एकांत और रचनात्मकता

रचनात्मकता के लिए ‘एकांत’ अथवा ‘निजता’ का बड़ा महत्व है. विश्व इतिहास में अनेक महान रचनाशील चिन्तक, वैज्ञानिक, और कलाकार हुए हैं जिन्होंने एकांत के क्षणों में दुनिया को अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दिया. ऐसे ही कुछ महान व्यक्तियों जीवन और निजता पर उनके विचारों की बानगी आपके लिए प्रस्तुत है.वोल्फगैंग अमेडियस मोज़ार्ट (Wolfgang Amadeus Mozart) – मोज़ार्ट उन्नीसवीं शताब्दी के महान शास्त्रीय संगीतकार थे. उन्होंने 600 से भी अधिक अमर धुनों की रचना की. पैंतीस वर्ष की अवस्था में ही उनका निधन हो गया.

“घोड़ागाड़ी के भीतर सफ़र करते समय, भोजन के बाद की सैर के वक़्त या नींद की तलाश में अपने बिस्तर पर मैं खुद के साथ, निपट अकेला और अपने में मगन रहता हूँ. यही वे क्षण हैं जब मेरे विचारों की श्रृंखला निर्बाध चलती है और रचनात्मकता फूट पड़ती है”.

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अलबर्ट आइन्स्टीन – (Albert Einstein) – सैद्धांतिक भौतिकविद, दार्शनिक, और लेखक के रूप में विभूषित होने वाले विद्वान और बीसवीं शती के सबसे चर्चित और प्रभावशाली वैज्ञानिक. इन्हें आधुनिक भौतिकी का जनक भी कहते हैं.

“हांलांकि मैं नियत समय के अनुसार काम करता हूँ पर मुझे अचानक ही समुद्रतट पर अकेले लम्बी सैर पर चल  पड़ना अच्छा लगता है. उस समय मैं अपने भीतर हो रही हलचल को सुन सकता हूँ. जब मेरा काम नहीं बन रहा हो तब मैं उसे बीच में ही छोड़कर लेट जाता हूँ और छत को निहारता रहता हूँ. तब मेरी कल्पनाशक्ति मेरे समक्ष साकार हो उठती है. मैं उसे देख और सुन भी सकता हूँ.”

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फ्रेंज काफ्का (Franz Kafka) – बीसवीं शताब्दी के सर्वथा मौलिक रचनाकार थे. उनके लघु उपन्यासों और छोटी-छोटी कहानियों को आधुनिक साहित्य में बेजोड़ माना जाता है.

“तुम्हें अपना कमरा छोड़कर कहीं जाने की ज़रुरत नहीं है. अपनी टेबल पर बैठकर ध्यान से सुनते रहो. तुम्हें सुनने की ज़रुरत भी नहीं है – बस इंतजार करो… शांत और अचल रहने का प्रयास करो. यह दुनिया खुद-बखुद तुम्हारे सामने स्वयं को उजागर करेगी. इसके सामने और कोई विकल्प नहीं है…यह भावातिरेक में तुम्हारे पैरों पर उमड़ पड़ेगी.”

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निकोला टेस्ला (Nikola Tesla) – आविष्कारक और विद्युत के व्यापारिक उत्पादन के क्षेत्र में सर्वाधिक योगदान देनेवाले वैज्ञानिक. विद्युत चुम्बकत्व के क्षेत्र में उनकी खोज ने अनेक वैज्ञानिकों को प्रेरित किया.

“एकांत में हमारा मन केन्द्रित और स्पष्ट हो जाता है. निजता के क्षणों में मौलिकता उर्वर हो जाती है और इसपर बाहरी उद्दीपनों का प्रभाव नहीं पड़ता. कुछ पल अकेले रहकर देखिये – यही आविष्कारकों का रहस्य है. अकेले रहिये और अपने विचारों को जन्म लेते देखिये.”

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जोज़फ़ हैडेन (Joseph Haydn) – ऑस्ट्रिया के संगीतज्ञ हैडेन ने अपना लगभग पूरा जीवन एक धनिक के निजी संगीतज्ञ के रूप में उनकी दूरस्थ रियासत पर व्यतीत किया. इस तरह उनपर दूसरे संगीतज्ञों और रचनाकारों का प्रभाव नहीं पड़ा. उन्हीं के शब्दों में – “मौलिक होना तो जैसे मेरी मजबूरी ही थी”.

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योहान वोल्फगैंग वोन गोथे (Johann Wolfgang von Goethe) – जर्मनी के बहुश्रुत लेखक. कविता, नाटक, धार्मिक साहित्य, दर्शन, और विज्ञान के विषयों पर उनका समान अधिकार था.

“सामाजिकता हमें सिखा सकती है पर निजता हमें प्रेरित करती है”.

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पाब्लो पिकासो (Pablo Picasso) – बीसवीं शती के लम्बे कालखंड में अपनी विविध रचना शैलियों के कारण आधुनिक कला पर अपनी अभिनव छाप छोड़नेवाले कलाकार. उनकी क्रांतिकारी उपलब्धियों के कारण वे अत्यधिक सम्मानित और समृद्ध हुए. बीसवीं शती के संभवतः एकमात्र प्रतिनिधि कलाकार.

“गहन एकांत के बिना गंभीर कर्म कर पाना मुमकिन नहीं है”.

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थॉमस मान (Thomas Mann) – महान जर्मन उपन्यासकार, कथाकार, आलोचक, मानवतावादी, निबंधकार और 1929 के नोबल पुरस्कार विजेता. वे अपने लेखन में गहन प्रतीकों और विसंगतियों के चित्रण और मानव स्वभाव की परख करनेवाले साहित्यकार के रूप में प्रसिद्ध हैं.

“एकांत के क्षणों में हमारे भीतर कुछ मौलिक उपजता है – जैसे अनजानी खूबसूरत या ध्वंसात्मक कविता.”

Photo by Jon Flobrant on Unsplash

There are 11 comments

  1. सतीश पंचम

    एकांत के दौरान मैंने भी कई-कई नए किस्म के विचारों का अनुभव किया है जिन्हें कि भीड़ भाड़ के दौरान नहीं अनुभव कर पाता।

    यूं तो सड़क पर अकेले चलते हुए आसपास भीड़ होती है लेकिन तब वाला एकांत भी चलते चलते कुछ न कुछ सूझा देता है औऱ विचारों का खेला शुरू हो जाता है।

    सुंदर पोस्ट।

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  2. Tarun

    निशांत, सबसे पहले इतने अच्छे ब्लोग को बनाये रखने के लिये बधाई, अच्छे से मेरा मतलब ब्लोग में पोस्ट होने वाले कटेंट से है। एकांत की कितनी महत्ता है ये इन सब महानुभाव के कथ्य से अच्छे ढंग से समझी जा सकती है।

    आपका ब्लोग रीडर में जोड़ दिया है, अब अक्सर पढ़ता रहूँगा।

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  3. rafatalam

    बहुत अच्छा लगा पढ़ कर .एक बात लिखना चाह रहा हूँ ऊपर लिखे लगभग सभी औरअधिकांश कलाकार/फनकार एकांत वादी के आलावा सनकी(आम लोगों की भाषा में )भी रहे हैं.मेरा मानना है इन्हे सर्जन की प्यास मालिक ने दि जिसे बुझाने में महान अविष्कार हुए /शाहकार बने हैं. यूँ कहें कुछ इनकी बनावट में ही आम आदमी से कुछ अलग रहा है .बहरहाल छोटे पर सुंदर तरीके से जों आपने बयां किया काबिले तारीफ है और मेरे विचार में नए पाठक के हर्दय में उपरोक्त महापुरुषों के बारे में आवशयक रूप से जानकारी की जिज्ञासा जगाएगा

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