- मैं किसी को मुझसे प्रेम करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता. मैं बस इतना ही कर सकता हूँ कि प्रेम का पात्र बन सकूं. बाकी वो जानें.
- यह तय है कि मैं लोगों की कितनी ही परवाह क्यों न करूँ, कुछ लोगों को यह कभी नहीं दिखाई देगा.
- विश्वास जमने में सालों लगते हैं और टूटने के लिए चंद लम्हे ही काफी हैं.
- हमारी ज़िंदगी में ‘क्या’ की बनिस्पत ‘कौन’ की अहमियत ज्यादा है.
- एक पल में ऐसा कुछ हो सकता है जो ताज़िंदगी कचोटते रहे.
- कितनी ही बारीक फांक कर लो पर दो परतें हमेशा बच रहती हैं.
- किसी से दूर होते वक़्त मीठे बोल बोलने चाहिए. कहीं ऐसा न हो हम उसे आखिरी बार देख रहे हों.
- भले ही हम कैसा भी सोचते हों, अपने कर्मों के लिए हम ही जवाबदेह होते हैं.
- कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो हमसे बेइन्तहा प्यार करते हैं मगर कभी ज़ाहिर नहीं कर पाते.
- सच्ची दोस्ती के बीच दूरियां नहीं आतीं. ये मोहब्बत में भी तब्दील हो सकती हैं.
- तहजीब और तजुर्बा उम्र से नहीं मिलते.
- दोस्त कितने ही अच्छे हों, कभी-न-कभी चोट पहुंचाते हैं, फिर भी उन्हें माफ़ करना ही होता है.
- ज़िंदगी में बहुत बुरी बातें होतीं हैं पर यह दुनिया चलती रहती है.
- यह ज़रूरी नहीं कि दो लड़नेवाले शख्स एक दुसरे से प्रेम नहीं करते हों. यह भी ज़रूरी नहीं है कि शांति से रहनेवाले लोग वाकई प्यार से रहते हों.
- हमारे दोस्त हमेशा एक से नहीं रहते. यह समझने के बाद नए दोस्त ढूँढने में कोई तुक नहीं है.
- किसी राज़ को जानने के लिए बेताब होना ठीक नहीं. कहीं ये हमारी ज़िंदगी ही बर्बाद न कर दे!
- मुझसे कोई उस तरह प्यार नहीं करता जैसा मैं चाहता हूँ तो यह ज़रूरी नहीं कि वे प्यार में कोताही कर रहे हैं.
- अगर मैं अपने दोस्तों के लिए हमेशा बैसाखियाँ ही बनता रहूँगा तो एक दिन मेरी ज़रुरत के वक़्त वे मेरे करीब नहीं होंगे.
- ‘प्यार’ – इस लफ्ज़ के सैंकड़ों मानी हैं पर इसका हद से ज्यादा इस्तेमाल इसकी कीमत कम कर देता है.
- जिनसे हम हद से ज्यादा प्यार करते हैं उनसे कभी बिछड़ना भी पड़ता है.
- ज़िंदगी की दौड़ में प्यार की बैटन को आगे थमाते रहना है.
- मुझे दर्द में रहना मंज़ूर है पर दर्द बनना मुझे गवारा नहीं.
- अभी बहुत कुछ जानना बाकी है.
Photo by Clint McKoy on Unsplash
Beautiful post !
पसंद करेंपसंद करें
कहने सुनने के सुन्दर लफ्ज …कहने में आसान करने में मुश्किल
पसंद करेंपसंद करें
bilkul sahi kaha aapne…
पसंद करेंपसंद करें
अच्छा संकलन …!
पसंद करेंपसंद करें
अच्छे विचार हैं
पसंद करेंपसंद करें
यह सब जानना बहुत आवश्यक है।
पसंद करेंपसंद करें
प्यार को शब्दों के बन्धन में नहीं बंधा जा सकता यह तो बन्धन रहित है – प्यार को प्यार ही रहने दो, कोई नाम न दो।
पसंद करेंपसंद करें
निशांत जी ,जो लिखा है सभी याद रखने लायक है .कभी एक किताब पढ़ी थी लव स्टोरी – धुन्दला सा याद है जाने सही भी है की नहीं -love means not ever having to say you are sorry .aur ek cheez hai ख़ामोशी जिसकी ज़बां जाने क्या क्या कह जाती है कुछ भी ना कहकर .मेरे विचार से ये टिप्पणी ही मोजू है आपके आज के सुंदर लेख पर .
पसंद करेंपसंद करें
sundar vichaar… parantu is kathan ka ashay samajh nahi aaya
अगर मैं अपने दोस्तों के लिए हमेशा बैसाखियाँ ही बनता रहूँगा तो एक दिन मेरी ज़रुरत के वक़्त वे मेरे करीब नहीं होंगे
kripaya ispar e-mail me tippani kare
पसंद करेंपसंद करें
ओह. इसका संभावित आशय यह है कि मुझे कभी खुद के लिए भी सोचना चाहिए. जिनके लिए मैं अपने हितों की उपेक्षा करता रहूँगा वो मेरे दुर्दिनों में मेरे काम ही आयेंगे यह ज़रूरी तो नहीं!
पसंद करेंपसंद करें
शायद यह भी कि अगर दोस्त हमेशा आप पर ही निर्भर रहे तो वो आपका सहारा कैसे बन पायेगे कभी।
पसंद करेंपसंद करें
Precisely.
पसंद करेंपसंद करें
वाकय ही काफी कुछ जाना और कुछ जानना बाकी है.
पसंद करेंपसंद करें