मोक्ष का कारण

 

enlightenment

एक शिष्य ने गुरु से पूछा, “क्या ध्यान करने से मोक्ष मिल जाता है?

गुरु ने कहा, “मोक्ष किसी कारणवश नहीं मिलता. इसका संबंध कुछ करने-न करने से नहीं है”.

शिष्य ने कहा, “यदि इसका संबंध कुछ करने-न करने से नहीं है तो यह होता ही क्यों है? फिर ध्यान आदि करने की भी क्या आवश्यकता है?”

गुरु ने कहा, “ध्यान करने के लिए ध्यान करो और मोक्ष को अपनी चिंता स्वयं ही करने दो.”

Thanx to John Weeren for this story

There are 10 comments

  1. pyarelal

    र्निर्थक शब्द मोक्ष
    र्भमीत सोच ह मोक्ष
    मोक्ष जीवन से हारे हुऐ इंसान की कुच्छ सार्थक ना कर पाने की उपज ह
    प्रर्कती मे मोक्ष कोई वीष्य नही ह

    पसंद करें

  2. shilpamehta2

    मोक्ष की चिंता वाले व्यक्ति को कभी मोक्ष नहीं होगा |…….. मोक्ष और चिंता – ये साथ कैसे होंगे ? 🙂 सूरज हो तो अन्धकार कैसे हो?

    जैसे- प्रेम की परिभाषा करने वाला प्रेम को नहीं जानता, और जो प्रेम में हो वह तो परिभाषाएं कब का भूल चुका होता है |

    भक्ति प्रेम ही का विशुद्ध रूप है – वह हो, तो मोक्ष की आस ही न रहेगी, क्योंकि प्रिय को देखना, छूना, सुनना …. ये ही सब तो प्रेम की सार्थकता हैं – मोक्ष में यह सुख कहाँ होगा ?

    पसंद करें

  3. Gyandutt Pandey

    ये बात तो सही कही।
    अमूमन अधैर्यवान मोक्ष का ध्येय ले कर ध्यान करते हैं और जल्दी ही निरुत्साहित हो बुझ जाते हैं!
    मैने एक ऐसे अधैर्यवान साधक को 6 महीने बाद दारू की शरण में जाते देखा है!

    पसंद करें

टिप्पणी देने के लिए समुचित विकल्प चुनें

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  बदले )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  बदले )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  बदले )

Connecting to %s

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.