हर व्यक्ति जानता है कि जीवन में सही निर्णय लेना कितना महत्वपूर्ण है.
जीवन में सही समय पर सही निर्णय लेने मात्र से ही कुछ लोग कठोर परिश्रम करनेवालों से आगे निकल जाते हैं.
सही समय पर सही निर्णय लेने से कुछ लोग भाग्य या लक जैसी अवधारणाओं को पीछे छोड़ जाते हैं.
निर्णय लेने में जल्दबाजी करना या निर्णय लेने में देर कर देने के कारण हमें कई नुकसान झेलने पड़ते हैं. एक गलत निर्णय हमारे जीवन की दिशा बदल सकता है.
चीन में लोग कहते थे, “三思而後行” (कोई भी काम करने के पहले कई बार सोचो). कहा जाता है कि महान दार्शनिक कन्फ़्यूशियस ने अपनी क्लासिक रचना एनालेक्ट्स में सबसे पहली बार लोगों को यह सलाह दी.
मुझे लगता है कि चीनी लोग और हम लोगों में से भी अधिकांश जन कई शताब्दियों से इस सूत्रनुमा सिद्धांत को निर्णय लेने के लिए महत्वपूर्ण मानकर उपयोग में ला रहे हैं. लेकिन इस बारे में और अधिक जानकारी जुटाने पर मुझे इस बात का पता चला कि यह सिद्धांत परिपूर्ण भी नहीं है और व्यावहारिक भी नहीं है.
कन्फ़्यूशियस की मूल एनालेक्ट्स की पांचवीं पुस्तक के उन्नीसवें अध्याय में यह सूत्र अपने पूर्ण रूप में आता है, – 季文子三思而後行。子聞之,曰:“再,斯可矣。”
उन्नीसवीं शताब्दी के प्रसिद्ध स्कॉटिश साइनोलॉजिस्ट (चीनशास्त्री) जेम्स लेग ने इस सूत्र का अनुवाद इस रुप में किया, – ची वान ने तीन बार सोचा और फिर कार्य किया. जब उसने गुरु को यह बताया तो गुरु ने कहा, “दो बार ही पर्याप्त है”.
इस प्रकार कन्फ़्यूशियस ने वास्तव में दो बार और केवल दो बार ही विचार करके निर्णय लेने का परामर्श दिया था.
कई बार नहीं. तीन बार भी नहीं. केवल दो बार.
और केवल एक बार भी नहीं.
किसी भी बात या काम के बारे में दो बार सोचिए, फिर कीजिए.
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