सुशांत झा पत्रकार और अनुवादक हैं. दो दिन पहले उन्होंने फेसबुक पर अच्छी नींद लेने के लिए एक पोस्ट लिखी थी जिसे उनकी सहमति से हिंदीज़ेन पर प्रस्तुत किया जा रहा है. इस पोस्ट में नींद और भोजन का कनेक्शन बहुत अच्छे से बताया गया है. ये सारी बातें हमारे पारंपरिक ज्ञान (कन्वेंशनल विज़्डम) का हिस्सा थीं लेकिन महानगरीय जीवन की आपाधापी में हम उन्हें बिसरा चुके हैं. आप सुशांत की रोचक शैली में लिखी पोस्ट से लाभ उठाएं. मूल पोस्ट में आए उनके कमेंट भी नीचे जोड़ दिए गए हैं :-
1. रात से शुरू करते हैं. कोशिश करें कि रात का खाना जितनी जल्दी खा सकें, खा लें. सोने से कम से कम 3 घंटे पहले खाना खा लें. ज्यादातर लोग खाना खाकर तुरंत सोने चले जाते हैं. यह ठीक बात नहीं है.
2. लगभग पूरा चीन सूर्यास्त से पहले खाना खा लेता है. लगभग 80 फीसदी अमेरिकी शाम में 8 बजे तक डिनर कर लेते हैं. हमारे यहां जैनी भी ऐसे करते थे और पुराने जमाने में पूरा समाज सवेरे खाना खाता था. गांव में आज भी रात में 8 बजे तक लोग खाना खा लेते हैं. शहरों में ही कुछ लोग रात में 11 बजे खाते हैं और 2 बजे सोते हैं फिर सुबह में 10 बजे उठकर दिन भर भकुआते हुए घूमते रहते हैं.
3. खाना खाकर तुरंत सोने का मतलब ये है कि जब आप सोने जाते हैं तो शरीर कुछ काम कर रहा होता है. वो पाचन क्रिया में जुटा होता है. ऐसे में गाढी नींद नहीं आएगी. हम सोने के नाम पर खाना-पूर्ति कर रहे होंगे. बेहतर है कि सोने से 3 घंटा पहले खा लें. लेकिन खाना खाते ही नींद आने लगती है, उसकी वजह ये है कि रात का खाना ज्यादा खाते हैं और आदत भी वैसी बनी हुई है. हम साइकलॉजिकली ऐसे हो गए हैं. हम रात का खाना हल्का लें, नींद नहीं आएगी तुरंत. और हां, इसके लिए प्रयास करना होगा कुछ दिन.
4. बेहतर नींद के लिए भोजन पर ध्यान देना जरूरी है. महात्मा गांधी ने इसे लेकर कई प्रयोग किए थे. उन्होंने कम घंटों में पूरी नींद लेने की महारत हासिल कर ली थी. भोजन कम से कम दिन में तीन बार और हो सके तो 5 बार थोड़ा-थोड़ा करके लें. अपने यहां कॉरपोरेट में काम करनेवालों को समय ही नहीं मिलता कि सुकून से खा सकें. लेकिन इस पर ध्यान देना होगा.
5. कोशिश करिए कि रात के 9 बजे के डिनर की जगह शाम 7-8 बजे ही डिनर लिया जाए और शाम का नाश्ता हल्का रखा जाए या स्किप भी कर सकते हैं. आजकल बहुत से लोग पढ़ाई या नौकरी के कारण परिवार से दूर रहते हैं. लगातार बाहर रहने की वजह से अनाप-शनाप खाने की आदत पड़ जाती है. जबतक ये आदत नहीं सुधरती, क्यों न खाने के समय को सुधार लिया जाए. अकेले रहकर कभी खाया, कभी नहीं खाया. कभी भकोस लिया तो कभी चख के ख़तम. मेरे हिसाब से अच्छा खाना एक इन्वेस्टमेंट है… समय का भी और पैसे का भी. अभी कीजिए नहीं तो 40 के बाद डॉक्टर साहब करवाएंगे इन्वेस्टमेंट.
6. दिन का पहला भोजन यानी सुबह का नाश्ता भरपेट होना चाहिए. यानी दिन में अगर आप तीन बार खाते हैं तो सबसे तगड़ा भोजन सुबह का लीजिए. मान लीजिए आप पूरे दिन में 600 ग्राम खाते हैं तो 300 ग्राम सुबह में खाएं, फिर 200 ग्राम दिन में खाएं और 100 ग्राम रात में. हमारे यहां होता उल्टा है. लोग रात का खाना ही भकोस कर खाएंगे कि रात तो अपनी है और खाकर सो जाना है! जबकि रात में चूंकि आप कोई काम नहीं करते, तो ऐसे में ज्यादा खाना फैट में बदल जाएगा और उसका पाचन, आपकी साउंड स्लीप में ख़लल डालेगा अलग.
7. शाकाहार का अपना महत्व है. शाकाहार को शरीर आसानी से पचा लेता है, शरीर को ज्यादा मेहनत नहीं करनी होती पचाने में (हालांकि मैं खुद पूरी तरह से नहीं हो पाया हूं, लेकिन मुफ्त ज्ञान देने का अपना मजा है). मन हल्का रहता है. भटकता नहीं है. किसी रिसर्च में आया है कि शाकाहार से आपकी याददाश्त भी बढ़ती है.
8. सोने से कम से कम एक घंटा पहले तमाम इलेक्ट्रानिक उपकरणों से अपनी आंख को दूर रखें. लैपटॉप, मोबाइल स्क्रीन नींद में बड़ी बाधा है. एक ब्रिटिश रिसर्च में ये बात सामने आई है कि जो लोग सोने से पहले मोबाइल स्क्रीन पर डटे रहते हैं, उनके नींद की गुणवत्ता घट जाती है.
9. रात की नींद का कोई जोड़ नहीं. रात की 2 घंटे की नींद दिन के 5 घंटे से ज्यादा महत्वपूर्ण है. कोशिश करें कि जब आप सो रहे हों तो कहीं से भी प्रकाश की किरण या आभा आपके कमरे में प्रवेश न करें. मोबाइल को अपने से कम से कम 3 फीट की दूरी पर उलट कर रखें.
10. कई लोग गाढ़ी नींद लेने के लिए सोने से पहले वर्क आउट करते हैं. ताकि शरीर थोड़ा थक जाए. अमेरिका में खासकर इसका ज्यादा चलन है. आप चाहें तो सोने से पहले 15 मिनट तेज वॉक कर सकते हैं. इसे आजमा कर देखिए.
11. कुल मिलाकर मामला ये है कि अच्छी नींद आएगी तो मेमोरी अच्छी रहेगी. चिड़चिड़ापन नहीं रहेगा. लोग आपको पसंद करेंगे! बॉस आपका ‘पटा’ रहेगा और बॉस की सेक्रेटरी आपको तुरंत अप्वाइंटमेंट दिलवा देगी.
Photo by Jessica Flavia on Unsplash
ये सभी अपना चुके हैं। पर जीवन में एक जबरदस्त स्प्रिंग है जो अनिद्रा को बाउंस-बैक करा देती है! 😦
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शाकाहार और शाम को जल्दी भोजन करना, ये दोनों ही बहुत अच्छी आदतें हैं। वातावरण का तापक्रम कम होने से भी अच्छी नींद आती है।
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चीन वाली बात बराबर सत्य है. हाल ही में एक परिजन जोकि चीन टूर से वापस आये हैं उन्होंने भी इस बात की पुष्टि की
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Gosh k bager t nind nai aati or khana halak se nai utarta. Haan baaki baatai sahi hai.
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