भूलना

एक आगंतुक ने मठ के प्रमुख संन्यासी से पूछा, “इस मठ में आप क्या सिखाते हैं?”

संन्यासी ने कहा, “भूलना”.

आगंतुक बोला, “क्या भूलना?”

संन्यासी ने कहा, “मैं भूल गया”.

There are 17 comments

    1. shilpa mehta

      🙂

      यदि इतना याद है कि कुछ कहना था , और फिर भूल गए कि वह क्या था – तब तो हम उस आश्रम के शिष्य नहीं हुए अब तक |

      जब यह भी भूल जाऊं कि कुछ कहना था , तब ही वह दरअसल भूलना होगा 🙂

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  1. उन्मुक्त

    जीवन में भूलना महत्वपूर्ण है – चुभती बातें, दुखती रग इसके कुछ उदाहरण हैं। Through the looking glass में एक वाक्या है,
    “The horror of that moment, ‘the kind went on, ‘I shall never, never forget! You will though the queen said if you don’t make a memorandum of it.
    इन सब बातों के बारे में न तो लिखना है और न ही याद रखना है।

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  2. pyarelal

    हमे भुलने से भी ज्यादा खोजना ह ? भुला हुआ याद आजाता है जैसे राख मे चिन्गारी रहती ह और हवा लगते ही आग बनजाती ह।
    हमे तो ऐसा मठ चाहीये जो बिल्कुल मिटाना सिखाता हो

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