कंप्यूटर से मिलनेवाली सीख

हाँ भाई… मैं जानता हूँ कि कम्प्यूटर केवल जड़ मशीन है जिसमें खुद से सोचने-समझने की क्षमता नहीं होती और ये वही काम करता है जिसके लिए उसे तकनीकी भाषा में समुचित निर्देश दिए जाते हैं. लेकिन कम्प्यूटरों के साथ भी ऐसी बहुत सी बातें हैं जिन्हें किसी दूसरे नज़रिए से हम अपनी ज़िंदगी से जोड़ सकते हैं. हमारे जीवन में भी जंजाल होता है और कम्प्यूटर भी अपने भीतर बहुत तरह के गैरज़रूरी तत्व भरे रहते हैं. कम्प्यूटर्स की साज-संभाल के लिए अपनाए जानेवाले नियमों को हम अपने जीवन और घर-परिवेश में लागू कर सकते हैं और यकीन मानिए इनके कई लाभ हैं.

1. हमें भी डिफ्रेगमेंटेशन की ज़रुरत होती है

कम्प्यूटर्स की हार्ड ड्राइव को नियमित रूप से डिफ्रेग्मेंट करते रहने से वे बेहतर और तेज़ चलते हैं. डिफ्रेगमेंटेशन मूलतः कम्प्यूटर की फाइलों को व्यवस्थित रखने और सफाई की प्रक्रिया है. इसमें अवांछित तत्वों को बाहर निकाल दिया जाता है और आवश्यक वस्तुओं को उनके नियत स्थान पर जमा दिया जाता है ताकि वे ज़रुरत के वक़्त आसानी से मिल जाएँ. हमारे जीवन में भी नियमित रूप से ऐसी ही व्यवस्था लाने के लिए कार्रवाई की ज़रुरत हमेशा ही रहती है. वैसे तो यह काम पूरी सजगता से रोज़ ही करने की आदत डालनी चाहिए पर शुरुआत में आप इसे महीने में एक बार करके देखें. इसके लाभ दिखने के बाद आप समझ जाएंगे कि अपने परिवेश को व्यवस्थित रखने की यह प्रक्रिया सतत जारी रहने चाहिए अन्यथा अव्यवस्था को पैर पसारते देर नहीं लगती.

2. जो कुछ अभी रिसाइकल बिन में है वह अभी घर में ही है

कभी-कभी आप किसी गैरज़रूरी फ़ाइल को डिलीट करके उसे रिसाइकल बिन में भेज देते हैं. लेकिन फ़ाइल को पूरी तरह से डिलीट करने की कार्रवाई फिर भी पूरी नहीं होती क्योंकि डिलीट की गयी फ़ाइल रिसाइकल बिन में पड़ी रहती है. ऐसा ही कुछ हम अपने परिवेश में व्यवस्था जमाने के लिए भी करते रहते हैं. हमें जो चीज़ अपने कमरे में सामने दिखने पर खटकती है उसे हम अटारी पर डाल देते हैं या छत पर छोड़ देते हैं. गंदगी को छुपाने के लिए उसे नज़र से हटा देना बहुत आसान लेकिन बेहूदा विकल्प है. इसका सबसे बड़ा खतरा यह है कि वह वस्तु देरसबेर अपनी पुरानी जगह पर लौट आती है. इसलिए यदि आप किसी बेकार या गैरज़रूरी समान से निजात पाना चाहते हैं तो उसे सिर्फ अपनी आँखों के सामने से नहीं बल्कि घर से निकाल बाहर करें.

3. टेट्रिस के खेल से आलमारी जमाने का सबक नहीं लें

शायद आपने कभी टेट्रिस खेला हो. इसमें ऊपर से गिरते ब्लॉक्स को एक-दूसरे में अटकाते हुए जमाते हैं और जगह बनाते जाते हैं. कुछ लोग अपने शेल्फ और आलमारी को भी इसी तरह से जमाते हैं. ऐसी शेल्फ या दराज़ में बिलकुल भी खाली जगह नहीं होती क्योंकि इसे अच्छे से जमाने के चक्कर में आप इसमें हर खाली जगह में सामान भर देते हैं या अटका देते हैं. यदि आप दुनिया के दूसरे कोने में जा रहे हैं और स्टोरेज पर पैसा बचाना चाहते हैं तो कोई बात नहीं लेकिन आम जीवन में ऐसा करने से दिक्कतें बढ़तीं ही हैं. किसी भी शेल्फ या दराज़ में कुछ वस्तुएं ही भली-भांति व्यवस्था में रह सकती हैं. एक सीमा से अधिक वस्तुओं को उनमें ठूंसने से उन्हें खोजने में बहुत समय व्यर्थ जाएगा.

4. मुफ्त में मिल रही हर चीज़ को सहेजने की ज़रुरत नहीं होती

इंटरनेट के ज़रिये अब बहुत सी चीज़ें किसी भी समय एक्सेस की जा सकतीं हैं और उन्हें अपने कम्प्यूटर में भरके रखे रहना मुनाफिक नहीं है. वे दिन लद गए जब मैंने अपने कम्प्यूटर में ब्रिटानिका और एनकार्टा एन्साइक्लोपीडिया लोड करके रखे थे. विकीपीडिया के आने के बाद अब मैं उन्हें खोलकर भी नहीं देखता. यही बात दूसरी चीज़ों के साथ भी सही है. इंटरनेट पर तरह-तरह के व्यंजन बनाने के लिए शानदार वेबसाईट मौजूद हैं तो मुझे इस विषय पर किताबें खरीदकर सहेजने की क्या ज़रुरत है? चीज़ों की हार्ड कॉपी संभलकर नहीं रखने का एक और लाभ यह भी है कि वक़्त-ज़रुरत के समय उनका अपडेट वर्ज़न इंटरनेट पर हर समय सुलभ होता है. जहां किताबी एन्साइक्लोपीडिया एक-दो साल में पुराने हो जाते हैं वहीं इंटरनेट पर हर दिन ताज़ा जानकारी मिल जाती है.

5. ज़रूरी चीज़ों का बैकअप लेते रहना चाहिए

कम्प्यूटर पर वायरस, डेटा की चोरी, या क्रैश की घटनाओं में ज़रूरी और महत्वपूर्ण सूचनाएं नष्ट हो जाती हैं लेकिन उन्हें घर में हार्ड कॉपी में रखना भी कोई सुरक्षित उपाय नहीं है. हमारे दस्तावेज़ और फोटो आदि गुम हो सकते हैं या किसी दुर्घटना में नष्ट हो सकते हैं. मौका पड़ने पर चोर पूरा कम्प्यूटर या तिजोरी भी उठाकर ले जा सकते हैं. अपने डेटा को खतरे से बचाने के लिए हम अपनी ज़रूरी फाइलों का बैकअप लेते रहते हैं उसी तरह घर-गृहस्थी की कीमती चीज़ों को भी सुरक्षित रखा जा सकता है. मूल्यवान और अत्यंत महत्वपूर्ण वस्तुएं लॉकर में रखी जा सकती हैं. मैं अपने फोटो/वीडियो आदि को दो-तीन प्रतियों में अलग-अलग सुरक्षित रखता हूँ और उनकी एक प्रति मैंने क्लाउड पर भी डालकर रखी है.

6. कभी-कभी ना चाहते हुए भी C: ड्राइव को फॉर्मेट करना पड़ता है

कभी-कभी ऐसा होता है कि हमारे सारे प्रयास और कर्म ध्वस्त हो जाते हैं और ना चाहते हुए भी हमें सब कुछ समेट कर नए सिरे से शुरुआत करनी पड़ती है. ऐसी स्थिति में आप क्या करते हैं? यदि आप लंबे अरसे से कम्प्यूटर पर काम करते आ रहे हैं तो आपने यह अनुभव किया होगा कि कभी-कभी अव्यवस्था और अनियंत्रण इस सीमा तक हो जाता है कि आपको अनचाहे ही C: ड्राइव को फॉर्मेट करना पड़ता है. ऐसे में आपका प्रयास यही होता है कि किसी भी तरह अपना थोड़ा-बहुत डेटा बचा लें और नए सिरे से सब कुछ शुरू करें. एक बार आपकी C: ड्राइव नयी-सी स्थिति में आ जाती है तो आप तय करते हैं कि अगली दफा ऐसी नौबत नहीं आने देंगे. क्या ज़िंदगी के साथ भी कई मौकों पर आपने इस नियम को दोहराया है?

There are 19 comments

  1. आशीष श्रीवास्तव

    5. ज़रूरी चीज़ों का बैकअप लेते रहना चाहिए
    इस बारे मे मेरा अनुभव उल्टा है, मैने आजतक जितनी भी सीडी/डीवीडी या एक्सटर्नल हार्डडीस्क मे डेटा बैक अप लीया है, दूबारा उन्हे खोल कर भी नही देखा है। शायद वे मुझे महत्वपूर्ण लगी थी लेकिन वास्तविकता मे वे रीसायकल बीन के लायक ही थी !

    🙂

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  2. प्रवीण पाण्डेय

    बस पढ़कर आनन्द आ गया, आजकल तो यह प्रक्रिया चलती रहती है नित्य। स्वयं को हल्का रखने में अच्छा लगता है। बहुत ही उपयोगी आलेख जीवन के बारे में।

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  3. BHAGAT SINGH PANTHI

    मैंने घर पर उपयोग करने के लिए कंप्यूटर ख़रीदा था और उसमें अपनी बहुत ही ज्यादा उपयोगी फोल्डर्स को रखा था किन्तु. इस घर के कंप्यूटर को मैंने जब से ख़रीदा है केवल १०-१५ बार ही उपयोग किया है पूरे २ सालों में. मुझे केवल अपनी favourite websites से पला पढता हैं. जिन्हें में गूगल chrome की मदद से cloud में सेव करता हूँ. और कही पर भी उन्हें खोल सकता हूँ. रही सॉफ्टवेर की बात तो उन्हें में portable version में पेन drive या cloud में रखता हूँ. और कुंछ ग्राफिक फोटोस जो में flickr और पिकासा में रखता हूँ. जितनी भी सीडी और डीवीडी बना कर राखी थी अब बच्चों ने उनका कचरा कर डाला. सबसे ज्यादा मदद गूगल reader करता है जहाँ से मै जितने भी ब्लोग्स को फोल्लो करता हूँ पढ़ सकता हूँ. और जिन्हें मैंने subscribe किया है उन्हें भी पढ़ सकता हूँ.

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  4. रंजना.

    शब्दशः सहमत हूँ…

    सकारात्मक दृष्टिकोण रखने वाले व्यक्ति अपने आस पास के हर स्थिति परिस्थिति और वस्तु से कुछ न कुछ अच्छा , जीवनोपयोगी , सुन्दर इसी प्रकार सीखते रहते हैं…

    बहुत बहुत उत्तम…मन हर्षित और उत्साहित हो जाता है आपके ब्लॉग पर आकर..

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  5. हंसराज 'सुज्ञ'

    वस्तुए हमसे प्रबंधित होती है और वस्तुओं से प्रतीकात्मक हम ग्रहण करते है।
    शानदार प्रस्तुति!! निशांत जी!!
    सुज्ञ: छवि परिवर्तन प्रयोग

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