पाउलो कोएलो का यह संस्मरण उनके ब्लॉग से लिया गया हैः
सुबह आठ बजे मैं मैड्रिड पहुंच गया. यहां मुझे कुछ घंटे ही रुकना था इसलिए मैंने यह तय किया कि कुछ दोस्तों को फोन करके मुलाकात की जाए. फिर मैं अपनी जानी-पहचानी जगहों तक पैदल चलकर गया और अंत में रिटाइरो पार्क की एक बेंच पर सिगरेट पीने के लिए बैठ गया.
“तुम कहीं खोए हुए हो”, बेंच पर मेरे करीब बैठे एक बुज़ुर्गवार ने कहा.
“हम्म.. शायद”, मैंने कहा, “मुझे याद आ गया कि मैं 1986 में इसी बेंच पर मेरे दोस्त अनास्तासियो रांचाल के साथ बैठा हुआ था और हम दोनों मेरी पत्नी क्रिस्टीना को देख रहे थे जो थोड़ी ज्यादा पी लेने के बाद फ़्लेमेंको डांस करने की कोशिश कर रही थी”.
“अपनी स्मृतियों का आनंद लो”, बुज़ुर्गवार ने कहा, “लेकिन यह कभी मत भूलना कि स्मृतियां नमक की भांति होतीं हैं. खाने में नमक की सही-सही मात्रा ज़ायका लाती है लेकिन ज्यादा नमक उसे बिगाड़ देता है. यदि तुम अतीत की स्मृतियों में बहुत अधिक समय बिताने लगोगे तो तुम्हारा वर्तमान स्मृतियों से रिक्त हो जाएगा”. (image credit)
बहुत सटीक कथन।
खासकर मेरे लिए।
हमारी उम्र में पुरानी यादें कभी बहुत सताती हैं।
हमने भी निश्चय कर लिया है कि हम अतीत में न रहकर, आगे की सोचेंगे।
शुभकामनाएं
जी विश्वनाथ
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अतीत के पलों का आनंद लेना चाहिए मातम नहीं मनाना चाहिए।
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यादों की मिठास भी है तो उसका लावण्य भी।
. आपकी इस पोस्ट के चलते कल बिहार में नमक दो सौ रूपये किलो बिका है : (आन लाइटर नोट )
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अपनी यादों में इस याद को भी सँजो कर रखने की ज़रूरत …….आभार!
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bujurg ne ek sateek slah dee. ise follow kar hum present ko theek use kr sakte h.
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YES! YE BAAT TOH SAHI H KI HAR PERSON KO HAMESHA APNI PRESENT KO
REMEMBER RAKHNA CHAHIYE.SO IS STORY ME EK BOHAT BADA INSIPERATION HAI.
THANK YOU.
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ok
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