एक व्यक्ति किन्हीं महात्मा के पास गया और उनसे पूछा, “क्या मनुष्य स्वतन्त्र है? यदि वह स्वतन्त्र है तो कितना स्वतन्त्र है?क्या उसकी स्वतंत्रता की कोई परिधि है? भाग्य, किस्मत, नियति, दैव आदि क्या है? क्या ईश्वर ने हमें किसी सीमा तक बंधन में रखा है?”
लोगों के प्रश्नों के उत्तर देने की महात्मा की अपनी शैली थी. उन्होंने उस व्यक्ति से कहा, “खड़े हो जाओ”.
यह सुनकर उस व्यक्ति को बहुत अजीब लगा. उसने सोचा, “मैंने एक छोटी सी बात पूछी है और ये मुझे खड़ा होने के लिए कह रहे हैं. अब देखें क्या होता है”. वह खड़ा हो गया.
महात्मा ने उससे कहा, “अब अपना एक पैर ऊपर उठा लो”.
यह सुनकर उस व्यक्ति को लगा कि वह किसी अहमक के पास चला आया है. मुक्ति और स्वतंत्रता से इसका क्या संबंध है!? लेकिन अब वह फंस तो गया ही था. वह उस जगह अकेला तो था नहीं. आसपास और लोग भी थे. महात्मा का बड़ा यश था. उनकी बात न मानना उनका अनादर होता. और फिर उसमें कोई बुरी बात भी न थी. इसलिए उसने अपना एक पैर ऊपर उठा लिया. अब वह सिर्फ एक पैर के बल खड़ा था.
फिर महात्मा ने कहा, “बहुत बढ़िया. अब एक छोटा सा काम और करो. अपना दूसरा पैर भी ऊपर उठा लो”.
“यह तो असंभव है!”, व्यक्ति बोला, “ऐसा हो ही नहीं सकता. मैंने अपना दायाँ पैर ऊपर उठाया था. अब मैं अपना बायाँ पैर नहीं उठा सकता”.
महात्मा ने कहा, “लेकिन तुम पूर्णतः स्वतन्त्र हो. तुम पहली बार अपना बायाँ पैर उठा सकते थे. ऐसा कोई बंधन नहीं था कि तुम्हें दायाँ पैर ही उठाना था. तुम यह तय कर सकते थे कि तुम्हें कौन सा पैर ऊपर उठाना है. मैंने तुम्हें ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया. तुमने ही निर्णय लिया और अपना दायाँ पैर उठाया.”
“अपने इस निर्णय में ही तुमने अपने बाएं पैर को उठाना असंभव बना दिया. यह तो बहुत छोटा सा ही निर्णय था. अब तुम स्वतंत्रता, भाग्य और ईश्वर की चिंता करना छोड़ो और मामूली चीज़ों पर अपना ध्यान लगाओ”.
(Thanx to Zendictive for this story) (image credit)
अपने निर्णयों के ही कारा बनाते रहते हैं, हम सब…
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kabhi kabhi chchoti vastu bhi badi baten bata deti hai
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बढिया उदाहरण!
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gahan baat kah di,wo bhi sarlta se……
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NISHANT JI BAAT SAMAJH ME NAHI AAYI
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इन कथाओं में यही बढ़िया बात है कि अंत में ठीक से न समझ आये कि इसका क्या अर्थ होना चाहिये! 🙂
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वाह ……,,,,,,,बहुत खूब ,
जय गुरुदेव महात्मा जी ,
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बहुत खूब ….
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Very true. Our actions create Butterfly effect a.k.a. the ripple effect.
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THANKS 4 THIS
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बहुत अच्छा, धन्यवाद
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