मूर्ख बनाम विचारक

कॉलिन विल्सन मशहूर अंग्रेज लेखक हैं और उन्होंने अपराध, रहस्य, और पराविद्या (औकल्ट) पर लगभग 100 से भी अधिक बेस्टसेलर किताबें लिखीं हैं. वर्तमान युग के महत्वपूर्ण दार्शनिकों में उनका नाम शामिल है और उनके प्रशंसक उन्हें जीनियस मानते हैं.

अपनी आत्मकथा के पहले चैप्टर में विल्सन ने बताया है कि अपनी जवानी की शुरुआत में उन्होंने जीवन का सबसे बड़ा चुनाव किया. उनके पिता लाइसेस्टर में जूता उद्योग में मामूली कामगार थे. विल्सन अलबर्ट आइन्स्टीन से प्रभावित थे और स्वयं को आइन्स्टीन के उत्तराधिकारी के रूप में देखते थे, लेकिन घरेलू कठिनाइयों की वज़ह से उन्हें स्कूल छोड़कर 16 वर्ष की उम्र में काम करना पड़ा. एक ऊन फैक्टरी में कुछ समय काम करने के बाद वे किसी प्रयोगशाला में सहायक बन गए. उन्होंने इस जीवन की कल्पना नहीं की थी और उनपर निराशा गहराती गयी. ऐसे में एक दिन उन्होंने आत्महत्या का निर्णय कर लिया.

वे हाइड्रोसायनिक एसिड पीने जा रहे थे तभी उनके मन में कुछ कौंध-सा गया. उन्होंने देखा कि उनके भीतर दो कॉलिन विल्सन थे: पहला, एक मूर्ख और ग्रंथियों का शिकार कॉलिन विल्सन; और दूसरा, विचारक और वास्तविक कॉलिन विल्सन.

विलसन ने आत्मकथा में लिखा, “उस दिन मूर्ख कॉलिन विल्सन ने दोनों को मार दिया होता”.

“उस एक क्षण में मेरा साक्षात्कार सत्य के अद्भुत और विहंगम विस्तार से हुआ जो सर्वव्याप्त और असीम है”.

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There are 15 comments

    1. Nishant

      धन्यवाद, हिमांशु भाई,
      अनुवाद को यथासंभव सहज और बोधगम्य रखने का प्रयास किया है. सिर्फ उपयोगी बातों का ही अनुवाद किया है, इसीलिए कहीं-कहीं मूल पाठ और अनुवाद में अंतर दिख सकता है. संप्रेषण महत्वपूर्ण है, शैली नहीं, क्योंकि ब्लॉग के अधिकांश पाठक कामचलाऊ हिंदी पढ़ने के आदी हैं.

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  1. Vijay Pratap Singh Rajput

    ब्लाग पर आना सार्थक हुआ । काबिलेतारीफ़ है प्रस्तुति । बहुत सुन्दर बहुत खूब…बेहतरीन प्रस्‍तुति
    हम आपका स्वागत करते है….
    क्रांतिवीर क्यों पथ में सोया?

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