पत्थर सींचना

एक गर्म दोपहरी के दिन एक किसान बांसों के झुरमुट में बनी हुई ज़ेन गुरु की कुटिया के पास रुका. उसने गुरु को एक वृक्ष ने नीचे बैठे देखा.

“खेती की हालत बहुत बुरी है. मुझे डर है कि इस साल गुज़ारा नहीं होगा”, किसान ने चिंतित स्वर में कहा.

“तुम्हें चाहिए कि तुम पत्थरों को पानी दो”, ज़ेन गुरु ने कहा.

किसान ने ज़ेन गुरु से इस बात का अर्थ पूछा और गुरु ने उसे यह कहानी सुनाई: ‘एक किसान किसी ज़ेन गुरु की कुटिया के पास से गुज़रा और उसने देखा कि गुरु एक बाल्टी में पानी ले जा रहे थे. किसान ने उनसे पूछा कि वे पानी कहाँ ले जा रहे हैं. गुरु ने किसान को बताया कि वे पत्थरों को पानी देते हैं ताकि एक दिन उनपर वृक्ष उगें. किसान को इस बात पर बहुत आश्चर्य हुआ और वह आदर प्रदर्शित करते हुए झटपट वहां से मुस्कुराते हुए चला गया. ज़ेन गुरु प्रतिदिन पत्थरों को पानी देते रहे और कुछ दिनों में पत्थरों पर काई उग आई. काई में बीज आ गिरे और अंकुरित हो गए.

“क्या यह कहानी सच है?”, किसान ने आशामिश्रित कौतूहल से कहा.

ज़ेन गुरु ने उस वृक्ष की ओर इशारा किया जिसके नीचे वह बैठे थे. किसान भी वहीं बैठ उस कहानी पर मनन करने लगा.

Photo by Wil Stewart on Unsplash

There are 5 comments

टिप्पणी देने के लिए समुचित विकल्प चुनें

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  बदले )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  बदले )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  बदले )

Connecting to %s

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.