रेखांकन सबसे ईमानदार कला है. इसमें धोखाधड़ी की गुंजाईश नहीं है. रेखाचित्र या तो अच्छा होता है या बेकार.
परिपूर्णता से मत डरो. यह तुम्हें कभी नसीब नहीं होगी!
मैं किसी शख्स के चेहरे से मेल खाता पोर्ट्रेट नहीं बनाता बल्कि वह शख्स ही बढ़ते-बढ़ते उस पोर्ट्रेट जैसा लगने लगता है.
मैं नशा नहीं करता, मैं खुद ही नशा हूँ.
(चित्रकला में) गलतियाँ तो दैवीय हैं! उन्हें सुधरने की चेष्टा मत करो. उन्हें भली-भांति समझो और न्यायसंगत ठहराओ. तभी तुम उनका परिष्कार कर सकोगे.
किसी नवयौवना के गालों की तुलना गुलाब से करने वाला पहला आदमी कोई कवि ही रहा होगा. और जिसने इसे दोहराया, वह शायद मूर्ख था.
सच्ची और झूठी यादों में वही भेद है जो असली और नकली नगीने में होता है. नकली नगीना बेतरह चमकता है और असली लगता है.
मुझमें और किसी पागल आदमी में यह अंतर है कि पागल आदमी खुद को स्वस्थचित्त मानता है जबकि मैं कहता हूँ कि मैं पागल हूँ!
किसी-किसी दिन तो मुझे ऐसा लगता है जैसे मैं संतुष्टि के ओवरडोज़ से मर जाऊँगा!
जो व्यक्ति किसी की नक़ल नहीं करना चाहता वह खुद कुछ नहीं रच पाता.
बहुत से लोग उम्र के आठवें दशक में नहीं पहुँच पाते क्योंकि वे चौथे दशक पर ज़रुरत से ज्यादा ठहर जाते हैं.

मैं भी खुद ही नशा हूँ….
पसंद करेंपसंद करें
वाह…सारे एक से बढ़कर एक…संजोग कर रख लेने वाले…
पसंद करेंपसंद करें
निशांत जी ,सारे कोटेसन इतने सुंदर है की पढ़ कर आनंद लिया जा सकता है .यह महान चित्रकार ऐसे ही तो सनकी नहीं कहलाता था .
पसंद करेंपसंद करें
बहुत हि सुंदर रचनाए काफी सालो पहले लिखी बाते आज भी उतनी हि सहि लगती हे निशाँतजी क्या आप फेसबुक पर हे अगर हे तो मुजे जरुर एङ करीये आभार
पसंद करेंपसंद करें