कई शताब्दी पहले, ईश्वर ने पृथ्वी पर आकर जर्मन लोगों से कहा, “मैंने मनुष्यों के लिए कुछ आदेश बनाए हैं जिनके पालन से सबका भला होगा.”
जर्मन लोगों ने पूछा, “कैसे आदेश?”
ईश्वर ने कहा, “जीवन जीने के नियम.”
“आप कोई नियम बताइए?”
ईश्वर ने कहा, “तुम किसी की हत्या नहीं करोगे.”
“कोई हत्या नहीं? माफ कीजिए, हमें ऐसे नियम नहीं चाहिए.”
तब ईश्वर इटली के लोगों के पास गया और बोला, “मैंने कुछ आदेश बनाए हैं…”.
इटलीवालों ने भी उदाहरण के लिए कोई आदेश सुनना चाहा. ईश्वर ने कहा, “तुम चोरी नहीं करोगे.”
“चोरी नहीं करेंगे? नही, हमें ऐसे आदेशों में कोई रूचि नहीं है.”
फिर ईश्वर ने फ्रांसीसियों को भी आदेशों के बारे में बताया.
फ्रांसीसियों ने भी कोई एक आदेश सुनाने के लिए कहा. ईश्वर बोले, “तुम अपने पड़ोसी की पत्नी पर बुरी नज़र नहीं डालोगे.”
फ्रांसीसियों ने भी ऐसा आदेश सुनकर उन्हें ग्रहण करने से इंकार कर दिया.
अंत में ईश्वर ने यहूदियों को आदेशों के बारे में बताया.
“आदेश?”, यहूदियों ने कहा, “ये कितने के हैं?”
“ये तो मुफ्त हैं”, ईश्वर ने कहा.
“तो हमें दस दे दो.”
Well done!!
पसंद करेंपसंद करें
Abhi tak manushy ne god ka kahna nhi mana h jis din manlega usi din se sukh shanti me jina aarambh ho jayga .
पसंद करेंपसंद करें
निशांतजी, आप के ब्लॉग पर आकर उम्मीद फिर से जाग जाती है। आपको मालूम नहीं आप बहुत उपकार का कार्य कर रहे हैं। आपके द्वारा प्रस्तुत प्रसिद्ध/ प्रेरक रचनाएँ पढ़कर मन बहुत ही हल्का हो जाता है। ज़िन्दगी जीने का सही अर्थ मालूम होता है। शुक्रिया।
पसंद करेंपसंद करें
Nishant Ji, Namaskar.
Thanks for Osho’s- “ONE OF THE BEST JOKE”
पसंद करेंपसंद करें