कॉरपोरेट… और नहीं

ऑक्यूपाई वॉल स्ट्रीट आंदोलन धीरे-धीरे ही सही लेकिन एक विश्वव्यापी आन्दोलन का रूप ले रहा है. विश्व के कई देशों में इस आंदोलन की दस्तक सुनाई दे रही है. कहीं तो इससे अत्यंत बर्बरतापूर्वक निबटा जा रहा है, जो कि गलत है, लेकिन वह भी इस आंदोलन के पक्ष में ही जाएगा.

ऑक्यूपाई वॉल स्ट्रीट आंदोलन हमारे जीवन के हर पहलू में घुसपैठ कर चुके कॉरपोरेट प्रभाव के विरुद्ध बहुत सशक्त अहिंसात्मक प्रतिरोध है. यह लोगों को एकजुट करने वाला ऐसा सकारात्मक प्रयास है जिसकी कमी बहुत लंबे समय से अनुभव की जा रही थी. यदि यह अपने उद्देश्यों में पूरी तरह सफल नहीं हो पाया तो भी यह असंख्य लोगों को प्रेरित और प्रभावित ज़रूर करेगा.

बुरी और लोभ आधारित व्यापारिक नीतियों के विरुद्ध करोड़ों व्यक्तियों के भीतर कई सालों से क्षोभ, असहायता और क्रोध भरा हुआ है जिसे सुरक्षित निकास मिलना बहुत ज़रूरी था. यह स्पष्ट है कि विराट कॉरपोरेशंस ने हमारी अर्थव्यवस्था, नौकरियां, राजनैतिक तंत्र, और पर्यावरण को अपने चंगुल में कर लिया है. लेकिन उससे भी कहीं आगे बढ़कर वे हमें यह सिखाते हैं कि हमें अपना जीवन कैसे जीना चाहिए, हमें अपना समय कैसे बिताना चाहिए, हमें प्रियजनों और मित्रों के प्रति अपना प्रेम कैसे प्रदर्शित करना चाहिए, हमें कैसा दिखना चाहिए और स्वयं के बारे में क्या अनुभव करना चाहिए, लोगों से कैसे घुलना-मिलना चाहिए, अपने बच्चों को कहाँ और कैसे पढ़ाना चाहिए, टाईमपास कैसे करना चाहिए, संगीत और कला आदि की रचना कैसे करना चाहिए और उनसे आनंद किस प्रकार प्राप्त करना चाहिए.

हमारे जीवन का लगभग हर पल कॉरपोरेशंस द्वारा मुहैया कराये गए उत्पादों के साथ बीत रहा है. हम कहीं भी, कभी भी अकेले नहीं हैं.

ऐसे में हमारे सामने इन कॉरपोरेशंस के विरुद्ध आवाज़ उठाने और उनकी खिलाफत करने के कौन से उपाय हैं?

हम चाहें तो बहुत कुछ कर सकते हैं. सबसे ज़रूरी चीज़ यह है कि हम अपनी बात पर कायम रह सकें और अडिग रहें.

मैं मिनिमलिस्ट हूँ और मेरे लिए विरोध दर्ज कराने का सबसे बेहतर तरीका यह है कि मैं अपनी आवश्यकताएं कम करूं और उन कंपनियों के उत्पादों का बहिष्कार करूं जिनकी व्यापार, विपणन, और विज्ञापन नीतियों को मैं सही नहीं मानता. कठिनाई यह है कि इस पैमाने से अस्सी-नब्बे प्रतिशत कंपनियों को खारिज करना पड़ जाएगा. बहिष्कार के कुछ सरल तरीके यह हैं: कॉरपोरेट भोजनालयों में नाश्ता, भोजन या चाय-कॉफ़ी नहीं लेना; कॉरपोरेट वस्त्र और प्रसाधन सामग्री नहीं खरीदना; कॉरपोरेट मनोरंजन को दरकिनार करके मन-बहलाव के निजी/सामुदायिक तरीके खोजना; अपने वस्त्रों/वाहन आदि पर किसी भी तरह के लोगो प्रदर्शित नहीं करना; परिचित व्यक्तियों से मिलने-जुलने के लिए कॉरपोरेट संस्थानों द्वारा विकसित अम्यूजमेंट पार्क/शॉपिंग स्थलों को प्राथमिकता नहीं देना; उत्सव-पर्व आदि को शुचितापूर्वक एवं पारंपरिक रूप से मनाना, आदि.

यह संभव है… क्योंकि मानवता अभी चुक नहीं गयी है. हवा कुछ मलिन ज़रूर हुई है फिर भी सांस लेने लायक है. हम सांस ले सकते हैं लेकिन हमें उसके लिए स्वच्छ परिवेश की रचना करनी होगी.

Photo by Jon Tyson on Unsplash

There are 14 comments

  1. प्रवीण पाण्डेय

    मैं मिनिमलिस्ट हूँ और मेरे लिए विरोध दर्ज कराने का सबसे बेहतर तरीका यह है कि मैं अपनी आवश्यकताएं कम करूं और उन कंपनियों के उत्पादों का बहिष्कार करूं जिनकी व्यापार, विपणन, और विज्ञापन नीतियों को मैं सही नहीं मानता।

    आपने मेरे विचार शब्दशः रख दिये।

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  2. आशीष

    आकुपाय वाल स्ट्रीट वाले खुद नहीं जानते कि वे आन्दोलन क्यों कर रहे है! ये कुछ बेरोजगार लोगों का टाईम पास है, इस के पीछे समाज का समर्थन नहीं है। बिना समाज के समर्थन के कोई आन्दोलन सफल नहीं हो सकता।

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  3. induravisinghj

    हम चाहें तो बहुत कुछ कर सकते हैं. सबसे ज़रूरी यह है कि हम अपनी बात पर कायम और अडिग रहें…..
    यही तो समझना है,यही ज़रूरी है और यही मुश्किल भी।

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  4. amita neerav

    सबसे महत्वपूर्ण और सबसे अंतिम बात – ‘सादगी और संयम का कोई विकल्प नहीं’, ये सिर्फ ऑक्युपाई वॉल स्ट्रीट आंदोलन का ही सच नहीं, बल्कि पर्यावरण और प्रकृति के लिए भी सच ही है।
    आज नहीं शायद 50 साल बाद दुनिया इस नतीजे पर पहुँचे कि जीवन को छककर पी लेने में भी क्या मजा है? दो घूँट जिंदगी ही मजेदार है पूरे पैग की तुलना में… 😉

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  5. prasant pundir

    हमारे मुल्क में वैसे भी लोग दिखावा ज्यादा करते है, आप शादियों में देख लीजिये, हर आदमी चाहे वोह गरीब हो या अमीर, हर कोई अपनी हैसियत से कही ज्यादा पैसा खर्च करता है.

    corporate क्या करेगा हिंदुस्तान में, हिन्दुस्तानी खुद ही बाज़ारू है.

    क्या इतनी हिम्मत हैं आप में की आप अपने बच्चे की शादी में केवल मंडप का काम ही करवाए बाकी कंजूसी से बिना किसी दिखावा के लघु उद्योग के सामानों का इस्तेमाल करके शादी की “पार्टी” दे सब को.

    जो पैसा आप खर्च करना चाह रहे थे शादी में, अब उस पैसे से गरीबो को खाना खिलाईये और परिवार के साथ अपने भारत के बहुत सारे खुबसूरत जगह में से कही भी चले जाए घुमने. इस से आपके देश में रोजगार बढेगा और दुआ सलाम अलग से मिलेगी.

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