बहुत पुरानी बात है. जापान में लोग बांस की खपच्चियों और कागज़ से बनी लालटेन इस्तेमाल करते थे जिसके भीतर जलता हुआ दिया रखा जाता था.
एक शाम एक अँधा व्यक्ति अपने एक मित्र से मिलने उसके घर गया. रात को वापस लौटते समय उसके मित्र ने उसे साथ में लालटेन ले जाने के लिए कहा.
“मुझे लालटेन की ज़रुरत नहीं है”, अंधे व्यक्ति ने कहा, “उजाला हो या अँधेरा, दोनों मेरे लिए एक ही हैं”.
“मैं जानता हूँ कि तुम्हें राह जानने के लिए लालटेन की ज़रुरत नहीं है”, उसके मित्र ने कहा, “लेकिन तुम लालटेन साथ लेकर चलोगे तो कोई राह चलता तुमसे नहीं टकराएगा. इसलिए तुम इसे ले जाओ”.
अँधा व्यक्ति लालटेन लेकर निकला और वह अभी बहुत दूर नहीं चला था कि कोई राहगीर उससे टकरा गया.
“देखकर चला करो!”, उसने राहगीर से कहा, “क्या तुम्हें यह लालटेन नहीं दिखती?”
“तुम्हारी लालटेन बुझी हुई है, भाई”, अजनबी ने कहा. (image credit)
गजब!! विलक्षण बोध कथा!!
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अपने साथ औरों को भी समझना होता है..
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Just WOW!!!!!
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आदरणीय निशांत जी,
आपके द्वारा लिखी गयी ये कहानी बेहद ही रोचक और सत्यता को प्रमाणित करने वाली है किन्तु मैं ये जानना चाहूँगा, कि क्या आप हमें अपनी इस कहानी के माध्यम से ये समझाने कि कोशिश कर रहे हैं कि हम पहले अंधे थे? या फिर कुछ और कहना चाहते हैं? मैं आपकी बात को समझ नहीं पा रहा हूँ. कृपया मुझे ये समझाने कि कोशिश करें तो महान दया होगी. मैं आशा करता हूँ कि आप मुझे निराश नहीं करेंगे और मेरी इस जिज्ञाषा को जरूर शांत करेंगे.
कृपया मेरे इस सवाल का जवाब शीग्रातिशीग्र देने का कष्ट करें.
धन्यवाद
मुकेश
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भाई मुकेश,
1. यह कथा मैंने नहीं लिखी है. यह कथा एक प्राचीन बौद्धग्रंथ से उद्घृत की गई है.
2. इस कथा के माध्यम से यह बताने की चेष्टा नहीं की गई है आप, मैं, या हम किसी कालविशेष में अंधे थे.
3. जी नहीं. मैं कुछ और नहीं कहना चाह रहा हूं.
4. क्षमा करें परंतु मैं ब्लॉग की नीति के अनुसार कथा की व्याख्या नहीं करना चाहता. कथा बोधगम्य भी हो सकती है और गूढ़ भी.
5. आपसे पहले कमेंट करनेवाले पाठक कथा के मर्म को संभवतः जान चुके हैं. आप उनसे संपर्क कर सकते हैं.
6. आपको कथा ‘रोचक और सत्यता को प्रमाणित’ करनेवाली लगी, इसके लिए मैं आपका आभारी हूं.
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आदरणीय निशांत जी,
आपने मेरे सवालों के जवाब बेहद ही अच्छे अंदाज में दिए जिन्हें पड़कर मुझे बहुत ही ख़ुशी हुई.
आपने, मुझे अपना अमूल्य समय दिया इसके लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
मुकेश
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बहुत पहले ये बोध कथा पढ़ी थी ,
फिर पढ़कर ख़ुशी mili !
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A beautiful tale with a deep teaching! I hope you are doing well.
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Hame khod ki khamiyo ko janna hoga,Roshni hmare pass nahi ha aur hum dusro ko dosh dete ha.
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very nice moral story it is
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