भारत के बारे में 30 रोचक (?) बातें

raam devमेरे तीस वर्षीय अमेरिकन मित्र राम देव ब्लौगर और शोशल उद्यमी (social entrepreneur) हैं एवं स्वयं को digital nomad (डिजिटल बंजारा) कहते हैं. राम देव अपने ब्लॉग में चिरस्थाई समृद्धि और व्यावहारिक अपरिग्रह के बारे में लिखते हैं. कुछ समय पहले वे भारत में थे और भारत दर्शन के बारे में उन्होंने अपने ब्लॉग raamdev.com पर कई रोचक पोस्ट लिखीं हैं. भारत में अपने प्रथम माह में देखी और अनुभव की 30 अटपटी और रोचक बातें वे इस पोस्ट में बता रहे हैं. इनमें से कुछ तो हम पहले से ही जानते हैं और कुछ अन्य के बारे में जानना दिलचस्प होगा.

भारत में मेरा पहला दिन बहुत रोचक था. अब मुझे यहाँ आये हुए 30 दिन होने जा रहे हैं तो मैं आपको उन 30 रोचक बातों के बारे में बताऊंगा जो मुझे यहाँ आने के बाद पता चलीं हैं.

1. यहाँ लोग रेस्टौरेंट को होटल कहते हैं. यदि आप किसी जगह रात भर के लिए रुकना चाहते हों तो “रहने” की बात करें.

2. यदि आप किसी रेस्टौरेंट (या होटल) में हैं और कोई सामान कहीं भेजना चाहते हैं तो उसे “पार्सल” करने के लिए कहें.

3. ओवरपास (overpaass) को यहाँ फ़्लाइओवर कहा जाता है.

4. वाहन चालक दिल खोलकर हौर्न बजाते हैं. इसी काम के लिए हम USA में ब्लिंकर्स का उपयोग करते हैं.

5. कितना ही खतरनाक मोड़ हो या सामने से कोई गाड़ी आ रही हो तब भी पीछेवाले वाहन को पास दे दिया जाता है.

6. हैडलाईट फ्लैश करके और हौर्न बजाकर यह चेतावनी दे दी जाते है कि सामने से आनेवाले वाहन सावधान हो जाएँ क्योंकि आप गलत सड़क/साइड पर गाड़ी चला रहे हैं.

7. जीप या बस में बैठना रोलर कोस्टर की सवारी के बराबर है.

8. जब मैं लोगों से पूछता हूँ कि मैं कहाँ से आया हूँ तो ज्यादातर लोग अमेरिका कहने के पहले इंग्लैण्ड बताते हैं.

9. बिजली कभी भी जा सकती है और यह आम बात है. एक रात मैं रेस्टौरेंट में खा रहा था तभी बिजली चली गयी. वेटर एक फ्लैशलाईट लेकर आया ताकि मैं उसकी रोशनी में खा सकूं.

10. बिजली के बटनों के साथ बड़े स्विच लगे होते हैं जिन्हें चलाकर पहले सौकेट या बटन में बिजली लाई जाती है.

11. बिजली के स्विच नीचे दबाने पर चालू होते हैं और ऊपर दबाने पर बंद होते हैं.

12. यूनाइटेड स्टेट्स को यहाँ आम तौर पर सभी अमेरिका कहते हैं.

13. मेरे जैसे विदेशी सैलानी यहाँ इतने अलग-थलग से दिखते हैं कि आवारा जानवर भी हमें हैरत से देखते हैं.

14. आठ सीट वाली जीप में बाईस सवारियां ठूंसी (समाई नहीं) जा सकतीं हैं.

15. हर रेस्टौरेंट में हाथ धोने का स्थान है क्योंकि हाथ से खाना खाना आम बात है और लोग खाने से पहले और बाद में हाथ धोते हैं.

16. भारत सरकार विदेशी सैलानियों को बेहद सस्ते दीर्घकालीन (अधिकतम 90 दिन तक) रेलवे पास उपलब्ध कराती है. पास की कीमत है (90 दिनों के लिए $235 या $1,060 (A/C-दर्ज़ा)).

17. तारीख बताने/जानने का फॉरमेट है DD/MM/YYYY. (काश दुनिया भर में इसका कोई एक ही मानक निर्धारित हो जाए).

18. सड़क के किनारे किसी को लघु या दीर्घशंका का निवारण करते देखना अचरज भरा नहीं है.

19. बहुत से लोग फुटपाथ पर सोते हैं.

20. मैक्डॉनाल्ड्स का खाना महंगा है और भीतर की भीड़ बाहर की भीड़ से बिलकुल अलग दिखती है.

21. पसीना आने के बारे में अच्छी बात ये है कि (कम या ज्यादा) हर कोई पसीने में भीगा दिखता है इसलिए तन की दुर्गन्ध के बारे में कोई परवाह नहीं करता.

22. किसानों को रियायती दरों पर बिजली दी जाती है क्योंकि कृषि अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण अंग है.

23. बिजली का वितरण बहुधा सरकार के हाथ में है. प्राइवेट कम्पनियाँ अपनी सौर, जल या वायु ऊर्जा सरकार को बेच सकतीं हैं.

24. बिजली के वितरण पर सरकारी नियंत्रण है क्योंकि बिजली की कमी होने के कारण इसका प्रभावी वितरण आवश्यक है.

25. बैंगलौर जैसे बड़े शहरों में भी घोषित बिजली कटौती सामान्य है और यह एक से लेकर कई घंटों तक हो सकती है.

26. विद्यार्थियों के परीक्षाकाल में बिजली की मांग बढ़ जाती है क्योंकि वे देर रात तक जागकर पढाई करते हैं.

27. बिजली की कमी के कारण सरकार सौर ऊर्जा जैसे विकल्पों के उपयोग को प्रोत्साहन दे रही है.

28. दूर कहीं जाने के लिए बस या रेल यात्रा का सहारा लेना सामान्य बात है. आप सवार होते ही सो जाइए और जागने पर खुद को नई जगह में पायेंगे.

29. हो सकता है कि पांच मिनट के भीतर ही आप दो बार किसी प्राणघातक चीज़ जैसे किंग कोबरा से बच जाएँ!

30. आपको सहायता के लिए हमेशा ही कोई-न-कोई तत्पर मिल जायेगा, भले ही उसे आपकी कोई भी बात समझ नहीं आ रही हो.

मैंने अपने जीवन के 28 साल उत्तरी संयुक्त राज्य अमेरिका में बिताये और बाहरी दुनिया से बिलकुल अछूता रहा. इस लिस्ट में बताई गयी चीज़ों की तरह नयी चीज़ें देखने और जानने के लिए मैं बंजारे की भांति दुनिया घूमने के लिए निकला हूँ.

(Raam Dev is a writer, social entrepreneur, and digital nomad. He writes about sustainable abundance and practical minimalism on raamdev.com. You can join his Community of Passionate Changemakers and follow him on Twitter and Facebook)

There are 17 comments

  1. राहुल सिंह

    11. बिजली के स्विच नीचे दबाने पर चालू होते हैं और ऊपर दबाने पर बंद होते हैं.
    पर मेरी टीप- अमेरिका या कहें यूनाइटेड स्टेट्स में इससे उल्‍टा जैसे ड्राइव लेन का दायां-बायां तो अजीब कौन हुआ हम, आप या आपकी बात.
    12. यूनाइटेड स्टेट्स को यहाँ आम तौर पर सभी अमेरिका कहते हैं.
    पर मेरी टीप- यूएसए का ए आजकल गायब तो नहीं हो गया है.
    17. तारीख बताने/जानने का फॉरमेट है DD/MM/YYYY. (काश दुनिया भर में इसका कोई एक ही मानक निर्धारित हो जाए).
    पर मेरी टीप- क्रम तो यही होना चाहिए और शायद अमरीकी अभी भी मील, इंच, फीट, गैलन में हैं.
    (वैसे कुल मिला कर मैं इसे एक कमजोर सी पोस्‍ट मान रहा हूं.)

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    1. Nishant

      धन्यवाद राहुल जी.
      पोस्ट मुझे भी कमज़ोर लगी, इसमें कोई शक नहीं.
      मुझे रामदेव के observations रोचक लगे क्योंकि एक विदेशी का नजरिया उनमें झलकता है. हमें भी अमेरिकन्स की हर बात कहाँ अच्छी लगती है… बल्कि बहुत सी बातें अच्छी नहीं लगतीं. भारत में हज़ार कमियां ढूँढने वाला निष्ठुर व्यक्ति भी यहाँ के लोगों की उदारता और सहृदयता की तारीफ करते नहीं थकता. यही उसने बहुत सी कमियां गिनाने के बाद कहा जो कि अच्छी बात है.

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  2. sanjay

    प्वाईंट सं. पांच तो निश्चित रूप से सुधार मांगता है – पास दे नहीं दिया जाता, जबरन ले लिया जाता है।

    मि. digital nomad ने पानी की वेस्टेज पर भी शायद गौर नहीं किया, अभी भी शौचोपरांत भारत में धोई धोई की जाती है, उनके यूएसए की तरह पोंछा-पांछी नहीं:))

    वैलकम अगेन कहियेगा आपके मित्र को।

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    1. Nishant

      धोई-धोई अच्छी है. अब इतना वेस्टेज तो चलने दीजिये.

      दिन भर का दो लीटर पानी इस तरह बचाकर अमेरिकन्स दूसरी बहुत बर्बादी जो कर रहे हैं उसका क्या? 😉

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  3. Nimesh Mistry

    भारत में लोग संयुक्त परिवार में रहना पसंद करते है |
    लड़ाई झगड़ो को हम मजे लेकर देखते है |
    अधिकतर लोग राजनेताओं को पसंद नहीं करते |
    बहन या बेटी की बिदाई के समय सारा परिवार आंसुओ से तरबतर हो जाता है |
    घर की सफाई कर कचरा सड़क पर फेक देते है |
    भारतीय बहुत भावुक होते है |

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  4. चंदन कुमार मिश्र

    अधिक रुचि नहीं ले सका इस बार और बिना ठीक से पढ़े। लेकिन दिन महीने से पहले है और उससे छोटी इकाई है, इसलिए पहले तो यही होना चाहिए लेकिन अमेरिकी लोग अधिकांश उलटा देखते हैं और सब कुछ उनकी इच्छा से हो, यही चाहते हैं। अजूबा तो हर आदमी है, भाई!

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  5. Durgesh SINGH

    har aadmi ko dusare desh me ajuba hi lagta hai chahe wo kahi ka ho agr ham indian kahi bahar jate hai hme v waha ajeeb lagta hai ha ek bat jarur hai aapke dost ko ye atpata ayr nya llaga ho pr hm hai hi nirale
    30. आपको सहायता के लिए हमेशा ही कोई-न-कोई तत्पर मिल जायेगा, भले ही उसे आपकी कोई भी बात समझ नहीं आ रही हो.
    are hm to khade ho jate pr bahar ke desho me kya hota ek to pahle koi ayega nahi aur aya v to aapko chuna lagane ka hi koshish karega

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