घर और पहाड़

mountain hut

तई नामक एक व्यक्ति का घर एक बहुत बड़े पहाड़ के पास था. तई की उम्र लगभग 80 वर्ष हो चली थी. उसके घर आने वाले लोगों को पहाड़ के चार ओर घूमकर बड़ी मुश्किल से आना पड़ता था. तई ने इस समस्या का हल निकलने का सोचा और अपने परिवार वालों से कहा – “हमें पहाड़ को थोड़ा सा काट देना चाहिए”.

उसकी पत्नी को छोड़कर सभी घरवालों ने उसके इस सुझाव को मान लिया. उसकी पत्नी ने कहा – “तुम बहुत बूढ़े और कमजोर हो गए हो. इसके अलावा, पहाड़ को खोदने पर निकलनेवाली मिटटी और पत्थरों को कहाँ फेंकोगे?” – तई बोला – “मैं कमज़ोर नहीं हूँ. मिटटी और पत्थरों को हम पहाड़ की ढलान से फेंक देंगे.”

अगले दिन तई ने अपने बेटों और पोतों के साथ पहाड़ में खुदाई शुरू कर दी. गर्मियों के दिन थे और वे पसीने में भीगे हुए सुबह से शाम तक पहाड़ तोड़ते रहते. कुछ महीनों बाद कड़ाके की सर्दियाँ पड़ने लगीं. बर्फ जैसे ठंडे पत्थरों को उठा-उठा कर उनके हाथ जम गए. इतनी मेहनत करने के बाद भी वे पहाड़ का ज़रा सा हिस्सा ही तोड़ पाए थे.

एक दिन लाओ-त्जु वहां से गुजरा और उसने उनसे पूछा की वे क्या कर रहे हैं. तई ने कहा कि वे पहाड़ को काट रहे हैं ताकि उनके घर आने वालों को पहाड़ का पूरा चक्कर न लगाना पड़े.

लाओ-त्जु ने एक पल के लिए सोचा, फ़िर वह बोला – “मेरे विचार में पहाड़ को काटने के बजाय तुमको अपना घर ही बदल देना चाहिए. अगर तुम अपना घर पहाड़ के दूसरी ओर घाटी में बना लो तो पहाड़ के होने-न-होने का कोई मतलब नहीं होगा”

तई लाओ-त्जु के निष्कर्ष पर विस्मित हो गया और उसने लाओ-त्जु के सुझाव पर अमल करना शुरू कर दिया.

बाद में लाओ-त्जु ने अपने शिष्यों से कहा -“जब भी तुम्हारे सामने कोई समस्या हो तो सबसे प्रत्यक्ष हल को ठुकरा दो और सबसे सरल हल की खोज करो.”

(A Tao story – Lao-tsu – in Hindi)

There are 8 comments

  1. Gyandutt Pandey

    बढ़िया तो यह कि अस्सी साल के कमजोर तई लगे थे पहाड़ काटने में। न करते तो कुढ़ते अपने मकान में और कोई लाओत्से न होते लेटरल थिंकिंग का सुझाव देने को!

    पसंद करें

  2. राहुल सिंह

    तरकीब में सूझ की लाजवाब नसीहत. Common sense is most rare sense. वैसे लाओत्‍से की कन्‍फ्यूशियस से मित्रता के बारे में तो किस्‍से पढ़ने मिलते हैं, लेकिन उनके शिष्‍य भी थे, यह मेरे लिए नई जानकारी है.

    पसंद करें

  3. aradhana

    सही है ! आमतौर पर लोग सीधे-सीधे सोचते हैं, सरल नहीं… जबकि सरलता से सोचना सबसे सही होता है. सहज बुद्धि की कमी बहुत सारी सामान्य बातों को जटिल बना देती है.

    पसंद करें

टिप्पणी देने के लिए समुचित विकल्प चुनें

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  बदले )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  बदले )

Connecting to %s

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.