हमारी आकाशगंगा के गैलेक्टिक कोर या सेंट्रल बल्ज (central bulge) में तारे बहुत सघनता में हैं. यह बहुत खतरनाक क्षेत्र है. वहां तारे इतनी पास-पास हैे कि वे एक-दूसरे के सौरमंडल को तहसनहस कर देते हैं. इन तारों में अक्सर विस्फोट होते रहते हैं, जिनसे निकलनेवाला रेडिएशन पूरी आकाशगंगा में प्रसारित होता रहता है. यह रेडिएशन ग्रहों को राख कर देता है और किसी प्रकार के जीवन की उत्पत्ति में बाधक है. लेकिन हम यदि आकाशगंगा के केंद्र के समीप किसी ग्रह पर हों और रात में आकाश को देखें तो हमें बहुत अद्भुत दृश्य दिखेगा. आकाश में तारे बहुत अधिक मात्रा में दिखेंगे और उनके प्रकाश में पढ़ सकना भी संभव होगा.
ऊपर दी गई फोटो में आकाशगंगा के केंद्रीय भाग को दिखाया गया है. इस फोटो में कहीं किसी क्षेत्र में आकाशगंगा का अपना सुपरमैसिव ब्लैक होल भी होगा. लेकिन उसे आकाशगंगा का केंद्र कहना सही नहीं है. इसका गुरुत्व बल इतना अधिक नहीं है कि वह बल्ज पर हावी हो सके. इसका भार चालीस लाख सूर्य जितना होगा लेकिन इसकी तुलना में पूरे बल्ज का भार अरबों सूर्य के जितना होगा.
आपको 40 लाख सूर्यों के भार की बात सुनकर हैरत होगी लेकिन इतना शक्तिशाली होने पर भी यह कुछ प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित पिंडों को ही अपनी ओर खींच पाएगा. वहां हमें कुछ तारे मिलेंगे जो बहुत कसी हुई कक्षा में इस सुपरमैसिव ब्लैक होल की परिक्रमा करते हैं. वे इसके जितने करीब होंगे, उनकी गति उतनी ही अधिक होगी. इस सुपरमैसिव ब्लैक होल का नाम सैजिटेरियस-ए (Sagittarius A) है. S0–102 नामक एक तारा इसकी परिक्रमा केवल 11.5 वर्षों में कर लेता है. जब यह तारा ब्लैक होल के सबसे निकट होता है तो वह सूर्य से पृथ्वी की दूरी के केवल 260 गुना अधिक दूरी पर होता है और इसकी गति प्रकाश की गति का लगभग 1% होती है.
लेकिन सैजिटेरियस-ए का प्रभाव बहुत छोटे क्षेत्र पर ही पड़ता है जबकि आकाशगंगा का सेंट्रल बल्ज बहुत विशाल है. यह आकाशगंगा के द्रव्यमान के केंद्र के समपाती भी नहीं है. इस क्षेत्र में आपको तारे ही तारे, गर्म गैस के बादल, और बहुत हलचल होती दिखेगी. हम भाग्यशाली हैं कि हमारा सौरमंडल उस जगह है जहां यह सब भयानक घटनाएं नहीं होतीं.
लेकिन मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि इन घटनाओं की आवृत्ति बहुत कम है. यदि आप इसी पल आकाशगंगा के केंद्र के निकट चले जाएं तो वहां के आकाश देखने पर आपको कुछ भी अपनी आंखों के सामने घटित होता नहीं दिखेगा. इन घटनाओं को घटने में करोड़ों साल लगते हैं और एक मानव जीवन में हम ऐसा बहुत कुछ होते नहीं देख पाएंगे. आपका आकाश हमेशा एक-सा और अपरिवर्तित दिखेगा. लगातार कई वर्षों तक आकाश को बारीकी से देखते रहने पर ही आपको कुछ तारों की गति में होते परिवर्तन पहचान में आएंगे. ये वे तारे होंगे जो आपके सबसे निकट होंगे और जिनकी गति सुसंगत होगी. आकाश गंगा के केंद्र के बारे में सोचने पर हमारे मन में जिन प्रलयंकारी घटनाओं के विचार आते हैं वे यदा-कदा ही होती हैं. यदि हम कई सौ साल जी सकें तो ही ऐसी कुछ घटनाओं को घटित होते देख पाएंगे.