“यदि मैं तुम्हें यह बताऊँ कि ऐसा कुछ है जो तुम्हें व्याप्त किये हुए है. तुम उसे देख नहीं सकते लेकिन वह तुम्हारे अस्तित्व के लिए परम आवश्यक है”, गुरु ने शिष्य से कहा, “तो क्या तुम ऐसी किसी विषय-वस्तु के अस्तित्व पर विश्वास करोगे?”
“आप परमचेतना की बात कर रहे हैं, हैं न?”, शिष्य ने कहा.
गुरु ने उत्तर दिया, “नहीं. मैं ऑक्सीजन के बारे में बात कर रहा हूँ.”
अत: सिद्ध हुआ कि ऑक्सीजन परम चेतना है। 🙂
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This is a very deep thought. Got some new visions.
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निशाना तो अन्ततः वहीं लगा..
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wonderful 🙂
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SAMAJH SAKO TO SAMJHO JAANI,
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SHBDON ka herfer. fir GURU to GURU h . .woderful
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गुरु तो बड़े गुरु निकले.
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Akhir Guru-Guru hi hota hai…sach Oxygen ke bina jiwan kahan sambhav..
bahut badiya vichar..
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this is real talk i like this
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