एक रात मुल्ला नसरुद्दीन का गधा चोरी हो गया. अगले दिन मुल्ला ने गधे के बारे में पड़ोसियों से पूछताछ की.
चोरी की खबर सुनकर पड़ोसियों ने मुल्ला को लताड़ना शुरू कर दिया. एक ने कहा, “तुमने रात को अस्तबल का दरवाज़ा खुला क्यों छोड़ दिया?”
दूसरे ने कहा, “तुमने रात को चौकसी क्यों नहीं बरती. तुम होशियार रहते तो चोर गधा नहीं चुरा पाता!”
तीसरे ने कहा, “तुम घोड़े बेचकर सोते हो, तभी तुम्हें कुछ सुनाई नहीं दिया जब चोर अस्तबल की कुंडी सरकाकर गधा ले गया”.
यह सब सुनकर मुल्ला ने फनफनाते हुए कहा, “ठीक है भाइयों! जैसा कि आप सभी सही फरमाते हैं, सारा कसूर मेरा है और चोर बेचारा तो पूरा पाक-साफ़ है”.
सहज बोध.
पसंद करेंपसंद करें
सही कहा चोर तो पाक साफ है ही (कम से कम आज की तारिख में तो यही हो रहा है )
पसंद करेंपसंद करें
nice..ha ha ha ha
पसंद करेंपसंद करें
Very well said. Enjoyed reading your blog.
पसंद करेंपसंद करें
Gadha agar Mulla ki galti se na bhi khoya he, kisi bat par ispastikaran dene se koyi fayda nahi kyon ki dosto ko uski jarurat nahi rahti aur dusman us par visvas nahi karte.
पसंद करेंपसंद करें
क्या जमाना आ गया है ?..लोग गधा भी चुराने लगे 🙂 घोर कलियुग आ गया है! प्रलय निश्चित है गुझिया और पापड़ के बीच 🙂 चोर वाकई में गधा था जो गधा चुरा के भागा और वो भी मुल्ला का 🙂
पसंद करेंपसंद करें
पर उपदेश कुशल बहुतेरे…
हमारे समाज में इसी प्रकार दूसरों को सिखाने वाले रायचन्द लोगों की कमी नहीं है।
पसंद करेंपसंद करें
हा हा, सही बात है।
पसंद करेंपसंद करें
ये दुनिया की रीत है नुकसान जिसका होता है * * भी उसी का खींचा जाता है .
** का मतलब तो सब जानते ही होंगे .
पसंद करेंपसंद करें
कुछ पुरानी यादें :
मेरा बटुआ एक दिन किसी ने बस में चुरा लिया।
बीवी से कोई सहानुभूति नहीं मिली, उल्टा मुझे ही डाँटने लगी।
“क्यों सावधान नहीं रह सकते थे बस में चढते समय?”
१९७३ में, रूडकी विश्वविद्यालय की बात भी याद आ गई।
होस्टेल से मेरी साईकल की चोरी हुई।
पुलिस स्टेशन जाकर रपट लिखवाने की कोशिश की।
उल्टा कोटवाल ने मुझें हीं डाँटा।
“क्या सरकार हमें हजारों विद्यार्थियों की साईकल पर ध्यान रखने के लिए तनख्वाह देती है? हमें क्या और काम नहीं? पढे लिखे लगते हो। क्या अपने अपने साइकलों पर ध्यान रखना भी आप लोगों को हमें सिखाना होगा? फ़ुटिये, हमें और काम है।
हम क्या नसीरुद्दीन से कम हैं?
शुभकामनाएं
जी विश्वनाथ
पसंद करेंपसंद करें
:-). चोर तो हाथ में आने से रहा इसलिए सब जो सामने है उसी को नसीहत दे कर अपना फ़र्ज़ पूरा कर लेते हैं !
पसंद करेंपसंद करें
Interesting instance .
पसंद करेंपसंद करें
Don’t find fault, find a remedy. ~ Henry Ford
Make way for new donkey for Mullaji:-) It’s time to rise above the habit of fault- finding.
पसंद करेंपसंद करें
बहुत सुंदर पोस्ट.
पसंद करेंपसंद करें
Sahi baat h
congretulations
पसंद करेंपसंद करें
sahi hai sab samjhdaar to ek murkh.
पसंद करेंपसंद करें
हँसी आई लेकिन मुल्ला नसरुद्दीन की वह कहानी भी है जिसमें वह सड़क पर दूसरे का घोड़ा अपना कहकर बेच देता है और तुरन्त वहाँ से भाग जाता है। इंडोवेव्स की बात भी हास्य ही है और विश्वनाथ साहब तो मुल्ला ही निकले लेकिन वह जवाब जो नसरुद्दीन ने दिया, नहीं दे पाए।
पसंद करेंपसंद करें
Logon ko to sirf mauka chahiye Doosron ki galtiya batakar apne aap ko Hoshiyar sabit karne Ka.
पसंद करेंपसंद करें
Are chinta kyo kar rhe ho. Nasruddin ka gadha h. Kal apne aap lot ayega.
पसंद करेंपसंद करें