मेरे ब्लॉग के कई पाठक मुझे चैन लैटर और ई-मेल फौर्वर्ड्स भी भेजते रहते हैं जिनमें से कुछ तो सरासर फर्जी और बेतुके होते हैं पर कोई-कोई वाकई इतना अच्छा होता है कि मुझे उन्हें आपसे शेयर करने की इच्छा होती है. कुछ दिनों पहले मुझे जापान में आई सुनामी के बाद वहां के लोगों के जीवट और शासन/व्यवस्था के गुणों को उजागर करनेवाली एक मेल मिली जिसके तथ्यों से मैं वाकिफ था पर मैंने इंटरनेट पर उनकी तस्दीक की.
मेल में लिखी बातों को पढ़ने पर मैं यह सोचे बिना नहीं रह पाता कि विनाश की ऐसी ही या इससे कहीं कम दर्जे की घटना में हम भारतीयों की प्रतिक्रियाएं कैसी होती हैं. अपार जन और धन की हानि हो जाने पर हमारी सरकारें और व्यवस्था के अन्य स्तंभ स्वयं को कितनी गंभीरता और मजबूती से और अपने कर्म में रत रखते हैं, यह हम भली भांति जानते हैं.
भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में लोगों को एक-दूसरे से पृथक करने वाले तत्वों की बहुतायत है. किसी आपदा की दशा में सदाशयी जन भी अपने-अपने घरों में दुबक जाते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि बाहर निकलते ही उन्हें व्यक्ति और हुजूम के अराजक व्यवहार का सामना करना पड़ेगा. सब कुछ ठीक चल रहा हो तो भी अपनी सुविधा और सुरक्षा के दायरे के बाहर जाना कष्टकर होता ही है, उस दशा में तो और भी अधिक जब कोई भी किसी प्रकार की आपदा का सामना करने के लिए प्रशिक्षित न हो.
जापान की सुनामी पर अरविन्द मिश्र जी ने भी दो उल्लेखनीय पोस्ट लिखीं थीं. यह रही पहली पोस्ट. दूसरी पोस्ट में मिश्र जी ने जापानियों के जीवन दर्शन की चर्चा की है जो उनके दृढ़प्रतिज्ञ और संकल्पवान होने का आधार है. अब आप उपरोक्त ई-मेल फौरवर्ड का अनुवाद पढ़ें:
10 बातें जो हम जापानियों से सीख सकते हैं:
1. शान्ति – सुनामी के बाद प्रसारित किसी भी वीडियो में छाती पीटते और पछाड़ें मारते जापानी नहीं दिखे. उनका दुःख कुछ कम न था पर जनहित के लिए उन्होंने उसे अपने चेहरे पर नहीं आने दिया.
2. गरिमा – पानी और राशन के लिए लोग अनुशासित कतारबद्ध खड़े रहे. किसी ने भी अनर्गल प्रलाप और अभद्रता नहीं की. जापानियों का धैर्य प्रशंसनीय है.
3. कौशल – छोटे मकान अपनी नींव से उखड़ गए और बड़े भवन लचक गए पर धराशायी नहीं हुए. यदि भवनों के निर्माण में कमियां होतीं तो और अधिक नुकसान हो सकता था.
4. निस्वार्थता – जनता ने केवल आवश्यक मात्रा में वस्तुएं खरीदीं या जुटाईं. इस तरह सभी को ज़रुरत का सामान मिल गया और कालाबाजारी नहीं हुई (जो कि वैसे भी नहीं होती).
5. व्यवस्था – दुकानें नहीं लुटीं. सड़कों पर ओवरटेकिंग या जाम नहीं लगे. सभी ने एक-दूसरे की ज़रूरतें समझीं.
6. त्याग – विकिरण या मृत्यु के खतरे की परवाह किये बिना पचास कामगारों ने न्यूक्लियर रिएक्टर में भरे पानी को वापस समुद्र में पम्प किया. उनके स्वास्थ्य को होने वाली स्थाई क्षति की प्रतिपूर्ति कैसे होगी?
7. सहृदयता – भोजनालयों ने दाम घटा दिए. जिन ATM पर कोई पहरेदार नहीं था वे भी सुरक्षित रहे. जो संपन्न थे उन्होंने वंचितों के हितों का ध्यान रखा.
8. प्रशिक्षण – बच्चों से लेकर बूढों तक सभी जानते थे कि भूकंप व सुनामी के आने पर क्या करना है. उन्होंने वही किया भी.
9. मीडिया – मीडिया ने अपने प्रसारण में उल्लेखनीय संयम और नियंत्रण दिखाया. बेहूदगी से चिल्लाते रिपोर्टर नहीं दिखे. सिर्फ और सिर्फ पुष्ट खबरों को ही दिखाया गया. राजनीतिज्ञों ने नंबर बनाने और विरोधियों पर कीचड़ उछालने में अपना समय नष्ट नहीं किया.
10. अंतःकरण – एक शौपिंग सेंटर में बिजली गुल हो जाने पर सभी ग्राहकों ने सामान वापस शैल्फ में रख दिए और चुपचाप बाहर निकल गए.
प्रलयंकारी संकट के क्षणों में अपने बर्ताव से जापानियों ने पूरी दुनिया को बहुत कीमती सबक दिए हैं. मैं चैनलों पर अक्सर ही देखता हूँ कि रिपोर्टर गुजरात के भूकंप या उड़ीसा के तूफ़ान के सालों बाद भी हालात के जस-के-तस होने की तस्वीरें दिखाते हैं. उम्मीद है कि सुनामी की पहली बरसी तक जापानी अपनी दुनिया को और बेहतर बना चुके होंगे. यकीन न हो तो याहू न्यूज़ की 14 जून की यह खबर देखें जिसमें सुनामी के तीन महीने बाद के दृश्य यह बता रहे हैं कि जापानी जी-जान से अपने देश के पुनर्निर्माण में जुटे हैं. सुनामी से तबाह हो चुके नगरों को फिर से बसाने के लिए जापान कि सरकार ने 50 बिलियन डॉलर (लगभग ढाई लाख करोड़ रूपये) स्वीकृत किए हैं. फोटो साभार AP Photo / Kyodo News.
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जापानियों का यह जीवन दर्शन समूचे विश्व और खासकर भारत के लिए सबक होना चाहिए ..
उनका गहमोन का गहरा संस्कार उन्हें भारी विपत्ति में भी संभालता है ….ऐसा नहीं है कि दुःख और पीड़ा की अनुभूति
उन्हें नहीं होती …आखिर वे भी तो हैं हाड मांस के ही बने -मगर गहमोन की अनुशासन बद्धता उन्हें इसे प्रदशित होने से रोकती है ….मैंने सुनामी के समय वहां की एक टी वी उद्घोषिका को लगातार देखा -बिना चेहरे पर किसी शिकन के वह लागातार सी एन एन चैनेल पर महाविनाश की रिपोर्टिंग पर जुटी रही ..एक बारगी तो मैंने सोचा कि यह कैसी संवेदना शून्य रिपोर्टर है ..और तभी मैंने जापानियों के जीवन दर्शन की खोज जिज्ञासा वश ही की और गहमोन की जानकारी हुयी ….
उनमें आत्मसम्मान की भावना भी कूट कूट कर भरी है दूसरों के सामने वे खुद को दीं हीन नहीं दिखाना चाहते ….चाहे कुछ भी हो जाय ….
आपने उनके जीवन दर्शन की इन प्रमुख बातों को संकलित कर बहुत अच्छा किया !
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विश्वास नहीं होता कि बातें इसी दुनिया की हो रही हैं.
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इतनी बड़ी आपदा को इतनी शान्ति के साथ सहन कर लेना निश्चय ही वहाँ के सशक्त राष्ट्रीय चरित्र का परिचायक है।
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वाकई सीखने योग्य तो हैं …
प्रेरक …
मगर परेशानी यही है हम भारतीयों की हम दूसरों के गुणों से नहीं , अवगुणों को अपनाते हैं !
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तारीफ़ के काबिल ! हम सीखने के काबिल कब होंगें ,,,???
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समग्र समाज को प्रेरणा देती बातें
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आभार इस जानकारी के लिये!
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Nice Post…
10 बातें जो हम जापानियों से सीख सकते हैं…
प्रेरक बातें जो हम निशांत का हिंदीज़ेन ब्लॉग से सीख सकते हैं…
Thanks
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जापान द्वितीय विश्व-युद्ध के बाद तहस-नहस होकर कम समय में ही एक बड़ी आर्थिक महाशक्ति बन गया जो बताता है कि वहां के निवासियों में स्वाभिमान और श्रम किस तरह कूट-कूट कर भरा है!
इन दस बातों में यदि हमारे देश-वासी एक बात भी मान लें तो हम खुशहाल हो जाएँ !
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जापानियों का जीवट सच में एक मिसाल है…… अनुकरणीय है..
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hamesha ki tarah iss bar bhi behad achchhi post…
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Really its right, i m agree with you..nice post…. Thanks for Sharing with Us.
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सत्य कहा आपने…शत प्रतिशत अनुकरणीय है यह…
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काफी कुछ विश्व के सीखने योग्य है जापान से! उनकी कर्तव्य-निष्ठा, राष्ट्र-भक्ति, इमानदारी, सामूहिक-चेतना की महनीय उपस्थिति!!
याहू की जिस रिपोर्ट का जिक्र आपने किया है उसे भी देख आया, व्यवस्थित होने की यह द्रुति गति अन्यत्र तो बहुत कम ही देखेगी आपको।
उपयोगी पोस्ट, प्रिन्ट माध्यम से इस पोस्ट का फैलना स्वागतयोग्य है। आभार!
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creation of our society is based on social enequality exploition of other people our own. basis of our graded enequality is in our hindu religion and castes created in manusamiriti. we are something else before an indian. mind it without removing this problem we can never follow japanese. very few indian can feel the real problem of our behaviour as indian….very sorry but actual state of affairs
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Very wonderful and inspiring information.
Jolly Uncle
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great story, Jivan me bahut kuch sikha lekin is blog se mujhe bahut kuch sikhane ko mila aur mai iss par amal v kar raha hu.
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ye hindustaniyo ko bhi sikhni chaye.
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mai 5 salo se japan me hun aur sunami ke time bhi yahin mojud tha …ye jo 10 bate likhi gai hai 100% sach hai . jo maine aapni ankho se dekhi hai .
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sach me indians ko japanise se seekh leni chahiye,,,
indians me jara bhi dook sahne ki chamta nahi hai
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