पृथ्वी पर सब कुछ नष्ट हो जाएगा. सब कुछ से मेरा तात्पर्य है सारे जीव-जंतु तथा पादप प्रजातियां.
चंद्रमा का आधे से भी अधिक भाग यदि किसी भी कारण से नष्ट हो जाए तो बाकी का भाग भी टूटकर बिखर जाए. ऐसी किसी भी दशा में चंद्रमा पूरी तरह से नष्ट हो जाएगा.
आप इस बात की कल्पना करके देखें जब आपको आकाश में हर तरफ चट्टानी मलबा बिखरा दिखेगा. इसमें से कुछ मलबा पृथ्वी अपने गुरुत्व से खींच लेगी और यह उल्का पिंडों की तरह हमारी सतह से टकराएगा.
क्या आप जानते हैं कि जिस उल्का पिंड के टकराने से डायनोसौरों का सफाया हो गया उसका आकार लगभग 10-15 किलोमीटर था.
चंद्रमा का व्यास 3,474 किलोमीटर है. इतने बड़े चंद्रमा के टुकड़े-टुकड़े हो जाने पर पृथ्वी के समीप छोटे-बड़े हजारों उल्का पिंड तैर रहे होंगे. इनमें से कई उल्का पिंड कभी-न-कभी पृथ्वी से अवश्य टकराएंगे.
इसके अलावा, चंद्रमा को तोड़ देने वाली घटना भी उसके किसी अन्य पिंड से टकराने के कारण घटित होगी. चंद्रमा से टकराकर उसे नष्ट कर देनेवाले पिंड के टुकड़े भी चंद्रमा की एस्केप वेलोसिटी को पार करके पृथ्वी की ओर बढेंगे. हमारी तरफ आते वक्त उनकी गति कितनी ही कम हो पर वायुमंडल में प्रवेश करते ही वे आग के विकराल दानवों में बदल जाएंगे.
चंद्रमा से टूटनेवाला 100 किलोमीटर व्यास का टुकड़ा भी पृथ्वी से हर बहुकोषीय जीवन का खात्मा कर देगा. चंद्रमा में इतनी सामग्री है कि इस आकार के 10,000 टुकड़े आसानी से बन सकते हैं. (image credit)