मैं स्टीव जॉब्स की रचनात्मकता और जीवट का हमेशा से ही कायल रहा हूँ हांलांकि मैंने उसके बिजनेसमैन रूप की सदा ही आलोचना की है. ऐपल के प्रोडक्ट शानदार हैं पर सभी जानते हैं कि वे ऐसे बनाये गए हैं ग्राहक को कुछ भी करने के लिए ऐपल पर ही निर्भर रहना पड़ता है. आज जब लगभग हर उत्पाद में एक्सपेंडेबल मेमोरी कार्ड्स लगाये जा सकते हैं वहीं ऐपल के प्रोडक्ट ऐसी किसी भी सुविधा से वंचित रखे गए हैं. ऐपल के ‘एक्सक्लूसिव’ प्रोडक्ट खरीद पाना सबके लिए संभव नहीं है और यहीं से ऐपल के लोभ आधारित बाज़ार को बढ़त मिलती आई है. अकेले अमेरिका में ही ऐपल के iPod, iPhone, और iPad हथियाने के लिए लोगों ने जान की बाजियां भी लगा दीं हैं और हैरी पौटर की तर्ज़ पर लोग रात भर स्टोर के बाहर इंतज़ार करते हैं कि कब स्टोर खुलेगा और वे सबसे पहले प्रोडक्ट हथिया सकेंगे. कुछ मामलों में यह सब वाकई अहमकाना है, भले ही आप भी मुझसे इत्तेफाक न रखें.
स्टीव जॉब्स के गुज़र जाने के बाद उसके जीवन और उपलब्धियों को लेकर बहुत सी पोस्टें आईं. स्टीव के शब्दों में ही कहें तो उसकी आस्था, आत्मविश्वास, और अंतरात्मा की आवाज़ सुन पाने की योग्यता ही उसकी सफलता का रहस्य थी. जब उसका जीवन तमाम कठिनाइयों से घिरा हुआ था और उसे कोई राह नहीं सूझ रही थी तब भी स्टीव ने डटे रहना ही श्रेयस्कर समझा. महान थाई संत अजान काह ने इस हमारी इस क्षमता को “सर्वज्ञेय” कहा है. यह हमारा दुर्भाग्य ही है कि हम इस क्षमता को सदा ही नज़रंदाज़ करते आये हैं.
बहुत समय पहले इस ब्लॉग में एक ताओ कहानी आई थी जिसे पाठक अन्यत्र भी पढ़ चुके होंगे. ऐसी कथाएं अनेक संस्कृतियों में कही गयीं हैं. इस कथा में शुभ-अशुभ, और भाग्य-दुर्भाग्य का द्वंद्व है. जब किसान के पडोसी घटनाओं के निष्कर्ष निकालने की जल्दबाजी करते हैं तब कथा का केन्द्रीय पात्र – चीनी किसान – अविचलित रहता है. मुझे यह कथा आज याद हो आई जब मैंने स्टीव जॉब्स का प्रसिद्द स्टेनफोर्ड भाषण पुनः देखा. यह इस बात की मिसाल है कि कैसे कुछ घटनाएँ अपने साथ दुर्भाग्य की छाया लिए डोलती रहतीं हैं पर कालांतर में वही घटनाएं सफलता की नींव बनतीं हैं.
मनुष्य की शक्तियां और क्षमताएँ असीम हैं. फिर भी बहुत कुछ है जो हाथ नहीं आता. हम चीज़ों को खंड-खंड देखने के आदी हैं और उनसे ही अपना विश्व बुनते हैं. स्टीव हमें याद दिलाता है कि हम ‘आतंरिक प्रक्रिया’ (inner process) पर श्रद्धा रखें. तभी हम बिन्दुओं को मिलाकर विश्व को उसकी समग्रता में देख सकेंगे.
Thanx to Dhamma Matters for this post
उत्तम बात कही। स्टीव जॉब्स के बारे में कुछ कहना अभी सही नहीं होगा। शायद कुछ समय बाद उनका सम्यक मूल्यांकन हो सके।
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मनुष्य की शक्तियां और क्षमताएँ असीम हैं. फिर भी बहुत कुछ है जो हाथ नहीं आता.
सही कहा आपने ..बाजारू संस्कृति पर भी आपके विचार महत्वपूर्ण हैं
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hello
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जबसे Ipad खरीदा हम भी उनके कायल हो गये है।ं
अब Iphone 4S भी खरीदने की योजना बना ली है। मेरा Nokia communicator E 90 अब चार साल पुराना हो चुका है और उसे retire करना चाहता हूँ।
हाँ, यह बात सही है की apps के लिए हमें apple istore पर ही निर्भर होना पडेगा पर यह मुझे स्वीकार्य है। apps अच्छे हैं, सस्ते हैं और हमें virus का डर नहीं रहता।
आजकल दफ़्तर का काम के लिए ही windows laptop का प्रयोग करता हूँ और घर पहुँचते ही windows भूलकर अपना Ipad उठा लेता हूँ और एक अलग ही दुनिया में खो जाता हूँ।
जी विश्वनाथ
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विश्वनाथ जी , 2-4 चीजें और गिना देते.
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श्रीमान क्या आप माइक्रौसौफ़्ट आदि कंपनियों की तकनीक को इस श्रेणी में नहीं रखते जो ज्ञान पर कब्जे के एकाधिकार की ही एक विधा है बुद्ध भगवान् या उपनिषद के ऋषियों ने कोई पेटेंट रोयल्टी नहीं कराई
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जिन्होंने भी अरबों डॉलर खर्च करके तकनीकें विकसित कीं हैं वे अपने उद्यम को निस्संदेह पेटेंट और कॉपीराईट से सुरक्षित रखना चाहेंगे. यहाँ बात उस सोची-समझी नीति की हो रही है जिसके तहत ऐसे प्रोडक्ट बनाए जाते हैं जिन्हें खरीदने के बाद लोग उन्हीं कंपनियों पर आश्रित होकर रह जाएँ. या फिर प्रोडक्ट में जानबूझकर कमियां रखी जाएँ और उन कमियों को दूर करने के लिए महंगे प्रोडक्ट बनाये जाएँ.
आप माइक्रोसोफ्ट/विंडोस की तुलना ऐपल से नहीं कर सकते. मार्केट में जाकर देखिये, या किसी जानकर से पता लगाइए, तकनीकी महारत या साधन हों तो आप विन्डोज़ आधारित प्रोग्राम बखूबी बना सकते हैं. ऐपल आपको यह करने की इज़ाज़त नहीं देता. यदि आपको ज्यादा स्टोरेज चाहिए तो आप दोगुनी कीमत देकर आईपॉड 16 GB खरीदिये, लेकिन 8 GB के Ipod में आप अपनी पसंद का मेमोरी कार्ड नहीं लगा सकते. ये कैसा बिजनस है? ऐसा ही Iphone के साथ है.
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आप एप्पल मैक के लिए एप्पलीकेशन बना सकते है, बेच सकते है। इसके लिए कोई प्रतिबंध नही है।मैक ओ एस एक्स के लिए हजारो एप्पलीकेशन बाजार मे उपलब्ध है। आप बना सकते है और बेच सकते है। एप्पल बीच मे नही आयेगा।
आई ओएस आईफोन/आईपोड/आईपैड ले लिए भी एप्पलीकेशन बनाने मे कोई प्रतिबंध नही है। एप्पल की साईट पर सारी सामग्री उपलब्ध है। लेकिन इसे आम उपभोक्ता को उपलब्ध कराने के लिए आपको एप्पल आई टयुन स्टोर से बेचना होगा। ये बड़े साफ्टवेयर निर्माताओं के लिए ठीक नही हो लेकिन मेरे जैसे साफ्टवेयर डेवलपर के लिए अच्छा है। मै इन आईफोन/पैड/पोड के लिए साप्टवेयर बनाकर एप्पल के बाजार मे डाल सकता हूं। मुझे किसी मार्केटींग या अकाउंटींग की जरूरत नही। एप्पल मेरा हिस्सा मेरे बैंक अकाउंट मे दे रहा है।
एप्पल मैक और आई ओ एस के बारे मे गलत फहमीया ज्यादा है। यह एक बेहतर उत्पाद है।
माईक्रोसाफ्ट भी मुक्त श्रोत एप्पलीकेशन नही बेचता है नाही समर्थन करता है। वह भी ऐसी नितियां अपनाता है कि बाजार मे उसकी मोनोपली हो। उसका नेटस्केप के साथ व्यवहार सर्व ज्ञात है।
यह मुक्त अर्थ व्यवस्था है। डार्वीन का सिद्धांत यहा भी लागू होता है कि सबसे शक्तिशाली ही आगे जायेगा। प्राकृतिक चयन !
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बहुत अच्छी बात है, धन्यवाद
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एप्पल के बन्द तंत्र ने पहले थोड़ा व्यथित किया था पर बाद में वह समझ आया। मैकबुक एयर का पिछले ३० दिन के उपयोग ने यह तथ्य ढंग से स्थापित किया है। आने वाली ४ पोस्टों में उनका विश्लेषण करूँगा।
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स्टीव पर कुछ कहना आसान नहीं। लेकिन व्यापारियों के पक्ष में आना तो और मुश्किल है…
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आप एप्पल मैक के लिए एप्पलीकेशन बना सकते है, बेच सकते है। इसके लिए कोई प्रतिबंध नही है।
मैक ओ एस एक्स के लिए हजारो एप्पलीकेशन बाजार मे उपलब्ध है। आप बना सकते है और बेच सकते है। एप्पल बीच मे नही आयेगा।
आई ओएस आईफोन/आईपोड/आईपैड ले लिए भी एप्पलीकेशन बनाने मे कोई प्रतिबंध नही है। एप्पल की साईट पर सारी सामग्री उपलब्ध है। लेकिन इसे आम उपभोक्ता को उपलब्ध कराने के लिए आपको एप्पल आई टयुन स्टोर से बेचना होगा। ये बड़े साफ्टवेयर निर्माताओं के लिए ठीक नही हो लेकिन मेरे जैसे साफ्टवेयर डेवलपर के लिए अच्छा है। मै इन आईफोन/पैड/पोड के लिए साप्टवेयर बनाकर एप्पल के बाजार मे डाल सकता हूं। मुझे किसी मार्केटींग या अकाउंटींग की जरूरत नही। एप्पल मेरा हिस्सा मेरे बैंक अकाउंट मे दे रहा है।
एप्पल मैक और आई ओ एस के बारे मे गलत फहमीया ज्यादा है। यह एक बेहतर उत्पाद है।
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प्राकृतिक चयन नहीं है यह। ध्यान रहे। यह कृत्रिम चयन है क्योंकि इसका नियंता मनुष्य है।
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lobh prakriti ka niyam hai steev bhi issse alag nahi the.lekin phir bhi .
Steev 1 bemisal yaktitwa tha .
i salute him
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jab steve jobs ki death hui,to saare world me log dukhi ho gaye, but uske theek 11days baad Denis Ritchi (developer of C,C++,unix etc) ki maut hui, kisi ko pata bhi nai chala.
Thats the blindness of people, everyone has become sheep, everyone follow each other 😛 .
Its called marketing
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RACHNATMAKTA HI VISHV KO AAGE BADHATI HAI………..”UNIQUENESS MADE OURSELVES”.
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कुछ घटनाएँ अपने साथ दुर्भाग्य की छाया लिए डोलती रहतीं हैं पर कालांतर में वही घटनाएं सफलता की नींव बनतीं हैं.
सार्थक वचन
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