सज़ा

यह किस्सा ईरान का है. खुसरो प्रथम के नाम से ईरान का शासक बनने से बहुत पहले खुसरो एक गुरुकुल में रहता था और उसके गुरु उसे समस्त शास्त्र और विद्या में पारंगत करने के लिए प्रतिबद्ध थे.

एक दिन खुसरो के गुरु ने अकारण ही उसे कठोर शारीरिक दंड दे दिया. कई वर्ष बाद जब खुसरो राजगद्दी पर बैठा तो उसने सबसे पहले अपने गुरु को महल में बुलवाया और पूछा कि उन्होंने सालों पहले किस अपराध के लिए उसे कठोर दंड दिया था.

“आपने मुझे अकारण ही कठोर दंड क्यों दिया? आप भलीभांति जानते थे कि मैंने कोई भी गलती या अपराध नहीं किया था”.

“जब मैंने तुम्हारी बुद्धिमता देखी तब मैं यह जान गया कि एक-न-एक दिन तुम अपने पिता के साम्राज्य के उत्तराधिकारी अवश्य बनोगे,” गुरु ने कहा.

“तब मैंने यह निश्चय किया कि तुम्हें इस बात का ज्ञान होना चाहिए कि किसी व्यक्ति के साथ किया गया अन्याय उसके हृदय को आजीवन मथता रहता है. मैं आशा करता हूं कि तुम किसी भी व्यक्ति को बिना किसी कारण के कभी प्रताड़ित नहीं करोगे.”

पाइलो कोएलो के ब्लॉग से – (image credit)

There are 6 comments

Vijender Godara को एक उत्तर दें Cancel

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  बदले )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  बदले )

Connecting to %s

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.