पाउलो कोएलो से रूस की कात्या यूलिआंका ने पूछा, “आप संयुक्त राष्ट्र के शांतिदूत (Messenger of Peace) हैं. विश्व में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए आपकी भूमिका क्या है?”.
पाउलो कहते हैं:
मैं हमेशा से ही उन लोगों को संशय की दृष्टि से देखता हूँ जो यह कहते फिरते हैं कि “मैं दुनिया में बदलाव लाना चाहता हूँ, मानवता की रक्षा करना चाहता हूँ, सबकी मदद करना चाहता हूँ, आदि-आदि”…
मुझे लगता है कि ‘दुनिया को बचाना’ बड़ा बेतुका वक्तव्य है. जो बात संभव है… और जो सबसे कठिन है, वह यह है कि हम एक नज़र खुद को देखें और यह समझने की कोशिश करें कि असल गड़बड़ कहाँ है.
यहाँ-वहाँ की बातों में सर खपाने से पहले हमें खुद की ही पड़ताल करनी होगी.
मैं खुद के बारे में कहूं तो… मैं दुनिया नहीं बदल सकता, मैं अपना देश नहीं बदल सकता, मैं अपना नगर, यहाँ तक कि अपना मोहल्ला भी नहीं बदल सकता. मैं सिर्फ अपने घर-आँगन को ही बदल सकता हूँ.
1996 में जब मुझे अपनी किताबों के लिए ठीकठाक रौयल्टी मिलने लगी तो मैं अपने घर से कुछ दूर शहर के केंद्र में एक निचली बस्ती में गया और कुछ लोगों से मिला जो छोटे बच्चों की देखभाल का काम करते थे.
मैंने उनके साथ मिलकर एक समाज सेवी इंस्टिट्यूट की स्थापना की. आज हम चार सौ से भी ज्यादा बच्चों की देखभाल कर रहे हैं. इसके आलावा हम मानसिक रुग्यालयों में रोगियों की सहायता भी करते हैं.
मैं यह मानता हूँ कि दुनिया में आनेवाले बड़े-बड़े बदलाव पहले-पहल बहुत छोटे पैमाने पर ही शुरू होते हैं.
विश्व के बारह शांतिदूतों में से एक होने का अर्थ मेरे लिए यह है कि यह शांति और न्याय स्थापित करने की दिशा में बहुत बड़ा उत्तरदायित्व है. संयुक्त राष्ट्र ने मुझे ये अधिकार दिए हैं कि मैं राजनीतिक हलकों में अपने प्रभाव का उपयोग करके कुनीति और अन्याय के विरुद्ध विचारों को स्वर दे सकता हूँ. यह अपने आप में बहुत बड़ी चुनौती है क्योंकि संयुक्त राष्ट्र खुद इस काम को अकेले नहीं कर सकता.
मैं तो यह मानता हूँ कि हम सभी शांतिदूत हैं. चलिए, सब अपने-अपने काम में जुट जाएँ.
भाई,पहल किसी न किसी को करनी ही पड़ेगी.परिस्थितियों से समझौता करने वाले कभी इतिहास की हिस्सा नहीं बनते !
पसंद करेंपसंद करें
हम दुनिया नहीं बदल सकते, पर हम खुद को जरूर बदल सकते हैं।
पसंद करेंपसंद करें
Shuruat hamesha khudh se hi karni padti hai…
Mumkin hai ki ek din khuda ban jayen hum…
Par gair mumkin hai shaitan se insan ban pana…….
पसंद करेंपसंद करें
हम दुनिया नही बदल सकते लेकिन खुद को और अपने घर को तो बदल सकते हैं …शुरुआत वहीं से कर सकते हैं …..अगर हर कोई अपने को भी बदल ले तो दुनिया तो अपने आप बदल ही जाएगी……
पसंद करेंपसंद करें
मैक्सिम गोर्की का कहना है कि हर आदमी एक आवश्यक प्राणी है। बदलना या बदलने की सोचना कहीं से गलत नहीं हैं। इनके हिसाब से दुनिया के सारे प्रसिद्ध और महान लोग बेवकूफ़ हैं। गाँधी से उनका बेटा नाराज हुआ तो क्या देश में ज्यादा नहीं भी तो कुछ करोड़ लोग तो उन्हें याद करते ही हैं। ये संयुक्त राष्ट्र वाले क्या विश्व शान्ति लाएंगे। जब से ये हैं तब से दुनिया दस गुनी अशान्त है निशान्त भाई। अमेरिकी बुद्धि का कथन पसन्द नहीं आया।
पसंद करेंपसंद करें