हम पृथ्वी के केंद्र या कोर तक ड्रिल कर सकते हैं.
अभी तक हम धातु की ड्रिलों से खुदाई करते हैं. ये ड्रिलें सामान्य तापमान पर ठोस रहती हैं लेकिन जैसे-जैसे हम गहराई में जाते हैं पृथ्वी का तापमान तेजी से बढ़ने लगता है. ड्रिल बिट्स पिघलने लगती हैं और गहराई में स्थित चट्टानें भी सॉफ्ट होने लगती हैं. ड्रिल बिट्स को खींचकर वापस निकालने पर छेद की भीतरी दीवारों से पदार्थ छेद में वापस गिरने लगता है.
इस समस्या का समाधान क्या है?
लेज़र से ड्रिलिंग करना. यदि हमारे पास पर्याप्त शक्तिशाली लेज़र हो तो उससे पृथ्वी के कोर तक ड्रिलिंग की जा सकती है. इससे ड्रिलिंग इतनी तेजी से होगी कि छेद को स्वयं में धंसने से भी बचा जा सकता है. लेकिन ऐसी ड्रिलिंग मशीन अविश्वसनीय रूप से शक्तिशाली होने पर भी भौतिकी के नियमों का उल्लंघन नहीं कर सकती. इस प्रकार की लेज़र ड्रिलिंग मशीन बनाने की तकनीह हमारे पास है लेकिन इसपर आनेवाला खर्च इतना बड़ा होगा कि इसे कोई भी कभी बनाना नहीं चाहेगा.
लेकिन हमें लेज़र ड्रिलिंग मशीन से कोई भी लाभ नहीं होगा. इस मशीन को बंद करते ही छेद बंद हो जाएगा और हम यह जान नहीं पाएंगे कि भीतर क्या है. किसी भी प्रकार की ड्रिलिंग का वास्तविक उद्देश्य पृथ्वी के भीतर स्थित पदार्थ को निकालना या उसका सैंपल लेना होता है. जब लेज़र ड्रिलिंग मशीन हमारे लिए ये दो काम नहीं कर सकती तो उसका कोई उपयोग नहीं होगा.
उपयोगिता के अनुसार शायद २९०९९ तक
पसंद करेंपसंद करें