भले आदमी की परछांई

बहुत पुरानी बात है. कहीं एक भला आदमी रहता था जो सभी से असीम प्रेम करता था और सारे जीवों के प्रति उसके ह्रदय में अपार करुणा थी. उसके गुणों से प्रसन्न होकर ईश्वर ने उसके पास अपना देवदूत भेजा.

“ईश्वर ने मुझे आपके पास यह कहने के लिए भेजा है कि वे आपसे बहुत प्रसन्न हैं और आपको कोई दिव्य शक्ति देना चाहते हैं” – देवदूत ने कहा – “क्या आप लोगों को रोगमुक्त करने की शक्ति प्राप्त करना चाहेंगे?”

“बिलकुल नहीं” – भले आदमी ने कहा – “मैं यह चाहूँगा कि ईश्वर स्वयं इस बात का निर्णय करे कि किसे रोगमुक्त किया जाय”.

“तो फिर आप पापियों को सद्मार्ग पर वापस ले आने की शक्ति ग्रहण कर लें”

“यह तो आप जैसे देवदूतों का काम है. मैं नहीं चाहता कि लोग मसीहा जानकर मेरा सम्मान करें या मुझे ऐसे प्रतिमान के रूप में स्थापित कर दिया जाय.”

“आपने तो मुझे संकट में डाल दिया” – देवदूत ने कहा – “आपको कोई शक्ति दिए बिना मैं स्वर्ग नहीं लौट सकता. यदि आप स्वयं कोई शक्ति नहीं लेना चाहेंगे तो मुझे विवश होकर आपके लिए चयन करना पड़ेगा”.

भले आदमी ने कुछ क्षणों के लिए सोचा, फिर कहा :-

“ठीक है, यदि ऐसा है तो मैं चाहता हूँ कि ईश्वर मुझसे जो भी शुभ कर्म करवाना चाहता है वे स्वतः घटित होते जाएँ परन्तु उनमें मेरा हाथ होने का पता किसी को भी नहीं चले, मुझे भी नहीं, ताकि स्वयं को ऐसी क्षमता से युक्त जानकार मुझमें कभी अहंकार न उपजे”.

“ऐसा ही हो” – देवदूत ने कहा. उसने भले आदमी की परछाईं को रोगमुक्त करने की दिव्य शक्ति से संपन्न कर दिया परन्तु केवल उसी समयकाल के लिए जब उसके चेहरे पर सूर्य की किरणें पड़ रहीं हों. इस प्रकार, वह भला आदमी जहाँ कहीं भी गया वहां लोग रोगमुक्त हो गए, बंजर धरती में फूल खिल उठे, और दुखियों के जीवन में वसंत आ गया.

अपनी दिव्य शक्तियों से अनभिज्ञ वह भला आदमी सालों तक दूरदेशों की यात्रायें करता रहा. उसके पीछे सदैव चल रही उसकी परछाईं ईश्वरीय इच्छा को पूर्ण करती रही. उसे जीवनपर्यंत इसका बोध नहीं हुआ कि वह परमेश्वर के कितना करीब था.

(पाउलो कोएलो के ब्लॉग से) Photo by Eris Setiawan on Unsplash

There are 2 comments

  1. Gyandutt Pandey

    “मुझसे जो भी शुभ कर्म करवाना चाहता है वे स्वतः घटित होते जाएँ परन्तु उनमें मेरा हाथ होने का पता किसी को भी नहीं चले”
    ———-
    यह तो लोगों की ऑजर्व कर पाने की सामान्य मेधा पर अंकुश जैसा है। यह नहीं होना चाहिये। इसका परिणाम शुभ नहीं होगा।

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