ज़ेन गुरु जंगल की पथरीली ढलान पर अपने एक शिष्य के साथ कहीं जा रहे थे. शिष्य का पैर फिसल गया और वह लुढ़कने लगा. वह ढलान के किनारे से खाई में गिर ही जाता लेकिन उसके हाथ में बांस का एक छोटा वृक्ष आ गया और उसने उसे मजबूती से पकड़ लिया. बांस पूरी तरह से मुड़ गया लेकिन न तो जमीन से उखड़ा और न ही टूटा. शिष्य ने उसे मजबूती से थाम रखा था और ढलान पर से गुरु ने भी मदद का हाथ बढाया. वह सकुशल पुनः मार्ग पर आ गया.
आगे बढ़ते समय गुरु ने शिष्य से पूछा, “तुमने देखा, गिरते समय तुमने बांस को पकड़ लिया था. वह बांस पूरा मुड़ गया लेकिन फिर भी उसने तुम्हें सहारा दिया और तुम बच गए.”
‘हाँ”, शिष्य ने कहा.
गुरु ने बांस के एक वृक्ष को पकड़कर उसे अपनी ओर खींचा और कहा, “बांस की भांति बनो”. फिर उन्होंने बांस को छोड़ दिया और वह लचककर अपनी जगह लौट गया.
“बलशाली हवाएं बांसों के झुरमुट को पछाडती हैं लेकिन यह आगे-पीछे डोलता हुआ मजबूती से धरती में जमा रहता है और सूर्य की ओर बढ़ता है. वही इसका लक्ष्य है, वही इसकी गति है. इसमें ही उसकी मुक्ति है. तुम्हें भी जीवन में कई बार लगा होगा कि तुम अब टूटे, तब टूटे. ऐसे कई अवसर आये होंगे जब तुम्हें यह लगने लगा होगा कि अब तुम एक कदम भी आगे नहीं जा सकते… अब जीना व्यर्थ है”.
“जी, ऐसा कई बार हुआ है”, शिष्य बोला.
“ऐसा तुम्हें फिर कभी लगे तो इस बांस की भांति पूरा झुक जाना, लेकिन टूटना नहीं. यह हर तनाव को झेल जाता है, बल्कि यह उसे स्वयं में अवशोषित कर लेता है और उसकी शक्ति का संचार करके पुनः अपनी मूल अवस्था पर लौट जाता है.”
“जीवन को भी इतना ही लचीला होना चाहिए.”
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A Zen Master was walking through the forest with one of his students down a narrow trail, along a steep incline. The student lost his footing and slipped, just as he began falling down the hill the student reached out and grabbed a small bamboo tree. The bamboo bent nearly all the way over as the student continued to hold on tightly. He pulled himself up and brushed himself off with the Zen Masters help.
“Did you notice that when you fell, you grabbed a hold of the bamboo and it bent nearly all the way over and still supported you.” The Zen Master asked.
“Yes,” the student replied. The Zen Master gripped the bamboo and pulled the bamboo over.
“Be like the bamboo,” The Zen Master said as he let go of the bamboo and it sprang back to its up-right position. “It is pushed around by the wind and yet it always bounces back and grows upward, toward the sun, enlightenment. Have you ever felt as though you were going to snap. Have you ever felt as though you were at your breaking point, emotionally?”
“Yes,” the student replied.
“Then bend, do not break, such is the way with bamboo. It endures the stress and finds away to bounce back!” The Zen Master stated. “This is called resilience.”
सत्य वचन! लचीलापन बहुत जरूरी है जीवन के लिये। एक कविता बांस के बहाने हमारे एक मित्र ने लिखी थी:
हम तो बांस हैं,
जितना काटोगे,उतना हरियायेंगे.
हम कोई आम नहीं
जो पूजा के काम आयेंगे
हम चंदन भी नहीं
जो सारे जग को महकायेंगे
हम तो बांस हैं,
जितना काटोगे, उतना हरियायेंगे.
बांसुरी बन के,
सबका मन तो बहलायेंगे,
फिर भी बदनसीब कहलायेंगे.
जब भी कहीं मातम होगा,
हम ही बुलाये जायेंगे,
आखिरी मुकाम तक साथ देने के बाद
कोने में फेंक दिये जायेंगे.
हम तो बांस हैं,
जितना काटोगे ,उतना हरियायेंगे.
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Very good. Thank you.
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काम की नसीहत.
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लचीला होना जीवन में बहुत काम आता है।
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pl give in English also as many people dont have Hindi phont & they cant read in Hindi when I want to share.people are lazy.I asked many of my friends to see Hindizen but got only 1 responce.
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Sorry .I didn’t see translate option.
Thanks&Regards
AK
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परिस्थिति के अनुसार ढलने के बाद अपनी मूल अवस्था में आना आवश्यक है।
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बाँस से भी ज्ञान…वाह ज़ेन गुरूओं…
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हा कई बार हम अपनी हिम्मत से टूटते तो नहीं है किन्तु फिर वापस अपनी जगह भी बिल्कुल नहीं आ पाते है हर थपेड़े के बाद जीवन में नये अनुभव आ जाते है और हम बदल जाते है हम वापस अपनी ही जगह नहीं आ सकते है हम उसके आगे बढ़ चुके होते है |
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i this is a beautiful .story
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Jagrt Awstha me aadmi prkrti ki harek vastu se kuchh N kuchh sikhta H . fir sath me GURU ho to baat hi qya H .
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लचक, टूटे भी न और जड़ से भी न उखडे……।
विनम्रता, सक्षम मनोबल और विचार दृढता भी!!
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परिस्थितियों के अनुसार जीवन में लचीलापन और दृढ़ता दोनों ही आवश्यक है !
प्रेरक प्रसंग!
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bahut badiya ji ,
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gyaan pradaayee!
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bahut achhi..
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Aadmi ka swabhab ghans ki tarah namaniya hona chahiye jisse ki aadmi bade se bade tufan ya banya ka dat kar samna kar payega.
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सामाजिक जीवन में लोचशीलता का महत्व है. चित्त की कोमलता को ही ‘शील’ कहा गया है जो राम का महत्वपूर्ण गुण माना जाता है. बहुत अच्छी पोस्ट.
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