतरिक्ष का शून्य और इंटरगैलेक्टिक सुपरक्लस्टर्स

अंतरिक्ष में शून्य नहीं है

हमारा वातावरण हर समय बहुत धीरे-धीरे अंतरिक्ष में लीक होता रहता है. ऐसा हर उस ग्रह के साथ होता है जिसमें वातावरण होता है. वातावरण में उपस्थित गैसें सौर विकिरण से टकराकर छिटक जाती हैं, गुरुत्वीय बलों से बाहर खींच ली जाती हैं, और एक-दूसरे से टकराकर बाहर चली जाती हैं. इसीलिए बाह्य अंतरिक्ष में हवा व गैसों की बहुत विरल मौजूदगी होती है. इस हवा में किस प्रकार का जीवन संभव नहीं है. इसमें ध्वनि भी विचरण नहीं कर सकती. बाह्य अंतरिक्ष वास्तव में हमारे वातावरण की सबसे बाहरी पर्त है.

इसके अलावा यह भी माना जाता है कि ब्रह्मांड के द्रव्यमान का अधिकांश भाग डार्क मैटर से बना है. डार्क मैटर पदार्थ की वह अवस्था है जिसके बारे में हमें प्रत्यक्ष प्रमाणों से कुछ ज्ञान नहीं है. हम इसके प्रभावों का आकलन केवल अप्रत्यक्ष रूप से ही कर सकते हैं. इसके गुरुत्वीय प्रभाव का आकलन तारों व अन्य पिंडों की गतियों में अनियमितता तथा प्रकाश की “लेंसिंग” (नीचे फोटो देखें) द्वारा किया जा सकता है.

और, जैसा कि आप जानते ही हैं कि दृश्य ब्रह्मांड में अनगिनत मंदाकिनियां और तारे हैं, और अभी तक तो हम यही जानते हैं कि ब्रह्मांड का कोई ओर-छोर नहीं है, यह असीम है. इसमें अनंत मंदाकिनियां, अनंत सूर्य और अनंत विश्व हैं.

लेकिन ब्रह्मांड के बारे में हमारे पास और भी रोचक जानकारी है…

हमारी आकाशगंगा महाविराट इंटरगैलेक्टिक सुपरक्लस्टर में स्थित है

सबसे ऊपर दिए गए चित्र में लानिआकिया नामक गैलेक्टिक सुपरक्लस्टर या महागुच्छ दिख रहा है. इसमें दिख रहे लाल बिंदु में हमारी आकाशगंगा स्थित है. इस सुपरक्लस्टर में लगभग 1 लाख मंदाकिनियां हैं और यह 52 करोड़ प्रकाश वर्ष में फैला है. इस सुपरक्लस्टर के केंद्र में ग्रेट अट्रैक्टर नामक एक सुपरमैसिव वस्तु (या सुपरमैसिव ब्लैक होल) मौजूद है जिसका भार हमारी आकाशगंगा से भी हजारों गुना अधिक है. हमारी आकाशगंगा और करोड़ों प्रकाश वर्षों में फैली अन्य सभी मंदाकिनियां इस एकमात्र वस्तु की परिक्रमा कर रही हैं. और हैरत की बात यह है कि ब्रह्मांड में इस सुपरक्लस्टर जैसे अनगिनत सुपरक्लस्टर हैं.

पृथ्वी सौरमंडल में सूर्य की परिक्रमा करती है. सूर्य आकाशगंगा के केंद्र की परिक्रमा करता है. हमारी आकाशगंगा लानियाकिया सुपरक्लस्टर के केंद्र में स्थित ग्रेट अट्रैक्टर की परिक्रमा कर रही है. हो सकता है कि लानियाकिया इससे भी बड़ी किसी वस्तु की परिक्रमा कर रहा हो जो अरबों प्रकाश वर्ष दूर हो और लानियाकिया से भी हजारों गुना बड़ी हो.

हमारा ब्रह्मांड अविश्वसनीय, अकल्पनीय और असीम है. इसमें अभी भी ऐसा बहुत कुछ है जिसे खोजा जाना बाकी है. हम इससे हमेशा कुछ-न-कुछ सीखते हैं. यह हमारी ज्ञान की प्यास को कभी बुझा नहीं पाएगा.

लानियाकिया हवाई भाषा का शब्द है. इसका अर्थ हैः असीम-अथाह स्वर्ग.

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