यह पोस्ट पाउलो कोएलो के ब्लॉग से लेकर पोस्ट की गयी है.
कुछ सप्ताह पहले मैंने Why women love men पोस्ट की थी. कुछ पाठकों ने मुझसे इसपर लिखने के लिए कहा कि हम स्त्रियों से प्रेम क्यों करते हैं. मैं इसपर लिखने से बच रहा था पर एक पाठिका जूलिया ने मेरी मुश्किल आसान कर दी. इसमें लिखी सारी बातों से मैं इत्तेफाक नहीं रखता लेकिन यह एक बेहतर कोशिश है. देखिये वह हमें क्या बता रही है:
हम पुरुष स्त्रियों से इसलिए प्यार करते हैं कि भरपूर उम्र हो जाने पर भी उनके भीतर एक लड़की छुपी होती है.
क्योंकि किसी बच्चे के करीब से गुज़रते समय वे मुस्कुराना नहीं भूलतीं.
क्योंकि जब हम उन्हें सड़क पर चलता देखकर कमेन्ट करते हैं तो वे पलटकर कोई जवाब नहीं देतीं और मुस्कुराती भी नहीं हैं.
क्योंकि वे रात में खुल जाती हैं… इसलिए नहीं कि यह उनके चरित्र की विकृति है… वे तो हमें खुश देखना चाहती हैं.
क्योंकि वे स्वयं को सुन्दर और सुगठित बनाने के लिए पार्लर और जिम की यातनाएं झेलतीं हैं और उफ़ तक नहीं करतीं.
क्योंकि वे सलाद खाना पसंद करती हैं.
क्योंकि वे अपने चेहरे को उतनी ही शिद्दत और यकीन से रंगती हैं जैसे माइकलएंजेलो सिस्टीन चैपल पर काम करता था.
क्योंकि वे बार-बार हमसे यह पूछती हैं – “बताओ, मैं कैसी लग रही हूँ?”
क्योंकि वे समस्याओं को अपने तरीके से सुलझाती हैं और हम इसपर बहुत खीझते हैं.
क्योंकि वे करुणावान है और जब हम उन्हें प्यार करना कम कर देते हैं तो वे हमसे कहती हैं ‘मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ’ और इस तरह वे हमें इशारा करती हैं और अपना प्यार जताती हैं.
क्योंकि कभी-कभी वे हमें बताती हैं कि उन्हें सर्दी हो गयी है या उनके जोड़ों में दर्द है, और तभी हमें यह पता चलता है कि वे भी हमारी तरह इंसान हैं.
क्योंकि जब हमारी सेनाएं एक दुसरे के मुल्कों में घुसी चली आती हैं उस समय भी वे अपने चौके-चूल्हे में बेख़ौफ़ बनी रहतीं हैं.
क्योंकि वे हमारे जैसे कपड़े पहनकर काम पर जा सकती हैं जबकि कोई मर्द उनकी कुर्तियाँ पहनकर बाहर निकलने की हिम्मत नहीं कर सकता.
क्योंकि फिल्मों की तरह – सिर्फ फिल्मों की तरह ही – वे रात में हमारे करीब आने से पहले सुगंधित स्नान नहीं करतीं.
क्योंकि जब हम उन्हें कहते हैं कि फलां औरत बहुत सुन्दर लग रही है तब वे उसमें कोई-न-कोई पक्का खोट निकालकर बता देती हैं ताकि हमें अपने ख़याल पर शक होने लगे.
क्योंकि वे फ़िल्मी तारिकाओं की तरह चरमोत्कर्ष पर पहुँचने का सटीक दिखावा कर सकतीं हैं.
क्योंकि जब हम पुरुष अपनी सूखी चाय और पुरानी शराब से ही चिपके रहते हैं तब वे बेहतरीन रंगीन घालमेल बनाकर दिखाती हैं और अपने नाजुक महीन बुंदनों पर इठला सकती हैं.
क्योंकि उन्हें कहीं कोई पुरुष भा जाता है तो वे उसे ज़ाहिर करने में वक़्त नहीं गंवातीं.
क्योंकि वे हमें जन्म देती हैं और हमें खुद में समा लेती हैं, और यह जब तक नहीं होता तब तक हम उनकी काया और आत्मा की परिक्रमा करते रहते हैं.
(और मैं इसमें जोड़ता हूँ: हम उन्हें स्त्री होने के नाते ही प्रेम करते हैं. बात ख़तम!)
जो आपने बाद में जोड़ना चाहा है, वही अपने आप में पर्याप्त है। ऊपर दिये सब कारण उसी में समाहित हैं।
पसंद करेंपसंद करें
रोचक ….क्या सभी स्त्रियाँ प्रेम के लायक होती हैं -(इन मानदंडो के आधार पर …उत्तर नहीं )
पसंद करेंपसंद करें
जहाँ तक मानदंडों की बात है, वे तो उत्तराधुनिक पश्चिमोन्मुखी हैं इसलिए हम उनसे असहमत हो सकते हैं.
और क्या सभी स्त्रियाँ प्रेम के लायक हैं?… प्रेम के लायक कौन नहीं है?
वैसे आप किस प्रेम की बात कर रहे हैं?:)
पसंद करेंपसंद करें
Nice Post …..:)
पसंद करेंपसंद करें
पर प्रेम के कारण इतने सतही होंगे तो प्रेम भी सतही ही होगा। बात गहरी हो।
पसंद करेंपसंद करें
जी, मुझे इसी टिपण्णी की प्रतीक्षा थी.
उदात्त प्रेम के दिन तो कब के बिसर गए.
पसंद करेंपसंद करें
बहुत सुन्दर और ज्ञानवर्धक जानकारी दी है आपने …….. आभार
पसंद करेंपसंद करें
पाउलो कोएलो के विचार सुंदर हैं और अपने शिद्दत से पेश किया है .एक बात जो देखने में आती है स्त्री द्वारा इतना अधिक प्रेम एवम समर्पण पाने के बाद भी पुरुष प्रेम पाने के २-३-४ सालों में ही अक्सर भटक जाता है .
पसंद करेंपसंद करें
मेरे हिसाब से हम इन कारणों से स्त्री को “चाहते हैं”
“प्रेम ” करने के कोई कारण और होंगे शायद
पसंद करेंपसंद करें
मानदण्ड पश्चिमी सही…पर सारे नकारने वाले नहीं…
करुणा सेवा त्याग कोमलता सुन्दरता इत्यादि ऐसे गुण हैं जो स्त्रियों में बहुलता से होते हैं,जिसके प्रति सहज आकर्षण स्वाभाविक है…
पसंद करेंपसंद करें
बहुत खूबसूरत कारण हैं।
पसंद करेंपसंद करें
सिर्फ एक कारण – क्योंकि पुरुष स्त्री के भीतर की ‘स्त्री’ को प्यार करता है।
पसंद करेंपसंद करें
Interesting..!
पसंद करेंपसंद करें
Bilkul sahi kaha….unke aisa kane mai prem ka janam hota hai…jo hame unse jode rakhati hai….
पसंद करेंपसंद करें
वाह भई…
पुरुष इस मामले में अक्सर सच कहने से ड़रता है…
बस ऐसे ही गोल-गोल घुमाता रहता है…
पसंद करेंपसंद करें
मुझे लगता है कि आप बताना चाहते हैं कि हम स्त्रियों के प्रति आकर्षित क्यों होते हैं क्योंकि स्त्रियों में अगर उपरोक्त गुण ना हों तब भी हम उन्हें प्रेम ही करेंगे.
पसंद करेंपसंद करें
प्रेम का कोई कारण नहीं होता। प्रेम बस होता है (‘हो जाता’ नहीं)
पसंद करेंपसंद करें
स्त्री को समझना इतना आसान नहीं होता, पुरुष को इस दुनिया में लाने वाली भी एक मात्र स्त्री ही है स्त्री तो ईश्वर की वो कृति है जिसे अगर इस संसार की निर्मात्री का दर्ज़ा भी दे दिया जाये तो कोई अतिश्योक्ति नहीं है
पसंद करेंपसंद करें
Great post……..
पसंद करेंपसंद करें
गज़ब का विश्लेषण है भई ।
पसंद करेंपसंद करें
Kabhi ho sake to prem ki uss paribhasha ko batana jo ek kitab ke akhiri panne par hum dono ko mili thi ” Ankho main halki si thirkan aur bas”
पसंद करेंपसंद करें
मुझे मालूम है तुम इवान तुर्गेनेव के उपन्यास A Home of Gentry की बात कर रहे हो:)
पसंद करेंपसंद करें
शरद जी की बात से सहमत हूँ. सटीक विश्लेषण है. एक-एक बात एकदम अपनी परिभाषा लगती है.
हाँ, और आपकी बात भी बहुत सामान्य लेकिन सबसे गूढ़ है कि हम स्त्रियों को स्त्री होने के नाते प्रेम करते हैं. जैसे स्त्रियाँ पुरुषों को पुरुष होने के नाते प्रेम करती हैं यह शाश्वत सत्य है.
पसंद करेंपसंद करें
क्योंकि वे हमें जन्म देती हैं और हमें खुद में समा लेती हैं, और यह जब तक नहीं होता तब तक हम उनकी काया और आत्मा की परिक्रमा करते रहते हैं……….. क्या इसके बाद हम उनकी परिक्रमा बन्द कर देते है!
बस यही आखिरी बात समझ नही आयी.
पसंद करेंपसंद करें
Realy its very good lines on lady realy i m very immpressed
पसंद करेंपसंद करें
han ye bilkul sahi hai ki hum darte hai to karte hain.
पसंद करेंपसंद करें
thanks good knowledge
पसंद करेंपसंद करें
bhagwan ki banai sabse pyari chiz hai
पसंद करेंपसंद करें
प्रेम का कोई कारण नहीं होता। प्रेम बस होता है (‘हो जाता’ नहीं)
पसंद करेंपसंद करें
ham pyar me marte bhe ha aur jete bhi ha
पसंद करेंपसंद करें