बुद्धिमान बालक

stop eating animalsकिसी नगर में रहनेवाला एक धनिक लम्बी तीर्थयात्रा पर जा रहा था। उसने नगर के सभी लोगों को यात्रा की पूर्वरात्रि में भोजन पर आमंत्रित किया। सैंकडों लोग खाने पर आए। मेहमानों को मछली और मेमनों का मांस परोसा गया। भोज की समाप्ति पर धनिक सभी लोगों को विदाई भाषण देने के लिए खड़ा हुआ। अन्य बातों के साथ-साथ उसने यह भी कहा – “परमात्मा कितना कृपालु है कि उसने मनुष्यों के खाने के लिए स्वादिष्ट मछलियाँ और पशुओं को जन्म दिया है”। सभी उपस्थितों ने धनिक की बात में हामी भरी।

भोज में एक बारह साल का लड़का भी था। उसने कहा – “आप ग़लत कह रहे हैं।”

लड़के की बात सुनकर धनिक आश्चर्यचकित हुआ। वह बोला – “तुम क्या कहना चाहते हो?”

लड़का बोला – “मछलियाँ और मेमने एवं पृथ्वी पर रहनेवाले सभी जीव-जंतु मनुष्यों की तरह पैदा होते हैं और मनुष्यों की तरह उनकी मृत्यु होती है। कोई भी प्राणी किसी अन्य प्राणी से अधिक श्रेष्ठ और महत्वपूर्ण नहीं है। सभी प्राणियों में बस यही अन्तर है कि अधिक शक्तिशाली और बुद्धिमान प्राणी अपने से कम शक्तिशाली और बुद्धिमान प्राणियों को खा सकते हैं। यह कहना ग़लत है कि ईश्वर ने मछलियों और मेमनों को हमारे लाभ के लिए बनाया है, बात सिर्फ़ इतनी है कि हम इतने ताक़तवर और चालक हैं कि उन्हें पकड़ कर मार सकें। मच्छर और पिस्सू हमारा खून पीते हैं तथा शेर और भेड़िये हमारा शिकार कर सकते हैं, तो क्या ईश्वर ने हमें उनके लाभ के लिए बनाया है?”

च्वांग-त्ज़ु भी वहां पर मेहमानों के बीच में बैठा हुआ था। वह उठा और उसने लड़के की बात पर ताली बजाई। उसने कहा – “इस एक बालक में हज़ार प्रौढों जितना ज्ञान है।”

There are 18 comments

  1. indowaves

    “च्वांग-त्ज़ु भी वहां पर मेहमानों के बीच में बैठा हुआ था। वह उठा और उसने लड़के की बात पर ताली बजाई। उसने कहा – “इस एक बालक में हज़ार प्रौढों जितना ज्ञान है।”

    ..असल ज़िन्दगी में हमारे यहाँ के भारतीय प्रौढ युवाओ पर सिर्फ खिसियाते और गरियाते है. अभी इनमे वो काबिलियत नहीं आई कि युवाओ की प्रतिभा का सम्मान कर सके. मैंने पीठ थपथपाते तो उन्हें कम ही देखा हा यह कहते हुए अक्सर देखा कि तुम क्या जानो तुम तो अभी बच्चे हो . भारतीय बुज़ुर्ग पहले की तरह ज्ञान और अनुभव का खज़ाना नहीं रहे. ये मक्कार,अवसरवादी और युवाओ की प्रतिभा का भयंकर शोषण करने वाले है.

    पसंद करें

  2. चंदन कुमार मिश्र

    एक और नया ज्ञान मेरे लिए। इंडोवेव्स की बात का भुक्तभोगी कुछ ज्यादा ही हूँ मैं और मैंने तो तय ही कर लिया था(हालांकि अभी सैद्धान्तिक रूप से ही माना है) कि 40 साल से अधिक उम्र के आदमी से बात करना बेवकूफ़ी ही है। यहाँ कोई वृद्ध-महिमा के कथा न सुनाए क्योंकि मैं भी जानता हूँ।

    बस एक चीज बुरी लगी कि बच्चा बोलता तो है लेकिन खुद भी भोज में भोजन चट कर गया और आपने बुद्धिमान के लिए क्लेवर शब्द लिया जो उचित नहीं लगा।

    पसंद करें

टिप्पणी देने के लिए समुचित विकल्प चुनें

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.