एक व्यापारी ने ज़ेन गुरु से पूछा, “आप कैसे कह सकते हैं कि हमारे जीवन में नियंत्रण का अभाव है? यह मैं ही निश्चित करता हूँ कि मुझे नींद से कब जागना है, अन्य कोई व्यक्ति मुझे यह करने के लिए नहीं कहता.”
गुरु ने कहा, “यदि मैं तुम्हें प्रतिदिन एक निश्चित रकम दूं जिसे तुम जैसे चाहे खर्च कर सको तो वास्तविक नियंत्रण किसके हाथ में होगा?”
व्यापारी ने कहा, “यदि आप मुझे रकम देंगे तो नियंत्रण आपके हाथ में ही होगा. आप यह क्यों पूछ रहे हैं?”
गुरु ने कहा, “जीवन ने ही तुम्हें हाथ-पैर, आँख, कान, ह्रदयगति, और विचार शक्ति दिया है. तुम किसके नियंत्रण में हो?”
जब तक हम प्रयास नहीं करते हैं, नियन्त्रण औरों के हाथों में बना रहता है।
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…
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100 % sahi , ye sab hamare upar hi hai ki hum apne jivan ko kis tarah banate ya bigadate hain .
ek lekhak ne kaha hai
“aap ki mitr mandali ka swarup aur kitabo ka chunav ye tay karata hai ki aap aage chal kar kya banenge , doctor , inspector ya gali ka dada .”
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शब्द नहीं है ,क्या टिपण्णी करें ,
जब कईं किताबों का सार,आप चंद लाइनों में कहें,
नमस्कार ,
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Few principles I stick to in life.
Absolutely adore this one!
thanks!
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जब तक जीवन है नियंत्रण का अभाव बना रहेगा। जो कहते हैं कि उन्होने अपने इंद्रियों पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित कर लिया है, मेरी समझ से झूठ बोलते हैं।
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nice !!
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नियन्त्रण तो नियन्ता का ही है!
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sahi kaha hai bhai achhe karm se hi insan bada hota hai
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